
जिला अस्पताल छतरपुर
छतरपुर. सरकारी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों की ओर से निजी अस्पताल चलाने का मामला अब सुर्खियों में आ गया है। कई सरकारी डॉक्टरों के निजी अस्पतालों में मरीजों का इलाज किए जाने की सूचना के बाद प्रशासन ने कुछ मामलों की जांच शुरू की थी, लेकिन अब तक इनमें से किसी भी डॉक्टर के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं की गई है, और बाकी मामलों की जांच तक नहीं की जा रही है।
जिला अस्पताल के सरकारी डॉक्टर मरीजों को अपने निजी अस्पतालों में ले जाकर लाखों वसूल रहे हैं। ऐसे दो मामले सामने आने पर कलेक्टर ने सीएमएचओ और एसडीएम की टीम से छापेमारी कराई। छापेमारी में डॉ. राजेंद्र धमनया निजी अस्पताल में सरकारी अस्पताल से लाए गए मरीज का ऑपरेशन करते पकड़े गए, लेकिन अब तक उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकी है। वहीं डॉ.रवि सोनी के मामले में आज तक प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की है। इससे प्रशासन की मंशा पर सवाल उठने लगे हैं।
छतरपुर के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में तैनात डॉक्टर अपनी सरकारी ड्यूटी के दौरान ही अपने निजी अस्पतालों में मरीजों को देख रहे थे। सरकारी अस्पतालों में मरीजों को इलाज देने के बजाय वे अपने निजी क्लीनिकों या अस्पतालों में ज्यादा समय बिता रहे थे, जिससे सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रतिकूल असर पड़ रहा था। इसके अलावा, सरकारी अस्पतालों में मरीजों को होने वाली लंबी प्रतीक्षा सूची और सुविधाओं की कमी की समस्या भी बढ़ गई थी।
इस मुद्दे पर पहली बार तब गंभीर ध्यान केंद्रित किया गया जब डॉक्टर राजेंद्र धमनया जो सरकारी अस्पताल में पदस्थ है, अपने निजी अस्पताल में इलाज करते हुए पकड़े गए। इसके बाद जिला प्रशासन ने जांच के आदेश दिए थे और संबंधित अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की बात की थी। हालांकि, इस मामले में अब तक कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। सूत्रों के अनुसार, सरकारी अस्पतालों में कार्यरत कुछ अन्य डॉक्टरों के खिलाफ भी शिकायतें आई हैं कि वे अपनी ड्यूटी के दौरान निजी अस्पतालों में मरीजों का इलाज कर रहे हैं, लेकिन इन मामलों की जांच भी अब तक पूरी नहीं हो पाई है।
इस मुद्दे पर छतरपुर के नागरिकों में नाराजगी देखी जा रही है। नागरिकों का कहना है कि सरकारी डॉक्टरों का निजी अस्पताल चलाना न केवल सरकारी अस्पतालों की सेवाओं को प्रभावित करता है, बल्कि यह सरकार की नीतियों का उल्लंघन भी है। सरकारी अस्पतालों में मरीजों को उपचार देने के लिए तैनात डॉक्टर जब निजी प्रैक्टिस करेंगे, तो इसका असर स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर पड़ेगा।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है, लेकिन कार्रवाई में देरी का कारण कुछ कानूनी प्रक्रियाएं और जांच की लंबाई हो सकती है। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, हम मामले की गंभीरता से जांच कर रहे हैं। कुछ मामलों में कानूनी प्रक्रिया लंबी हो सकती है, लेकिन कार्रवाई की जाएगी।
अधिकारियों ने यह भी बताया कि विभाग ने अब सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिसमें सरकारी डॉक्टरों को अपनी ड्यूटी के दौरान निजी अस्पतालों में काम करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। साथ ही, विभाग ने यह भी निर्देश दिए कि ऐसे मामलों की जल्दी से जल्दी जांच हो और दोषी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाए। लेकिन निर्देश देने के बाद अफसर भूल जाते हैं।
हालांकि, इस मुद्दे को लेकर छतरपुर के लोगों में असंतोष और निराशा व्याप्त है। नागरिकों का कहना है कि जब तक कार्रवाई नहीं होगी, तब तक यह समस्या जारी रहेगी। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द से जल्द विभाग इस मामले को गंभीरता से लेकर कार्यवाही करेगा ताकि सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने वाले मरीजों को उचित सेवा मिल सके और डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस से सरकारी सेवाओं पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े। अभी तक इस मामले में किसी डॉक्टर पर कार्रवाई नहीं की गई है, और बाकी मामलों की जांच भी लंबित है, जिससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या प्रशासन सख्त कदम उठाने में सफल हो पाएगा या यह मामला केवल सुस्त प्रशासनिक प्रक्रिया का शिकार हो जाएगा।
Updated on:
31 Jan 2025 10:47 am
Published on:
31 Jan 2025 10:46 am
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