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WCL: नई खदानें खुलने पर ही कन्हान को मिलेगा जीवनदान

कोलि के कन्हान क्षेत्र को पेंच क्षेत्र में समायोजित करने की कवायद उच्च स्तर पर चल रही है। कन्हान क्षेत्र में गिनी चुनी कोयला खदान तथा बढ़ते घाटे के कारण इसको पेंच में मर्ज करने की तैयारी चल रही है।

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छिंदवाड़ा/परासिया. वेकोलि के कन्हान क्षेत्र को पेंच क्षेत्र में समायोजित करने की कवायद उच्च स्तर पर चल रही है। कन्हान क्षेत्र में गिनी चुनी कोयला खदान तथा बढ़ते घाटे के कारण इसको पेंच में मर्ज करने की तैयारी चल रही है।
इस संबंध में बीएमएस प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह, पूर्व विधायक नत्थनशाह कवरेती तथा व्यापारी मंडल के सदस्यों ने वेकोलि के सीएमडी मनोज कुमार के साथ वेकोलि मुख्यालय नागपुर में चर्चा की और कन्हान का विलय नहीं करने के लिए कहा। प्रतिनिधि मंडल ने कुछ सुझाव दिए है जिसमें कन्हान क्षेत्र के लंबित प्रोजेक्ट धाउ नार्थ, भाखरा, भारत मोहन फेस 5 एवं शारदा की उत्पादन क्षमता 7 लाख टन प्रति वर्ष हो जाएगी। तानसी खदान में ड्रिफ्टिंग करके कन्हान क्षेत्र को बचाया जा सकता है। शारदा खदान के उत्पादित कोयले को मध्य प्रदेश सरकार कॉस्ट प्लस की नीति के आधार पर खरीदने का एग्रीमेंट वेकोलि से कराया जाए।
पेंच क्षेत्र में उरधन गांव खाली होने के बाद 10 लाख टन प्रति वर्ष उत्पादकता की खदान होगी। शिवपुरी में नया प्रोजेक्ट 20 लाख टन प्रति वर्ष का होगा। आगामी समय में जमुनिया धनकसा सहित सभी खदानो से पेंच क्षेत्र में 50 लाख टन प्रति वर्ष कोयला उत्पादन होगा। जमुनिया खदान का कोयला धनकशा खदान से ही निकाला जाएगा।
जमुनिया खदान की वर्तमान ड्रिफ्टिंग एयर सॉफ्ट के काम आएगी। भविष्य में शिवपुरी, उरधन नेहरिया जमुनिया धनकशा का कोयला ट्रांसपोर्ट रेलवे के द्वारा होगा। वेकोलि का कोयला रेलवे से ट्रांसपोर्टिंग के कारण अन्य कम्पनियो से सस्ता है इसलिए वेकोलि फायदे में रहेगी।
कन्हान के अधिकांश प्रोजेक्ट को फरेस्ट क्लियरेंस की जरूरत है जिसे संगठन प्रदेश, केंद्र सरकार के समक्ष विषय रखकर कन्हान की खदानों को खोलने में मदद करेगा। सीएमडी मनोज कुमार ने आश्वासन दिया है कि लंबित कोयला परियोजनाओ को समय पर फॉरेस्ट क्लियरेंस मिलता है तो कन्हान क्षेत्र के विलय की जरूरत नहीं होगी।