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जिला अस्पताल में जोखिम में जान, हर मंजिल पर झूल रही सीलिंग

जिला अस्पताल में झूलती सीलिंग

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आशंकित नुकसान से प्रबंधन को कोई सरोकार नहीं

आशंकित नुकसान से प्रबंधन को कोई सरोकार नहीं

छिंदवाड़ा. जिला अस्पताल की नई इमारत को बने हुए महज छह साल ही हुए हैं और यहां हर दिन मरीजों से लेकर स्टाफ तक को अपनी जान जोखिम में डालकर आना पड़ रहा है। पांच मंजिला भवन की ऐसी कोई मंजिल नहीं होगी जहां सीलिंग गिरने की घटना न हो रही हो। इस मामले पर जहां मेडिकल कॉलेज प्रबंधन मौन साधे हुए है तो वहीं जिला अस्पताल प्रबंधन बजट न होने का हवाला दे रहा है। हां प्रबंधन इस बात की दिलासा जरूर दे रहा है कि वह झूलती सीलिंग पर नजर रखे हुए है। जैसे ही वह गिरी तो उसे हटाने का कार्य वह करेगा। यानी कि प्रबंधन को सिर्फ सीलिंग गिरने का इंतजार है, ताकि उसे वहां से हटाया जा सके। उसे किसी को होने वाले नुकसान से कोई सरोकार नहीं। फिलहाल यहां की झूलती सीलिंग कब किस पर किस समय गिर जाए कहा नहीं जा सकता।

जिला अस्पताल की चौथी मंजिल पर स्थित सर्जिकल वार्ड की सीलिंग दो दिन पहले नीचे आ गिरी। गनीमत रही कि किसी मरीज को चोट नहीं आई है। सीलिंग के नीचे गिरने के बाद प्रबंधन उसे हटाने का कार्य में जुट गया। सीलिंग के गिरने से अगर किसी को नुकसान होता है तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। जिला अस्पताल की इस नई इमारत में कई स्थानों पर सीलिंग झूल रही हैं, जो कभी भी गिर सकती है। सिविल सर्जन डॉ नरेश गुन्नाड़े का कहना है कि जहां पर सीलिंग गिरेगी वहां से उसे हटाने का कार्य किया जाएगा। सीलिंग की मरम्मत के लिए जिला अस्पताल प्रबंधन के पास कोई बजट नहीं है।