एक भी टंकी पूरी नहीं, 40 टंकियों का काम शुरू तक नहीं
परियोजना के तहत 102 टंकियां बनाई जानी हैं, लेकिन अब तक एक भी टंकी पूरी तरह तैयार नहीं हो सकी है। खास बात यह है कि 40 टंकियों का निर्माण कार्य अभी तक शुरू ही नहीं हो पाया है। धर्मपुर गांव में मात्र 40 प्रतिशत कार्य ही पूर्ण हो सका है, जबकि कटहर, भवानीपुर कटिया, सलैया, मुडऱी और मढ़ा जैसे गांवों में निर्माण की शुरुआत तक नहीं हुई है।पाइपलाइन और प्लांट का भी यही हाल
घरों तक पानी पहुंचाने वाली मुख्य पाइपलाइन अधूरी है और घरों में कनेक्शन की लाइन डालने का कार्य शुरू तक नहीं हुआ है। परियोजना में मझगुवां डेम से पानी लाने की योजना है, जिसके लिए फिल्टर प्लांट और संपवेल का निर्माण आवश्यक है। फिलहाल फिल्टर प्लांट का कार्य केवल 25 प्रतिशत ही पूरा हो सका है, जबकि 750 किमी लंबी पाइपलाइन बिछाई जानी है।वन भूमि के लिए अनुमति चाहिए
निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर भी गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं। आरोप हैं कि कई स्थानों पर पाइपलाइन निर्धारित एक मीटर की जगह मात्र डेढ़ से दो फीट गहराई में डाली गई है, जिससे भविष्य में क्षतिग्रस्त होने की आशंका बढ़ जाती है। प्रोजेक्ट की धीमी गति का कारण भूमि अधिग्रहण और वन विभाग से अनुमति में देरी भी है। मुख्य पाइपलाइन का एक हिस्सा वन क्षेत्र से होकर गुजरना है, जिसके लिए 3.5 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है, लेकिन अभी तक अनुमति नहीं मिल पाई है। इस प्रक्रिया में अभी भी लगभग तीन महीने का समय लग सकता है।
देरी का फायदा उठा सकती है कंपनी
रिटायर्ड अधिकारी जेपी द्विवेदी के अनुसार, प्रोजेक्ट का 50 प्रतिशत कार्य ही हुआ है और यह तय समयसीमा से लगभग एक साल पीछे है। बड़ी कंपनियां अक्सर इस देरी को कानूनी आधार बनाकर रेट रिवीजन और एक्सटेंशन मांगती हैं, जिससे उन्हें आर्थिक लाभ होता है। प्रोजेक्ट को अंजाम देने वाली गुजरात की एलसीसी कंपनी अब तक के कार्य में पीछे रही है और अब भूमि की देरी और वन विभाग की अनुमति को आधार बनाकर समय सीमा बढ़वाने और दरों में संशोधन का प्रयास कर सकती है।
जल निगम का पक्ष: अब तेजी लाई जाएगी
जल निगम के प्रबंधक हिमांशु अग्रवाल ने जानकारी दी कि अब सभी टंकियों के लिए जमीन मिल गई है और काम में तेजी लाई जाएगी। जल निगम 101 टंकियों का निर्माण कर रहा है जबकि 1 टंकी का कार्य पीएचई के पास है। वहीं, महाप्रबंधक एलएल तिवारी ने बताया अब तक 60 टंकियों का कार्य शुरू किया जा चुका है और 60 प्रतिशत प्रोजेक्ट पूरा हो चुका है। कंपनी को कुछ समय का एक्सटेंशन देने पर विचार किया जा रहा है।”
पत्रिका व्यू
हर घर नल जल जैसा महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट यदि तय समय पर पूरा नहीं हुआ, तो 278 गांवों के लाखों लोगों को पानी की उपलब्धता पर गंभीर असर पड़ेगा। परियोजना की गुणवत्ता, पारदर्शिता और समय प्रबंधन को लेकर स्थानीय प्रशासन और सरकार को सख्त निगरानी रखनी होगी, ताकि यह जनकल्याणकारी योजना केवल फाइलों तक सीमित न रह जाए।