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जनवरी से नवंबर तक जिले में मिले टीबी के 7 हजार से ज्यादा टीबी के मरीज

वर्ष 2024 के जनवरी माह से नवंबर माह तक छतरपुर जिले में टीबी के 7 हजार 23 मरीज मिले हैं, जिनमें से कुछ का इलाज जारी है जबकि कुछ टीबी चैंपियन अर्थात पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि जिले में सबसे ज्यादा टीबी रोगी नौगांव क्षेत्र में मिले हैं इसलिए अभियान के तहत इस क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

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जिला क्षय केंद्र

छतरपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लिए गए भारत को टीबी रोग मुक्त बनाने के संकल्प को पूरा करने के लिए प्रदेश सरकार जिले में 100 दिवसीय निक्षय शिविर अभियान चला रही है। इसके साथ ही जागरुकता रथ को भी रवाना किया गया है, जो जिले के ग्रामीण अंचलों का भ्रमण कर लोगों को टीबी रोग और उसके उपचार के प्रति जागरुक कर रहे हैं। गौरतलब है कि छतरपुर जिले में इस साल नवंबर माह तक टीबी के 7 हजार से ज्यादा मरीज मिले हैं, जिमें सबसे ज्यादा नौगांव क्षेत्र के हैं।

जनवरी से नवंबर तक मिले 7023 मरीज


जिला क्षय केन्द्र में पदस्थ डीपीसी रवि कुमार ने बताया कि वर्ष 2024 के जनवरी माह से नवंबर माह तक छतरपुर जिले में टीबी के 7 हजार 23 मरीज मिले हैं, जिनमें से कुछ का इलाज जारी है जबकि कुछ टीबी चैंपियन अर्थात पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि जिले में सबसे ज्यादा टीबी रोगी नौगांव क्षेत्र में मिले हैं इसलिए अभियान के तहत इस क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। डीपीसी रवि कुमार ने बताया कि 100 दिवसीय निक्षय शिविर अभियान अभियान भारत के 347 जिलों में शुरु किया गया है, जिसमें मध्यप्रदेश के छतरपुर सहित कुल 23 जिले शामिल हैं।

ईट-भट्टे क्रेशर वाले इलाकों में ध्यान


उन्होंने बताया कि इस 100 दिवसीय अभियान का उद्देश्य जिले में टीबी रोगियों को खोजकर उनका इलाज शुरू कराना है। अभियान के तहत जिसके स्वास्थ्य अमला घर घर जाकर जांच कर रहा है। डीपीसी रवि कुमार के मुताबिक छतरपुर जिले को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने में यह अभियान मील का पत्थर साबित होगा। अभियान के तहत जिले के ऐसे इलाकों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है जहां ईंट भट्टे, क्रेशर, माइनिंग आदि का काम होता है, क्योंकि उक्त कार्यों में उडऩे वाली धूल के कारण टीबी रोग की संभावना प्रबल हो जाती है। इसके साथ ही जिले में जागरुकता रथ भी भ्रमण कर रहा है जो लोगों को टीबी रोग के प्रति जागरुक करते हुए इसका इलाज कराने के लिए लोगों को प्रोत्साहित कर रहा है। उक्त रथ के माध्यम से टीबी रोगियों के लिए शासन द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का भी प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।

टीबी होने पर डरें नहीं, इलाज कराएं


उन्होंने टीबी रोग के लक्षण बताते हुए कहा कि टीबी होने पर मरीज का वजन कम होने लगता है, उसे लगातार बुखार रहता है और खांसी के साथ खून आने लगता है। ऐसे में मरीज को बिना डरे तुरंत अपने नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर जाकर जांच करानी चाहिए ताकि समय पर उसका इलाज हो सके। उन्होंने बताया कि जिले के ज्यादातर स्वास्थ्य केन्द्रों पर टीबी की जांच हेतु निशुल्क व्यवस्था है। इसके साथ ही रोगी को इलाज शुरु होने से लेकर स्वस्थ होने तक प्रतिमाह 1 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है। उन्होंने बताया कि चूंकि टीबी रोग मरीज के संपर्क में आने से फैलता है इसलिए लोग इससे छिपाने का प्रयास करते हैं लेकिन ऐसा करने की बजाय मरीज को अपना इलाज कराना चाहिए और उसके परिजनों को मरीज से दूरी बनाने की बजाय अपनी जांच कराने के बाद सावधानी बरतनी चाहिए।