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पश्चिमी विच्छोभ के चलते अचानक बदला मौसम, बारिश के साथ गिरे ओले

कुछ देर हुई बारिश के दौरान जिले के कई स्थानों में हुई ओलावृष्टी, आने वाले दिनों में ऐसा ही रहेगा मौसम

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 हाथ में ओले लिए किसान

हाथ में ओले लिए किसान

छतरपुर. छतरपुर जिले में बुधवार को दोपहार बाद अचानक मौसम में बदलाव होने लगा और बादलों ने डेरा जमा लिया। कुछ देर में बारिश होने लगी। इसके साथ ही जिले के कुछ स्थानों में ओले गिरने से किसानों की फसलों में भारी नुकसान हुआ है। हरपालपुर क्षेत्र में गिरे ओले से खेतों में खड़ी किसानों की चना, मटर, सरसों और गेहूं सहित अन्य फसलों को भारी नुकसान हुआ है। वहीं आने वाले तीन-चार दिनों तक बारिश होने और ओले गिरने की संभावनाएं हैं।

पश्चिमी विच्छोभ के प्रभाव के चलते जिले भर में दोपहर बाद अचानक बदले मौसम के बाद करीब २.३०-३ बजे बारिश होने लगी। इसी के साथ ही कई स्थानों में बारिश के साथ ओले भी गिरे हैं। ऐसे में आफत के रूप में ओले गिरने से किसानों की खड़ी फसल बर्बाद हो गई। बुधवार की दोपहर को हरपालपुर क्षेत्र के लहदरा, मडोरी, चपरन, सरसेड़, गलान सहित अन्य गांवों में बारिश और ओलावृष्टि होने से खेतों में खड़ी किसानों की चना, मटर, सरसों और गेहूं की फसल को भारी नुकसान हुआ है। जिससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें दिखने लगी हैं। किसानों को कहना है कि कुदरत का ये कहर किसानों के लिए आफत बनकर खेतों में गिरा है।

तेज बारिशके साथ गिरे ओले, खेत मे खड़ी फसल बर्बाद

बुधवार सुबह से ही तेज घूप निकली थी, मौसम साफ था, लेकिन शाम 5 बजे के लगभग अचानक मौसम ने करवट ली तेज हवा आंधी के साथ बारिश होने लगी और करीब 15 मिनिट तक ओलावृष्टि हुई। जिसके चलते खेतों में खड़ी किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं। वहीं तेज हवा के चलते सरसों, गेंहू की फसल पूरी तरह खेतों में बिछ गई। ओलावृष्टि से हुए नुकसान से किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीर आ गई हैं। किसानों ने खेतों पर जाकर देखा फसल जमीन पर बिछी मिलीं। वहीं मटर के दाने ओलावृष्टि के चलते खेतों में बिखर गए। क्षेत्र के गलान, लहदरा, मडोरी, नाउपहारिया, रानीपुरा, कैमहा, कराठा, सरसेड़ सहित अन्य गांवों में ओलावृष्टि से किसानों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है।

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वर्तमान में एक पश्चिमी विक्षोभ पाकिस्तान और उससे लगे पंजाब पर हवा के ऊपरी भाग में चक्रवात और एक द्रोणिका भी संबद्ध है। इससे प्रेरित चक्रवात पश्चिमी राजस्थान पर बना है और पश्चिमी जेट स्ट्रीम उत्तर भारत से लेकर मध्य प्रदेश तक 12.6 किलोमीटर की ऊंचाई पर मौजूद है, उसमें 310 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हवाएं चल रही हैं।