छतरपुर. कोतवाली थाना क्षेत्र के नारायण पुरा स्थित दुर्गा असाटी के गोदाम की जांच में कई गड़बडिय़ां सामने आई हैं। फूड सेफ्टी विभाग की जांच में यह खुलासा हुआ है कि गणेश असाटी की गोदाम में नामी कंपनियों की बोरी चावल और पोहा की पैकिंग होने के बाद भी लेबल रजिस्ट्रेशन नहीं पाया है। खाद्य सुरक्षा अधिकारी अमित वर्मा ने दावा किया है कि गोदाम में नामी कंपनियों के रैपर में लोकल चावल और पोहा की पैकिंग की जा रही थी। असाटी गोदाम के संचालक के यहां खाद्य पदार्थों की पैकिंग का लाइसेंस भी नहीं मिला है। एसडीएम के नेतृत्व में की गई कार्रवाई के दौरान हजारों क्विंटल ऐसा चावल मिला है जिसके दस्तावेज नहीं नजर आए। प्रथम दृष्टया यह चावल पीडीएस का समझ में आया है हालांकि खाद्य सुरक्षा अधिकारी सेम्पल लेकर जांच कर रहे हैं। वहीं गंदगी पाए जाने पर नगर पालिका की ओर से 40 हजार रूपए का जुर्माना किया गया है।
नामटीन कंपनियों के नाम पर हो रही पैकिंग
खाद्य सुरक्षा विभाग की जांच में असाटी गोदाम में हजारों क्विंटल लूज चावल पाए जाने की जानकारी सामने आई है। फूड सेफ्टी ऑफिसर ने बताया कि बड़ी मात्रा में लू चावल और नामी कंपनियों के नाम बोरी और रैपर पाए जाने से यह आशंका है कि लोकल राइस की इनमें पैकिंग की जा रहीं थी। उन्होंने बताया कि मामला सीधे आम लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा होने के कारण हर पहलू की बारीकी से जांच की जा रही है। खाद्य पदार्थ के 5 सैंपल खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने मिलावट के संदेह पर लू चावल, किचन किंग राइस, देवभोग प्रीमियम बासमती राइस, सारटेक्स राइस, श्रेयांश भोग 24 कैरट बासमती राइस, माता का आशीर्वाद प्रीमियम पोहा के सैंपल लिए हैं। टीम ने खाद्य पदार्थो की सैंपलिंग करते हुए नमूने जांच के लिए प्रयोगशाला भेजे हैं।
स्टॉक का मांगा ब्यौरा
संचालक से ब्यौरा तलब असाटी गेदान में गेहूं, चावल और पोहा, का 5 हजार क्विंटल से अधिक भंडारण पाए जाने पर खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने स्टॉक का ब्यौरा तलब किया है। उन्होंने बताया कि रिकॉर्ड की बारीकी से जांच में यह पता चल पाएगा कि गोदाम में भंडारित गेहूं, चावल और पोह का स्टॉक वैध है या फिर अवैध फिलहाल टीम ने बताया गोदाम संचालक के पास फूड सेफ्टी द्वारा जारी लाइसेंस नहीं मिला है।
लाइसेंस रिन्यू नहीं हुआ
दुर्गा असाटी जिस मिल के माध्यम से लाखों बोरी चावल बेच चुके हैं उसी मिल के लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं किया गया है। तहसीलदार सुनील वर्मा ने बताया कि चावल मिल में मौजूद राशन की जांच के अलावा मिल संचालित करने के दस्तावेजों की जांच में यह बात सामने आई कि 2020 के बाद मिल के लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं हुआ है। इसका मतलब यह है कि बिना नवीनीकरण के ही पिछले 3 सालों से यह मिल बे रोक-टोक चल रहे है।