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सरकार ने कहा पलायन नहीं, लेकिन संभाग के छह जिले से 22 हजार मजदूर महानगरों में ले रहे राशन

राज्य सरकार ने पिछले विधानसभा सत्र में बुंदेलखंड में पलायन नहीं होने की बात कही है। लेकिन खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के आंकड़े अलग ही कहानी कह रहे हैं। संभाग के छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, सागर, दमोह, पन्ना जिलों के 22323 प्रवासी मजदूर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात में रहकर हर महीनें का राशन ले रहे हैं।

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रेलवे स्टेशन से महानगर के लिए पलायन करते प्रवासी मजदूर

छतरपुर. राज्य सरकार ने पिछले विधानसभा सत्र में बुंदेलखंड में पलायन नहीं होने की बात कही है। लेकिन खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के आंकड़े अलग ही कहानी कह रहे हैं। संभाग के छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, सागर, दमोह, पन्ना जिलों के 22323 प्रवासी मजदूर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात में रहकर हर महीनें का राशन ले रहे हैं। इन्हें वन नेशन वन राशन कार्ड के तहत देश के किसी राज्य में आधार कार्ड दिखाकर राशन मिल जाता है। केंद्र से मिलने वाला कोटा यहां से कम किया गया है, जिससे ये खुलासा हुआ है।

छतरपुर जिले के 6148 का पलायन


प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत हर जिले में तय हितग्राहियों के हिसाब से राशन आता है। जिस जिले में जितने हितग्राही कम होते हैं, उतना राशन संबंधित जिलों से कम कर दिया जाता है। यानी जिस माह जितने हितग्राही कम होंगे उतना राशन अगले माह नहीं भेजा जाएगा। वह संबंधित हितग्राही (जहां वह मजदूरी के लिए गया है) के यहां भेज दिया जाता है। छतरपुर जिले में 2 लाख 96 हजार 353 हितग्राही हैं। इनमें इस माह 6148 हितग्राहियों का राशन छतरपुर नहीं आते हुए संबंधित राज्य की पीडीएस दुकान में भेज दिया जाएगा।

अगस्त माह के लिए आया आवंटन


छतरपुर जिले के लिए अगस्त माह के लिए करीब 26 हजार क्विंटल गेहूं और 33 हजार 126 क्विंटल चावल आया है। इस आवंटन को जिले भर की 656 राशन दुकानों में खाद्यान्य सप्लाई किया जाएगा है। जहां से हितग्राही अपना अपना राशन लेते हैं। हर रोज कितने लोगों ने राशन लिया इसकी ऑनलाइन फीडिंग भी विभागीय स्तर पर की जाती है।

गांवों में खंूटी पर टंगे है बच्चों के बस्ते


गांवों में स्कूल की घंटी तो दिन में दो समय बजती है, लेकिन पलायन करने वाले ग्रामीणों के सूने घरों में खूंटी पर टंगे बस्ते कभी महीनों तो कभी साल भर से नहीं उतारे गए हैं। स्कूलों के साथ ही आंगनबाडिय़ों पर भी पलायन का असर पड़ा है। यहां दर्ज बच्चे छोटे हैं और माता- पिता के साथ जाना उनकी मजबूरी है। अन्य राज्यों में गए इन बच्चों के पोषण पर भी असर पड़ रहा है। हरपालपुर के आवासीय हॉस्टल संचालक ने बताया कि हॉस्टलों में ज्यादा बच्चे ऐसे हैं, जिनके नाम तो गांव के सरकारी स्कूल में दर्ज हैं। लेकिन वे कभी स्कूल पहुंचे ही नहीं, क्योंकि वो माता-पिता के साथ अन्य राज्यों में गए हैं। कुछ मातापिता अपने बच्चों को हॉस्टल में छोडकऱ चले जाते हैं। इसके अलावा सैकड़ों बच्चे ऐसे हैं, जो पलायन के कारण स्कूल से दूर हैं।

कई बार हो चुकी है मजदूरों को बंधक बनाने की घटनाएं, पुलिस छुड़ाकर लाई


अन्य राज्यों में इन मजदूरों के शोषण और बंधक बनाने की घटनाएं कई बार हो चुकी हैं। कई बार पुलिस इन मजदूरों को वहां से छुड़ाकर लाई है। मजदूर दीपावली, होली और शादी-विवाह सीजन में शामिल होने के लिए घर लौटते हैं। इसके बाद वे फिर पलायन कर जाते हैं।

ये कहना है ग्रामीणों का


नौगांव जनपद की ग्राम पंचायत चौबारा निवासी मनोज कुशवाहा अपनी पत्नी तीन बच्चों के साथ हरपालपुर स्टेशन पर दिल्ली जाने की ट्रेन के इंतजार में बैठे हैं। उन्होंने बताया कि उनको पीएम आवास योजना,मनरेगा, सहित किसी भी शासकीय योजना का लाभ नहीं मिला हैं। खेती की ज़मीन इतनी नही है कि वो अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें। गांव में रोजगार नही मिलने से मजबूरी बस पलायान कर रहे हैं। कुछ ऐसा ही हाल ग्राम पंचायत भदर्रा निवासी शिवरतन का उनके बताया वो तीन भाई हैं एक बीघा जमीन उनके हिस्से में मिली हैं। ऐसे में कैसे गुजरबसर करें, इसलिए महानगरों में जाकर मजदूरी कर करेंगे।

मनरेगा नहीं रोक पा रही पलायन


सरकार ने आम गरीबों को गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से वर्ष 2005 में पंचायतों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी यानि मनरेगा योजना लागू की है। दुनिया की सबसे बड़ी इस योजना का मूल उददेश्य आस्था व श्रम मूलक कार्य कराके लोगों को काम उपलब्ध कराके उनका पलायन रोकना था, मगर ऐसा हो नही सका। सही मायने में अधिकारियों से लेकर पंचायत प्रतिनिधियों तक सभी मनरेगा से मलाई खा रहे हैं, वहीं जरूरतमंद ग्रामीण परेशान हैं। सच्चाई ये है कि एक तो 90 प्रतिशत ग्राम पंचायतों में कार्य नहीं हो रहे हैं, जो कार्य होते भी हैं वे कागजों पर पूर्ण करके राशि आहरित कर ली जाती है। तालाब गहरीकरण, मिट्टीकरण, पौधरोपण, नाला सफाई के काम मनरेगा वाले अधिकांश काम मशीनों से कराए जा रहे हैं। वहीं कई काम कराए बिना ही मजदूरी तथा मटेरियल के नाम पर फर्जी मस्टर व फर्जी बिलों से राशि निकाल ली जाती है।

फैक्ट फाइल


जिले में गांव - 1210
आबादीअनुमानित- 2222975
पलायन प्रभावित गांव- 800 करीब

पीडीएस के आंकड़े


जिला हितग्राही प्रवासी हितग्राही
छतरपुर 296335 6148
निवाड़ी 80026 1360
सागर 465316 8167
पन्ना 196600 2371
टीकमगढ़ 219323 380

इनका कहना है


हमारे यहां जितने हितग्राही हैं, उनके हिसाब से राशन आवंटित होता है। यह सही बात है छतरपुर जिले हितग्राही दूसरे राज्यों चले गए हैं। जितने हितग्राही कम हो जाते हैं उतनों का राशन कम होकर आता है।
सीताराम कोठारे, नागरिक आपूर्ति अधिकारी, छतरपुर