छतरपुर

हरियाली के लिए युवाओं का संकल्प, शहर के दो कोनों में एक ही दिन दोहरी मुहिम चलाकर किया पौधारोपण व सरंक्षण

पार्क में पौधरोपण की गूंज सुनाई दी। इस बार युवाओं ने बेलपत्र, शमीपत्र, मीठी नीम, पारिजात, नीम जैसे करीब 50 औषधीय और धार्मिक महत्व वाले पौधे लगाए।

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Jul 21, 2025
पौधारोपण

रविवार की सुबह छतरपुर में हरियाली की एक नई कहानी लिखी गई। एक ओर सिंचाई कॉलोनी पार्क में युवाओं की टोली ने अपनी मेहनत से हरियाली की नींव डाली, तो दूसरी ओर संगम सेवालय की ट्री एंबुलेंस टीम ने शहर की ग्रीन बेल्ट को और मजबूत करने का बीड़ा उठाया। पेड़ लगाने से ज़्यादा जरूरी है उनका बचाना, इस विचार के साथ युवाओं ने न केवल पौधे लगाए, बल्कि रोजाना उनकी देखभाल करने का संकल्प भी लिया।

सिंचाई कॉलोनी पार्क – युवाओं का ग्रीन मिशन

पत्रिका के हरित मध्यप्रदेश अभियान से जुड़कर सेवा ही संकल्प समिति ने सिंचाई कॉलोनी पार्क की जिम्मेदारी उठाई है। पार्क में पौधरोपण की गूंज सुनाई दी। इस बार युवाओं ने बेलपत्र, शमीपत्र, मीठी नीम, पारिजात, नीम जैसे करीब 50 औषधीय और धार्मिक महत्व वाले पौधे लगाए। पार्क की देखरेख करने वाली टोली रोजाना पानी देने और पौधों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी निभाएगी। युवाओं की इस टोली में नवदीप पाटकर, अभिदीप सुहाने, सत्यम सिंह सोलंकी, राम पटेल, सोमिल गोस्वामी, मिलिंद असाटी, उज्ज्वल जैन, किशन कटारे, अंशुल साहू, हिमांशु चतुर्वेदी, प्रिंस गुप्ता, कृष्णा पाटकर, पवन मिश्रा जैसे नाम शामिल हैं, जिनकी सुबहें अब पेड़ों के साथ शुरू होती हैं।

ग्रीन बेल्ट में ट्री एंबुलेंस की सेवा

इधर, शहर के दूसरे छोर पर संगम सेवालय की ट्री एंबुलेंस टीम ने भी हरियाली की ड्यूटी निभाई। रविवार सुबह महाराजा कॉलेज के सामने ग्रीन बेल्ट में टीम ने पाखड़, नीम, शिशिर, बेलपत्र और इमली के पौधे रोपे। साथ ही पिछले साल लगाए गए पौधों की छंटाई और देखभाल भी की गई। टीम की सदस्य अंजू अवस्थी ने बताया हमने दो साल में इस ग्रीन बेल्ट में 78 पौधों का रोपण किया है। ये अब बड़े पेड़ बन रहे हैं। हमारी अपील है कि लोग इन पौधों को सुरक्षित रखें और शहर को हरा-भरा बनाने में साथ दें।शहर के लिए हरियाली की डबल डोजरविवार का दिन छतरपुर के लिए हरियाली का उत्सव बन गया। पत्रिका के हरित मध्यप्रदेश अभियान ने युवाओं को न केवल जोड़ने का काम किया, बल्कि यह भी दिखा दिया कि जब लोग मिलकर काम करते हैं, तो कोई भी जगह फिर से सांस लेने लायक बन सकती है।

Published on:
21 Jul 2025 10:32 am
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