
विल्डिंग मटेरियल के लिए हो रहा ट्रैक्टर का उपयोग
छतरपुर. खेती-किसानी कार्य के लिए पंजीकृत व उपयोग किए जाने वाले ट्रैक्टर-ट्रॉली से जिले में भवन निर्माण सामग्री ढोया जा रहा है। ये ट्रैक्टर और ट्रॉली कृषि कार्य के लिए पंजीकृत हैं, लेकिन इनका उपयोग वर्षों से भवन निर्माण सामग्री ढोने, बारात ले जाने, सवारियों को ले जाने और शासकीय कार्यों के लिए किया जा रहा है। शहर सहित आसपास के ग्रामीण अंचलों की सड़कों पर ट्रैक्टर-ट्रालियों में रेत, ईंट, गिट्टी, छड़ आदि का परिवहन करते देखा जा सकता है। परिवहन विभाग का नियंत्रण नहीं होने से ट्रैक्टर मालिक और चालक बेखौफ होकर सामान ढोने का व्यापार चला रहे हैं।
आधुनिक युग में कृषि के क्षेत्र में विकास के लिए ट्रैक्टर-ट्रॉली को उपयोग में लाया गया है, लेकिन प्रतिस्पर्धा की होड़ में कृषि कार्यों के लिए उपयोग होने वाले ट्रैक्टर-ट्रॉली से व्यवसाय करने में लग गए हैं। ट्रैक्टर मालिकों के पास रेत व भवन निर्माण सामग्री ढोने के लिए कागजात नहीं है और न ही किसी भी प्रकार का फिटनेस चेकअप करवाते हैं। इनके पास देखा जाए तो जो व्यक्ति ट्रैक्टर चलाते हैं, उनके पास ड्राइविंग लाइसेंस तक नहीं होता है। ट्रैक्टर और ट्रॉली से कृषि कार्य की आड़ में धड़ल्ले से व्यवसायिक उपयोग कर रहे हैं। थाना के सामने से होकर शहर की सड़कों में बेखौफ होकर दौड़ाते हैं। जिस पर संबंधित विभाग लगाम नहीं कस पाया है। अधिकतर बिना कागजात, लाइसेंस और बिना किसी खौफ के ट्रैक्टरों में सीमेंट, रेत, ईंट, गिट्टी, मुरम, छड़, पानी का टैंकर, सरकारी राशन आदि ढोया जा रहा है। शहर की सड़कों में रेत को गिराते हुए चलते हैं, जिससे आम नागरिकों को परेशानी होती है। बिना नंबर के ट्रैक्टर और ट्रालियां दौड़ाए जा रहे हैं। इससे कभी भी दुर्घटना घटने की आशंका बढ़ जाती है। बीते दिनों रेत से भरे टै्रक्टरों से कई घटनाएं सामने आई हैं। आरटीओ विभाग की ओर से बताया कि जिले भर में करीब ४५ हजार से अधिक ट्रैक्टर कृषि कार्य के लिए पंजिकृत हैं और करीब १ हजार ट्रैक्टर व्यापारिक उपयोग के लिए पंजिकृत हैं।
नौसिखिए व नाबालिग चला रहे वाहन
खासकर ग्रामीण अंचल में नौसिखिए ट्रैक्टर चलाते हैं, ऐसे नौसिखिए के पास लाइसेंस भी नहीं होता। गांव की सड़कों पर तेज गति से दौड़ाते हैं, जिससे अनहोनी से इंकार नहीं किया जा सकता। शहर अंचल में भी नाबालिग को तेज रफ्तार में ट्रैक्टर चलाते आसानी से देखा जा सकता है। बीते वर्षों में एक ट्रैक्टर ट्रॉली सहित हुए में गिर गया था। व बीते दिनों कई ट्रैक्टर पलटने से कई लोगों की मौत भी हुई है।
खटारा ट्रैक्टरों का हो रहा उपयोगकृषि कार्य के उपयोग में आने वाले ट्रैक्टरों का पिटनेस चेक नहीं करवाते हैं। ऐसे में कंडम और खटारा ट्रैक्टरों को भी भवन निर्माण सामग्री ढोने, कृषि कार्य करने के लिए किया जा रहा है। लोगों का कहना है कि ऐसे ट्रैक्टर मालिकों के उपर कार्रवाई करना चाहिए।
नहीं मिल पाता है क्लेम
कृषि कार्य के नाम पर पंजीकृत ट्रैक्टर-ट्रॉलियों का जिले में व्यावसायिक उपयोग होने से एक ोर जहां शासन को लाखों रुपए के टैक्स की हानि तो हो रही है, वहीं दुर्घटना होने पर लोगों को क्लेम लेने में भी परेशानी आती है। लेकिन परिवहन विभाग द्वारा इस ओर नियमित कार्रवाई नहीं की जा रही है। कई ट्रैक्टरों का लोग बीमा नहीं कराते हैं ऐसे में दुर्घटना के बाद लोगों बीमा क्लेम के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है।
Published on:
02 Mar 2024 05:41 pm
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