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प्रताप सागर तालाब के घाट पर ही बनाया जाने लगा भवन

-सरकार बदलते ही शहर के तालाबों पर अतिक्रमण करने फिर सक्रिय हुए भूमाफिया

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Chhatarpur

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छतरपुर। शहर के सबसे सुरक्षित और साफ तालाब के रूप में पहचान स्थापित करने वाला प्रताप सागर तालाब भी अब भूमाफियाओं की गिरफ्त में जाने लगा है। शनिवार को यहां अचानक से कुछ लोगों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार निर्माण कार्य शुरू कर दिया। तालाब के मुख्य घाट पर ही दुकानों का निर्माण कार्य कराना जाने लगा है। जब यहां सुबह लोगों ने निर्माण कार्य होते देखा तो हैरान रह गए। प्रशासनिक अधिकारियों को भी इस बारे में सूचना दी गई लेकिन कोई भी मौके पर नहीं पहुंचा। तालाब के घाट पर निर्माण के लिए लोगों ने शनिवार का दिन चुना, ताकि रविवार के अवकाश के दिन भी यहां निर्माण कराया जा सके। वहीं मामला विवादित होने के बाद अचानक से लाल कड़क्का रामलीला समिति सामने आ गई। समिति का कहना था कि वह खुद निर्माण करवा रही है।
जानकारी के अनुसार प्रताप सागर तालाब में राजमहल के सामने तरफ प्राचीन लालकड़क्का मंदिर है। यहीं पर अखाड़ा भी था। मंदिर के सामने अखाड़ा के लिए एक सार्वजनिक कक्ष बना है। इसी कक्ष से लगाकर कुछ लोगों द्वारा दुकानों का निर्माण शनिवार को अचानक से शुरू करा दिया गया। जब लोगों ने यहां काम कर रहे कारीगरों से बातचीत की तो बताया गया कि उन्हें निर्माण का ठेका मिला है। मौके पर कुछ प्रभावशाली लोागों को भी ठेके पर बैठाया गया था। प्रशासन तक इस बारे में सूचना भेजे जाने के बाद भी कोई मौके पर नहीं पहुंचा। इसके पहले भी तालाब के घाट पर एक भवन का निर्माण करा दिया गया था, जिसमें पानी का प्लांट चलता है और वहीं दुकान भी किराए से दे दी गई। तालाब के संरक्षण के काम में लगे प्रताप नवयुवक संघ और पर्यावरण वाहनी के लोग एक तरफ हर दिन तालाब की सफाई करके उसे सुंदर बनाने में लगे हैं, वहीं कुछ भूमाफिया प्रशासन के संरक्षण में तालाबों के घाट तक पर निर्माण करने में लग गए हैं।
दानपत्र के आधार पर कराया जा रहा निर्माण :
शहर में जितने भी अवैध निर्माण किए जाते हैं उन सबके पीछे छतरपुर रियासत के महाराजा भवानी सिंह का दानपत्र लगा होता है। प्रताप सागर तालाब के घाट पर हो रहे निर्माण को लेकर भी एक ऐसे ही दानपत्र का हवाला दिया जा रहा है। बताया गया है कि मंदिर के सामने घाट किनारे एक पुराना कमरा लाल कड़क्का अखाड़े के लिए पहलवान पन्ना गुरू ने बनवाया था। वह कक्ष सार्वजनिक था, किसी की व्यक्तिगत संपत्ति नहीं थी, लेकिन इसी भवन की आड़ में पन्ना गुरू के बेटों ने यहां पर दुकानों का निर्माण शुरू करा दिया है। इसके लिए वे दानपत्र का हवाला दे रहे हैं।
मंदिर की पुजारी बोलीं हम करा रहे निर्माण :
लाल कड़क्का मंदिर की पुजारी बसंती बाई चतुर्वेदी ने कहा है कि यह निर्माण कार्य वे करवा रही हैं। मंदिर की जमीन भगवान के नाम पर है और वे इसमें बाहर से आने वाले साधू-संतों के ठहरने के लिए धर्मशाला बनवा रही हैं। लेकिन वे यह नहीं बता पाईं कि निर्माण के लिए रुपए किसने दिए और किससे अनुमति लेकर निर्माण कार्य करवाया जा रहा है। इस सवाल पर वे शांत हो गईं। उधर प्रताप नवयुवक संघ सहित शहर के समाजसेवी संगठनों ने तालाब के घाट पर मनमाने तरीके से कराए जा रहे निर्माण कार्य को रुकवाने की मांग की है।
समिति करा रही निर्माण :
लाल कड़क्का रामलीला समिति के सचिव नरेंंद्र चतुर्वेदी का कहना है कि उनकी समिति मंदिद की जमीन पर धर्मशाला का निर्माण करा रही है। मंदिर की भूमि खसरा नंबर 2810 पर मंदिर में नियुक्ति पुजारी द्वारा संत निवास का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। किसी भी शासकीय या तालाब की भूमि पर निर्माण नहीं हो रहा है।
समाजसेवी बोले- ऐसे तो खत्म हो जाएगा तालाब :
शहर में लंबे समय से तालाबों की सफाई और संरक्षण के लिए काम करने वाले समाजसेवियों ने तालाब के घाट पर कराए जा रहे निर्माण को अनुचित बताया है। समाजसेवी डीडी तिवारी, श्ंाकर सोनी, प्रदीप सेन, अनिल सोनी सहित तालाब के जीर्णोद्वार में लगे लोगों का कहना है कि तालाब के घाट के पास अब किसी भी तरह का निर्माण नहींं होना चाहिए। अगर हर कोई इसी तरह निर्माण करवाता रहा तो पूरा तालाब का क्षेत्र ही नष्ट हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर संत निवास बनाना ही है तो मंदिर परिसर के अंदर ही इतनी जगह है कि वहां अच्छे से संत निवास बनाया जा सकता है।
आरआइ पटवारी को भेजकर हटवाता हूं :
प्रताप सागर तालाब शहर की धरोहार है। इस पर किसी भी तरह का निर्माण कार्य करना अनुचित है। मैं तुरंत आरआइ-पटवारी को भेजकर तालाब पर से कब्जा हटवाता हू।
- कमलेश पुरी, एसडीएम छतरपुर