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Lockdown-2: तीन राज्यों के सैकड़ों मजदूर घर पहुंचने के लिए है बेचैन, अधिकारियों से हर दिन मांगते हैं जवाब

Lockdown-2: जिले के 68 हॉस्टलों में 20 दिन से ज्यादा समय से फंसे, रास्ता तलाश रहा प्रशासन

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Lockdown-2: Hundreds of laborers from three states are restless

Lockdown-2: Hundreds of laborers from three states are restless

छिंदवाड़ा/ लॉकडाउन में फंसे राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के मजदूरों की आंखें हर दिन अपने घर जाने का रास्ता तलाशती नजर आती हैं। बीस दिन से ज्यादा समय से शेल्टर होम में ठहरे इन प्रवासियों को पत्नी, बच्चों और माता-पिता समेत अन्य परिजन की याद सता रही है। उन्हें प्रशासन के रहने-खाने का इंतजाम भी नहीं भा रहा है। इधर, प्रशासनिक अधिकारियों का दावा है कि वे उनके राज्यों के अधिकारियों से सम्पर्क कर उनकी घर वापसी की सम्भावनाओं पर काम कर रहे हैं। सफलता नहीं मिली तो तीन मई तक इन मजदूरों को शेल्टर होम में ठहराना मजबूरी होगी।
पूरे जिले में इस समय 68 हॉस्टल में ठहराए गए मजदूरों की संख्या 1391 है। इनमें से दूसरे राज्य के मजदूर 485 हंै। जबकि महाराष्ट्र से लगी जिले की सीमा के सौंसर के तीन छात्रावास में 104 और पांढुर्ना के आठ हॉस्टल में 232 मजदूर रुके हैं। इन मजदूरों को दोनों समय भोजन, नाश्ता और चाय उपलब्ध कराने के लिए कर्मचारियों को लगाया गया है।

पहले हमें अपने घर भेज दो, फिर देख लेंगेे रोजगार
लॉकडाउन में अपने रोजगार से छूटे ज्यादातर मजदूरों को प्रशासन तब इन शेल्टर होम में लाया था, जब वे पैदल ही अपने घर लौट रहे थे। राजस्थान का रहने वाला 12 सदस्यीय परिवार तो हैदराबाद से आ रहा था, उसे रोककर छिंदवाड़ा में ठहराया गया। ऐसे गुजरात, महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों के मजदूरों की कहानी मिल जाएगी। महाराष्ट्र के अमरावती के एक मजदूर जीवनलाल से उनके रोजगार के बारे में पूछो तो वे कहते हैं कि पहले हमें अपने घर भेज दो। अपने परिजन की याद सता रही है। होशंगाबाद के कुछ मजदूर तो शेल्टर होम से भागने का प्रयास भी कर चुके हैं, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों ने उन्हें वापस बुलाकर धैर्य का सबक दिया।
गेहूं कटाई में जरूरत, पर नहीं लगता मन
जि ले में इस समय चल रही गेहूं की कटाई में मजदूरों की जरूरत है। अलग-अलग राज्यों से ठहराए गए प्रवासी मजदूरों में से कुछ इस काम के लिए मिल भी जाएंगे लेकिन इनका ध्यान इस समय अपने परिजन से बिछडऩे के कारण लग नहीं रहा है। वे इस काम को नहीं कर पाएंगे। जब से लॉकडाउन का समय तीन मई बढ़ा, मजदूरों में घबराहट और बैचेनी देखी जा रही है।

इनका कहना है
जिले में ठहराए गए 485 मजदूर अलग-अलग राज्यों के हैं। ज्यादातर का 14 दिन का क्वारेंटाइन समय पूरा हो गया है। इन मजदूरों की घर वापसी के लिए प्रशासन उनके राज्यों के अधिकारियों के सम्पर्क में है। जैसे ही शासन की कोई गाइडलाइन आती है, इन्हें सर्वप्रथम वापस भेजने का इंतजाम किया जाएगा।
- गजेन्द्र सिंह नागेश, सीइओ जिला पंचायत।