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छतरपुर

नगडिय़ा और ढोलक की थाप पर नाचे मौनी, जटाशंकर-मतंगेश्वर मंदिर भी पहुंचे मौनिया दल

प्राचीन नृत्य मौनिया, जिसे सेहरा और दिवारी नृत्य भी कहते हैं, बुंदेलखंड के गांव-गांव में पुरुषों द्वारा घेरा बनाकर, मोर के पंखों को लेकर, मोहक अंदाज में नृत्य किया जाता है।

छतरपुरNov 02, 2024 / 10:50 am

Dharmendra Singh

matangeshwar temple

मतंगेश्वर पहुंचे मौनिया दल

छतरपुर. जिले के प्रमुख धाॢमक स्थलों पर मौनिया नृत्य का आयोजन किया जा रहा है। मौनी नृत्य मौनी परमा और दीपावली के समय किया जाता है। प्राचीन नृत्य मौनिया, जिसे सेहरा और दिवारी नृत्य भी कहते हैं, बुंदेलखंड के गांव-गांव में पुरुषों द्वारा घेरा बनाकर, मोर के पंखों को लेकर, मोहक अंदाज में नृत्य किया जाता है।

दिवारी नृत्य की जिले भर में धूम


पंरपरा के अनुसार दीपावली से समूचे बुंदेलखंड में दिवारी नृत्य किया जा रहा है। जिले के प्रमुख धार्मिक स्थलों सहित शहर के गली-मोहल्लों में दिवारी नृत्य करने वाले ग्रामीण झूमकर नाचते दिखे। ग्रामीण अंचलों से आए दिवारी नृत्य करने वाले दल विभिन्न राजनेताओं के निवास पर भी पहुंचे जहां नेता भी उनके साथ नाचकर उनका हौसला बढ़ाते नजर आए। मौनिया नृत्य करने वाले दल भाजपा नेता पुष्पेन्द्र प्रताप सिंह के निवास पहुंचे, जहां उन्होंने मौनिया नृत्य किया गया। बाद में उनका परंपरानुसार सम्मान कर विदाई दी गई। पूर्व विधायक आलोक चतुर्वेदी के सागर रोड स्थित निवास खेलग्राम में ढोलक की थाप और नगडिय़ा की टंकार पर मौनिया दल जमकर नाचे। हाथों में मोर पंख का मूठा लिए, पारंपरिक वेशभूषा में पूरी उमंग के साथ नाचते हुए मौनयों को देख सभी लोग प्रफुल्लित हो उठे।

विदेशी सैलानियों ने जानीं दिवाली की बुंदेली परंपराएं


खजुराहो में कुछ विदेशी सैलानी हिंदु धर्म के सबसे बड़े त्योहार दीपावली की मान्यताओं और इसे मनाने के बुंदेली तौर-तरीकों को समझते नजर आए। विदेशी सैलानी दीपावली के त्योहार को मनाने के बुंदेली तरीकों से प्रभावित हुए और उन्होंने बुंदेली संस्कृति की सराहना की। उल्लेखनीय है कि मतंगेश्वर महादेव मंदिर में जिले भर के मौनिया दल पहुंचें, जो कि पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहते हैं।

प्रमुख मंदिरों में रही धूम


शक्ति संचय के इस पर्व के दौरान खजुराहो के मतंगेश्वर मंदिर में रात से ही समूचे बुंदेलखंड से हजारों मौनिया दल पारंपरिक वेशभूषा में मौन व्रत रखकर पहुंचना शुरु हो गए थे। कृष्ण भक्त मौनियों ने ढोलक की थाप और नगडिय़ों की ताल पर पारंपरिक दिवारी नृत्य कर भगवान की आराधना की। मौनिया नर्तक दल समूहों ने मोरपंख के साथ लाठियां लेकर प्रस्तुतियां दीं जिसे देख लोग रोमांचित हो उठे। मतंगेश्वर महादेव के दर्शन के बाद दलों ने अपने मौन व्रत खोले। इसी तरह जटाशंकर धाम में मौनिया दलों की भरमार रही। दिन भर विशिष्ट वेशभूषा में देसी वाद्य यंत्रों की धुन पर मौनिया नृत्य करते रहे। इसके अलावा भीमकुंड सहित जिले के सभी प्रमुख मंदिरों व नगरों व गांवों में दिवारी नृत्य की धूम रही।

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