खौंप, गौरगांय में भी पीएम आवास नहीं, आवेदन के बाद भी जनपद पंचायतों ने नहीं दिया लाभ
छतरपुर. दो गांव के नाम एक जैसे होने के चलते एक गांव को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। नौगांव जनपद पंचायत के अंतर्गत नैगुवां पंचायत है, वहीं गुंदारा पंचायत में नैगुवां नाम से एक गांव हैं। योजना के तहत सर्वे किया गया तो गुंदारा के नैगुवां में 25 परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए पात्र पाया गया। लेकिन जब योजना का लाभ देेने की बारी आई तो नैगुवां पंचायत के लोगों को आवास दिए गए और गुंदारा पंचायत के नैगुवां गांव के लोग प्रधानमंत्री आवास योजना से वंचित हो गए। ग्रामीणों ने इसकी शिकायत अधिकारियों से कई बार की, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में गुंदारा के नैगुवां के रहवासी एक जैसे नाम का खामियाजा भुगत रहे हैं।
ऑनलाइन सिस्टम में एक ही नैगुवां
नौगांव जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत गुंदारा के गांव नैगुवां में प्रधानमंत्री आवास के लिए सर्वे कराया गया तो 25 परिवार कच्चे घरों या झोपड़ी में रहते पाए गए। इन परिवारों को आवास योजना का लाभ देने के लिए प्रस्ताव भी बनाया गया। लेकिन प्रधानमंत्री आवास के पोर्टल पर गुंदारा पंचायत के नैगुवां की जगह नैैगुवां पंचायत का नाम ही दिख रहा था। इस तरह से आवास योजना नैगुवां गांव की जगह नैगुवां पंचायत में ट्रांसफर हो गई।
ये कहना है ग्रामीणों का
नैगुवां गांव के भल्लू अहिरवार, प्यारे लाल कुशवाहा, हल्कू कुशवाहा, ओमप्रकाश अहिरवार, गनेश प्रसाद, बाबूलाल समेत 25 लोगों ने पांच साल पहले पीएम आवास योजना के तहत आवेदन किया था। सरपंच-सचिव ने नौगांव जनपद को सूची भी दी। लेकिन अधिकारियों ने पीएम आवास नैगुंवा पंचायत में जोड़ दिए। जब जांच हुई तो नैगुंवा पंचायत में ये लोग नहीं पाए जाने से इनके आवेदन निरस्त हो गए, जबकि ये लोग नैगुंवा गांव में रह रहे हैं, जहां से उन्होंने आवेदन किया था।
गौरगांय के 120, खौप के 164 लोग रह गए वंचित
जिला मुख्यालय से नौगांव मार्ग पर स्थित गौरगांय पंचायत के 120 लोगोंं ने 5 साल पहले प्रधानमंत्री आवास के लिए आवेदन दिया था। लेकिन एक भी व्यक्ति को योजना का लाभ नहीं मिल पाया है। जबकि पंचायत में अब भी 113 मकान कच्चे हैं। इसी तरह से जिला मुख्यालय से महोबा जाने वाले मार्ग पर स्थित खौंप पंचायत के 164 लोगों का पीएम आवास प्लस सूची में नाम नहीं जुडऩे से उन्हें भी लाभ नहीं मिल पाया है। पूरे गांव में पांच साल से एक भी ग्रामीण को योजना का लाभ नहीं मिला है।