
ठीक-ठाक किसान को कलेक्टर ने बना दिया 'पागल', जबरन भेजा पागलखाने
छतरपुर.मध्यप्रदेश में सरकार कर्जमाफी कर किसानों को राहत देने की बात कर रही है। वहीं, एक किसान जब छतरपुर जिले के डीएम ( Chhattarpur collector ) के पास अपनी समस्या लेकर पहुंचा तो साहब ने उसे पागल घोषित ( declares mad ) कर दिया और अपने मुलाजिमों के जरिए इलाज के लिए अस्पताल भिजवा दिया। ऐसा कलेक्टर की जनसुनवाई के दौरान हुआ है। एक किसान पिछले 15 वर्षों से अपनी ही जमीन पर काबिज नहीं हो पा रहा है।
इस मामले में तहसील न्यायालय के आदेश के बाद भी दबंगों के कब्जे में फंसी उसकी जमीन को जब पुलिस खाली नहीं करा पाई तो किसान कलेक्टर की जनसुनवाई में पहुंचा। दिव्यांग किसान शंकर पटेल निवासी देवगांव थाना बमीठा ने जब कलेक्टर को जनसुनवाई में शिकायती पत्र देकर यह लिख दिया कि यदि उसकी जमीन नहीं मिली तो उसका पूरा परिवार आत्महत्या कर लेगा।
भड़क गए डीएम
कलेक्टर मोहित बुंदस इस बात से भड़क गए और उन्होंने किसान को ही मानसिक रोगी समझकर उसे जिला अस्पताल भेज दिया। जिला अस्पताल में मेडिकल बोर्ड की एक टीम ने शंकर पटेल का मेडिकल परीक्षण किया, जिसमें वह पूरी तरह स्वस्थ पाया गया लेकिन फिर भी निर्देश कलेक्टर का था इसलिए किसान को मनोवैज्ञानिक की सलाह लेने के लिए जबरन ग्वालियर भेजा जा रहा है।
मीडिया को रोका गया
कोतवाली टीआई अरविंद दांगी ने दलबल के साथ किसान को कलेक्ट्रेट से पहले अस्पताल पहुंचाया और फिर उसके बाद कोतवाली ले गए। यहां जब मीडियाकर्मियों को इस घटना की भनक लगी और वे अस्पताल में कवरेज करने पहुंचे तो पुलिस के द्वारा उन्हें कवरेज करने से मना भी किया गया। कोतवाली पुलिस खबर लिखे जाने तक किसान को कोतवाली में ही बैठाए रही। इस घटना से किसान का पूरा परिवार परेशान है।
पूरी तरह स्वस्थ्य हैं पति
उसकी पत्नी लल्लाबाई पटेल ने बताया कि उसके पति पूरी तरह स्वस्थ हैं और न्याय के लिए भटक रहे हैं। प्रशासन उसे न्याय दिलाने की बजाय पागल घोषित करने पर तुला है और जबर्दस्ती उन्हें ग्वालियर इलाज के लिए भेजा जा रहा है। हमारे परिवार को इस तरह परेशान किया जा रहा है कि हम अब आत्मघाती कदम उठाने को मजबूर हो रहे हैं।
क्या है मामला
दरअसल, बमीठा थाना क्षेत्र के ग्राम देवगांव निवासी शंकर पटेल तनय हरदास पटेल ने बताया कि उसकी भूमि खसरा नं. 878/1/1, 878/2क, 878/1/2 रकवा 4.450 हेक्टेयर भूमि राजस्व रिकार्ड में भी दर्ज है। शंकर पटेल विकलांग है और पूरी तरह इसी जमीन की कृषि पर आश्रित है। इस जमीन पर शिवचरण, स्वामीदीन, पुष्पादेवी राजनगर एवं पप्पू सोनी निवासी बमीठा, अच्छेलाल, रामप्रसाद, हरलाल समस्त निवासी ग्राम टुटका के द्वारा जबरन कब्जा कर लिया गया है।
आत्महत्या करने की दी थी चेतावनी
यह मामला नायब तहसीलदार राजनगर के न्यायालय में भी चला जहां से तहसीलदार ने उक्त भूमि पर सभी कब्जेदारों को हटाने का निर्देश जारी किया। तहसीलदार ने 5 जुलाई 2019 को बमीठा टीआई को निर्देश दिया था कि इस किसान की जमीन पर मौजूद कब्जे को तत्काल हटाया जाए। इसके बाद भी टीआई उसकी जमीन पर मौजूद दबंगों के कब्जे को नहीं हटा रहे हैं। इसी बात से दुखी किसान मंगलवार को जनसुनवाई में पहुंचा और उसने आवेदन में लिखकर दिया कि उसकी जमीन से कब्जा नहीं हटाया जाएगा तो उसका परिवार भूखों मरने की कगार पर पहुंच जाएगा। ऐसी स्थिति में वे सभी परिवार सहित आत्महत्या करने को मजबूर होंगे। इसी बात से नाराज कलेक्टर ने उसकी मानसिक जांच कराने का निर्णय ले लिया।
सिविल सर्जन ने कराया मेडिकल परीक्षण
सिविल सर्जन डॉ आरपी पाण्डेय ने बताया कि कलेक्टर के निर्देश पर शंकर पटेल का मेडिकल बोर्ड द्वारा मेडिकल परीक्षण कराया गया है। व्यक्ति पूर्णत: स्वस्थ्य है लेकिन मनोवैज्ञानिक सलाह के लिए उसे ग्वालियर भेजने के लिए लिखा गया है। जिला अस्पताल में पुलिस ने जबरन शंकर पटेल को अपनी गाड़ी में बैठाया और ग्वालियर ले जाने की तैयारी करने लगी। यहां शंकर पटेल के परिवार के लोगों ने विरोध जताया और मीडिया पहुंच गई तो किसान को सिटी कोतवाली ले जाया गया।
Published on:
16 Jul 2019 09:01 pm
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