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स्वच्छता में उत्कृष्टता की मिसाल, कविता धुर्वे को मिला राष्ट्रीय सम्मान

दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस समारोह में होंगी शामिल, मध्यप्रदेश से चार महिला सरपंचों का चयन

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छिंदवाड़ा जिले की कविता धुर्वे ने स्वच्छता अभियान में उत्कृष्ट नवाचारों और जनसहभागिता से न सिर्फ अपनी ग्राम पंचायत को बदला, बल्कि पूरे प्रदेश को गर्व का अवसर दिया है। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत प्रेरणादायक कार्यों के लिए मध्यप्रदेश से चयनित चार महिला सरपंचों में कविता धुर्वे का नाम भी शामिल है। उन्हें स्वतंत्रता दिवस 2025 पर लाल किले, नई दिल्ली में आयोजित मुख्य समारोह में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है।

कविता धुर्वे जनपद पंचायत जुन्नारदेव की ग्राम पंचायत खुमकाल की सरपंच हैं। उन्होंने अपने नेतृत्व में ग्राम आराडोंगरी को ओडीएफ प्लस मॉडल गांव के रूप में विकसित करने के लिए चौपाल, ग्रामसभा और घर-घर संपर्क के माध्यम से जनजागरूकता अभियान चलाया। उन्होंने न केवल गांव को खुले में शौच से मुक्त रखा, बल्कि ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए भी उल्लेखनीय कार्य किए।

गांव में 5 सामुदायिक और 20 व्यक्तिगत कम्पोज्ड पिट, सूखे कचरे के लिए प्लास्टिक संग्रहण यूनिट, और तरल अपशिष्ट के लिए 7 सॉकपिट तथा 84 मैजिक पिट का निर्माण कराया गया। विशेष रूप से "कबाड़ से जुगाड़" की थीम पर स्वच्छता पार्क का निर्माण कर यह संदेश दिया गया कि जनसहयोग से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। यह पार्क अब आसपास की पंचायतों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुका है। साथ ही चौपाल में बनाया गया सेल्फी प्वाइंट युवाओं को स्वच्छता से जोडऩे का केंद्र बन गया है।

कपड़े के थैले तैयार कर सिंगल यूज़ प्लास्टिक मुक्त ग्राम की दिशा में प्रभावी कदम उठाए गए। इस पूरे अभियान में जिले के कलेक्टर शीलेंद्र सिंह और सीईओ जिला पंचायत अग्रिम कुमार के मार्गदर्शन की अहम भूमिका रही। साथ ही स्वच्छ भारत मिशन के जिला परियोजना समन्वयक सुधीर कृषक और उनकी टीम का भी विशेष योगदान रहा।

यह बदलाव गांव के 84 घरों और 420 ग्रामीणों की सक्रिय भागीदारी से संभव हुआ। भारत सरकार ने कविता धुर्वे के कार्यों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दी है और उनके अनुभवों को साझा करने के लिए एक स्मृति पुस्तिका तथा 1 से 1.30 मिनट की प्रेरणात्मक वीडियो भी तैयार की जा रही है, जिसे देशभर में प्रचारित किया जाएगा। कविता धुर्वे का यह चयन दर्शाता है कि यदि ग्रामीण स्तर पर नेतृत्व दृढ़ संकल्पित हो और प्रशासन का सहयोग प्राप्त हो, तो कोई भी पंचायत राष्ट्रीय पहचान हासिल कर सकती है। यह सफलता न केवल खुमकाल गांव बल्कि पूरे छिंदवाड़ा जिले के लिए गर्व की बात है।