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कंदरिया महादेव के आंगन में उतर आए राधा कृष्ण व गोपियां, रासलीला से लुभाया

कृष्ण की सौम्यता व काली के रौद्र स्वरुप ने किया आक र्षित Radha Krishna and Gopis came down in the courtyard of Kandariya Mahadev, wooed by Rasleela

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Radha Krishna and Gopis came down in the courtyard of Kandariya Mahadev, wooed by Rasleela

Radha Krishna and Gopis came down in the courtyard of Kandariya Mahadev, wooed by Rasleela

खजुराहो. खजुराहो नृत्य समारोह की छटवीं शाम नृत्यांगना देविका देवेंद्र एस मंगलामुखी और साथियों द्वारा कथक समूह नृत्य से शुरू हुई। वहीं दूसरी प्रस्तुति में रुद्राक्ष फाउंडेशन भुवनेश्वर के कलाकारों ने कृष्ण व काली के रुप, स्वभाव और कार्यो का वर्णन किया। आखरी प्रस्तुति में नायिका के रुप में भगवाना से प्रेम को दर्शाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।
देविका देवेन्द्र एस मंगलामुखी कथक नृत्यांगना कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी कला से ख्याति और पुरुस्कार अर्जित करने वाली दूरदर्शन केन्द्र भोपाल की बी ग्रेड श्रेणी की कलाकार हैं। ट्रांसजेंडर देविका एक नृत्य कलाकार होने के साथ साथ महिला अधिकारों और ट्रांसजेंडर समुदाय(महिला तथा पुरुषों से भिन्न) के लिए भी पूर्ण समर्पण से कार्य करने वाली समाज सेविका भी हैं। उन्होंने खजुराहो नृत्य महोत्सव के मंच पर लखनऊ घराने के कत्थक के अंदाज़ में अमीर खुसरो का रे मन वयां प्रस्तुत किया। इसके बाद सरगम की एक ताल में सलाम और इसके बाद पारंपरिक तीन ताल में उत्थान थाट टुकड़े परण सवाल जवाब प्रस्तुत किया जिसमें अभिनय में राधा कृष्ण एवं गोपियों के छेड़छाड़ का गत भाव और अंत में एक खूबसूरत गजल मेरे दिल को दाग लगा गए प्रस्तुत की।
समारोह की दूसरी प्रस्तुति में रुद्राक्ष फाउंडेशन भुवनेश्वर के कलाकारों द्वारा ओडिसी समूह नृत्य प्रस्तुत किया गया। काली कृष्ण की प्रस्तुति दी गई, जिसमें कृष्ण और काली के बीच कई समानताओं को बताया गया। जहां कृष्ण करुणा से ब्रह्मांड की रक्षा करते हैं,वहीं काली अपनी उग्रता से उसमें रहने वाले प्रत्येक प्राणी के जन्म और मृत्यु के चक्र को बनाए रखती है। नृत्य में कृष्ण को विष्णु का अवतार तथा काली को शक्ति के रूप में अवतरित दिखाया गया। नृत्य में कृष्ण तथा काली के श्रृंगार का वर्णन दिखाया,कृष्ण,विष्णु के अवतार,और काली, शक्ति के अवतार, एक दिव्य उद्देश्य के लिए पृथ्वी पर उतरते हैं, बुराई को खत्म करने और शांति बहाल करने के लिए कृष्ण को दयालु और काली को उग्र श्यामा के रूप में चित्रित किया गया।

कृष्ण,सफेद गायों से घिरे हुए हैं और शांत और प्रेमपूर्ण दिखते हुए, वृंदावन में रहते हैं। गीदड़ों से घिरी काली, भयंकर गरज के साथ, श्मशान घाट में रहती है। कृष्ण यमुना नदी में नृत्य करते हैं और गोपियों में लीन हैं और काली रक्त के समुद्र में नृत्य करते हैं।
कृष्ण को कमल के आकार की आंखों वाले और आकर्षक स्वभाव वाले, एक बांसुरी धारण करने वाले, जिसके साथ वे गोपियों को लुभाते हैं,राधा को समर्पित हैं,और काली, जिसे अपने बाएं हाथ में खोपड़ी और तलवार पकड़े हुए दिखाया गया है,और दाईं ओर अभय मुद्रा,जो निडरता के साथ आशीर्वाद का प्रतीक बताया।

भगवान शिव के साकार तथा निराकार रूप की स्तुति की
समारोह की तीसरी प्रस्तुति में नृत्यांगना नयनिका घोष और साथियों द्वारा कथक समूह नृत्य प्रस्तुत किया गया। कथक विधा की एक जानी-मानी नृत्यांगना नयनिका घोष चौधरी अपनी विशिष्ट नृत्य शैली के लिए विख्यात हैं कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों और अवार्डों से सम्मानित के साथ आईसीसीआर तथा दूरदर्शन की शीर्ष कलाकारों में शामिल नयनिका घोष चौधरी ने कथक नृत्य में मूर्ता-अमूरता की प्रस्तुति दी, जिसमें राग योग और ताल अदचौताल में ब्रम्हांड की सर्वोच्च शक्ति भगवान शिव के साकार तथा निराकार रूप की स्तुति की। इसके बाद नयनिका घोष द्वारा कथक के तकनीकी पहलुओं पर एकल नृत्य हुआ। इसके बाद हिंदू और सूफियाना परंपरा से ली गई ठुमरी प्रस्तुत हुई, जिसमें नायिका भगवान को प्रिय और मनुष्य को प्रेमी के रूप में मानती हैं। सखियां नायक और नायक के प्रेम संबंधों की मध्यस्थता और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती दिखाई दी। इसके बाद एरी सखी कासे कहु कान्हा किन्ही चतुराई में की प्रस्तुति दी, जहां राधा अपनी सखियों से शिकायत करना और कृष्ण के मज़ाक से नाराज़ महसूस कर रही हैं।
विभिन्न कलाओं की झलक के साथ आज खजुराहो महोत्सव का होगा समापन
मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग के उस्ताद अलाउद्दीन खॉ संगीत एवं कला अकादमी मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद् द्वारा 1975 से प्रतिवर्ष होने वाले खजुराहो नृत्य समारोह को इस वर्ष आजादी का अमृत महोत्सव के तहत आयोजित किया गया है। डांस फेस्टिवल में शिल्प मेला में समारोह स्थल पर 50 से ज्यादा शिल्पियों की दुकानें लगी हैं जो आकर्षण का केन्द्र बनी हुई हैं। इन दुकानों से यहां आने वाले लोग कलाकारों के हाथों से निर्मित अपनी जरूरतों के साथ साज-सज्जा का सामान खरीद रहे हैं। वहीं, बुन्देली व्यारी आयोजन स्थल पर सितारा होटलों सहित बुन्देली व्यंजनों के स्टॉल लगे हैं जहां पर बुंदेलखंड के स्वादिष्ट, लजीज पकवानों का लोग आनंद उठा रहे हैं। इसके अलावा नेपथ्य के अंतर्गत भारतीय नृत्य शैली'कथक' का सांस्कृतिक परिदृश्य एवं कलायात्रा और आर्ट मार्ट के अंतर्गत भारत सहित विश्व के अन्य देशों की कला प्रदर्शनी, कलावार्ता के अंतर्गत देश भर से आये कलाकारों तथा कलाविदों का संवाद, हुनर के अंतर्गत देशज ज्ञान एवं कला परम्परा का मेला व चल-चित्र में कला परम्परा और कलाकारों पर केन्द्रित फिल्मों का प्रदर्शन के आखरी दिन के साथ शनिवार को 48वां खजुराहो नृत्य समारोह का समापन हो जाएगा।