पत्रिका ने प्राचार्य से सीधी बात-बोले बैठक लेकर करेंगे समाधान
छिंदवाड़ा. पीजी कॉलेज में बुधवार को वाइवा की फीस कम करने की मांग को लेकर विद्यार्थियों द्वारा सडक़ पर उतरकर प्रदर्शन के मामले में प्रबंधन नियमों का हवाला दे रहा है। कॉलेज का कहना है कि जिनकी परीक्षा छुट जाती है उनके लिए दोबारा परीक्षा आयोजन करने का कोई नियम नहीं है। हालांकि वाइवा, प्रेक्टिकल के लिए प्रावधान है। दोबारा वाइवा आयोजित करने पर खर्चा काफी आएगा। उसी के अनुसार फीस प्रत्येक विद्यार्थी 1500 रुपए निर्धारित की गई है। उल्लेखनीय है कि पीजी कॉलेज में स्नातक प्रथम वर्ष में लगभग 200 विद्यार्थी वाइवा देने से वंचित हो गए हैं। विद्यार्थियों का कहना है कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी। कॉलेज प्रबंधन ने अचानक ही वाइवा आयोजित कर दिया। हालांकि कॉलेज का कहना है कि इसकी बकायदा जानकारी विद्यार्थियों को सोशल साइट्स ग्रुप, क्लासरूम में दो से तीन बार दी गई थी। सबसे अधिक राजनीतिक विज्ञान विषय में विद्यार्थियों के वाइवा छुट गए हैं। कॉलेज में स्नातक प्रथम वर्ष में लगभग 1200 विद्यार्थी हैं। इनमें से अधिकतर ने निर्धारित तिथि पर वाइवा दे दिया था। वंचित विद्यार्थियों को दोबारा वाइवा देने को लेकर अब प्राचार्य ने 1500 रुपए फीस निर्धारित कर दी है। जिस का विरोध विद्यार्थी कर रहे हैं। उन्होंने बुधवार को एनएसयूआई के नेतृत्व में प्रदर्शन करने के बाद कलेक्ट्रेट में ज्ञापन भी सौंपा था।
अब आगे क्या
अगर विद्यार्थियों ने 1500 शुल्क नहीं दिया तो वे वाइवा से वंचित हो जाएंगे। ऐसे में उन्हें अनुत्तीर्ण घोषित कर दिया जाएगा। कॉलेज का कहना है कि कई बार कहने के बावजूद भी विद्यार्थी वाइवा में उपस्थित नहीं हुए। अब अगर उन्हें परीक्षा में पास होना है तो वाइवा देना पड़ेगा।
स्नातक प्रथम वर्ष में अनिवार्य
नई शिक्षा नीति के तहत स्नातक प्रथम वर्ष में मेजन विषयों में वाइवा अनिवार्य कर दिया गया है। वाइवा एक ओरल टेस्ट है जिसका उपयोग विद्यार्थियों के ज्ञान और उनके विषय की समझ का टेस्ट करने के लिए किया जाता है। आमतौर पर वाइवा हाई स्कूल, इंटरमीडिएट, ग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट और पीएचडी डिग्री के स्टूडेंट्स का लिया जाता है। वाइवा का भी रिटन एग्जाम की तरह महत्व है।
इनका कहना है...
नियमानुसार दोबारा वाइवा आयोजित करने के लिए फीस निर्धारित है। हां यह जरूर है कि अगर अधिक संख्या में विद्यार्थी वाइवा देने से वंचित रहे गए हैं तो कॉलेज समिति की बैठक लेकर चर्चा की जाएगी। इसके बाद जो संभव होगा उसी अनुसार आगे की प्रक्रिया होगी।
डॉ. पीआर चंदेलकर, प्राचार्य, पीजी कॉलेज
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कॉलेज में काफी संख्या में निर्धन विद्यार्थी पढ़ते हैं। वे कैसे 1500 रुपए फीस दे पाएंगे। इस संबंध में कॉलेज को सोचना चाहिए। अगर फीस कम नहीं हुई तो हमलोग आंदोलन को बाध्य होंगे।
अजय सिंह ठाकुर, जिलाध्यक्ष, एनएसयूआई