कम दूरी की वजह से नागपुर की बसें ज्यादा हैं। जबकि रायपुर के लिए केवल दो बस संचालित है। देखा जाए तो अंतरराज्यीय बसों में कुछ कंपनियां हैदराबाद, पुणे समेत अन्य राज्यों के यात्रियों को लाने-ले-जाने की सेवाएं दे रही हंै। ये बसें छिंदवाड़ा से इसलिए नहीं जा रही हैं, क्योंकि अंतरराज्यीय बस टर्मिनल नहीं है। यदि ये सुविधाएं छिंदवाड़ा को मिल जाए तो ये बसें भी संचालित होने लगेंगी। इससे छिंदवाड़ा के यात्रियों को नागपुर समेत अन्य स्थानों से बसें नहीं पकडऩी पड़ेंगी।
आईएसबीटी के लिए सबसे अधिक जरूरत जमीन की है। फिर उसे विकसित करने के संकल्प की जरूरत है। इसके लिए सरकार, जनप्रतिनिधियों के सहयोग और अधिकारियों की रुचि की जरूरत पड़ेगी। संयुक्त प्रयास से ही इंटर स्टेट बस टर्मिनल तैयार होगा। फिर इस बस टर्मिनल को प्राइवेट व सरकारी बस स्टैण्ड से जोडऩा होगा। दूसरे राज्यों की बसें भी एक-दूसरे के यहां आ जा सकेगी।
इलेक्ट्रिक वाहनों के युग में छिंदवाड़ा में सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन की कमी अखर रही है। इससे दोपहिया से लेकर इलेक्ट्रिक ऑटो और कारें घरों में चार्ज हो रही हैं तो इलेक्ट्रिक बसें भी छिंदवाड़ा नहीं पहुंच पा रही है। इंटर स्टेट बस टर्मिनल बने तो उसमें ई-चार्जिंग की सुविधाएं भी होनी चाहिए। एक अनुमान के अनुसार इस चार्जिंग स्टेशन के निर्माण में करीब तीन करोड़ रुपए का खर्च आना संभावित है। सरकार इसे वहन कर सकती है। इस पर काम किया जाना चाहिए।