25 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

डेढ़ करोड़ की लीपापोती के घपले में इन पर होगी कार्रवाई, इन्हें बुलाया भोपाल

सख्ती: संचालनालय ने दस्तावेज के साथ हाजिर होने दिए निर्देश, डेढ़ करोड़ के गोलमाल का भोपाल में होगा हिसाब

2 min read
Google source verification
Action will be taken on the dedication of one and a half million

Action will be taken on the dedication of one and a half million

छिंदवाड़ा. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी छिंदवाड़ा द्वारा किए गए डेढ़ करोड़ के गोलमाल के मामले में भोपाल में पूछताछ की जाएगी। इसके लिए मप्र स्वास्थ्य संचालनालय (वित्त विभाग) ने 26 दिसम्बर 2018 को समस्त दस्तावेजों के साथ सीएमएचओ समेत सम्बंधित अधिकारियों को उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं। मप्र स्वास्थ्य संचालनालय भोपाल से मिली जानकारी के अनुसार अतिरिक्त संचालक डॉ. राजीव सक्सेना ने एक करोड़ ४६ लाख रुपए की लागत से किए गए रंगरोगन और मरम्मत सम्बंधित दस्तावेजों की जांच के लिए सीएमएचओ को पत्र लिखा है।

इसमें निर्धारित तिथि में अनिवार्य रूप से उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं। उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व भी भोपाल से दस्तावेजों के साथ उपस्थित होने के निर्देश मिलने पर सीएमएचओ डॉ. जेएस गोगिया के निर्देश पर डीएचओ-3 डॉ. लोकनाथ धुर्वे को भोपाल जाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन तबीयत खराब होने तथा मामले में ज्यादा जानकारी न होने पर डॉ. धुर्वे वहां उपस्थित नहीं हुए थे। बता दें कि जिले के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में करीब डेढ़ करोड़ की लागत से रंगरोगन-मरम्मत कार्य किए गए थे।

इसकी जांच के लिए भोपाल से ऑडिट टीम छिंदवाड़ा पहुंची थी। जांच के दौरान आवश्यक दस्तावेज न मिलने पर टीम ने आपत्ति लगाई थी। इस दौरान मामले को दबाने के लिए पैसों की मांग का आरोप भी एक-दूसरे पर लगाया गया था। पत्रिका ने इस मामले से जुड़े सभी पहलुओं को प्रमुखता से प्रकाशित किया था।

इंजीनियर से नहीं कराया अनुमोदन

किसी भी विभाग में निर्माण, रंगरोगन, मरम्मत समेत अन्य कार्यों के लिए सिविल इंजीनियर से अनुमानित लागत तथा कार्य पूर्ण होने का अनुमोदन लिया जाता है। इसके साथ ही सम्बंधित क्षेत्र के बीएमओ या संस्था प्रमुख से उपयोगिता प्रमाण-पत्र भी लिया जाता है। इसके बावजूद उक्त कार्यों में सम्बंधित दस्तावेजी कार्यवाही पूरी नहीं की गई है। बताया जाता है कि इसी बात पर ऑडिट टीम ने आपत्ति लगाई है।