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कंडों की होली जलाकर वनों को बचाने का दिया संदेश

होली दहन के पूर्व एक बुराई को त्यागने का संकल्प दिलाया।

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कंडों की होली जलाकर वनों को बचाने का दिया संदेश

कंडों की होली जलाकर वनों को बचाने का दिया संदेश

छिंदवाड़ा. पंाढुर्ना. नगर के शंकर नगर की सत्संग गली में हर साल की तरह इस साल भी गली में रहने वाले परिवारों ने एक साथ होली दहन की परंपरा निभाई। गली में रहने वाले संजय गडकरी ने पत्रिका के संकल्प आह्वान के अंतर्गत होली दहन के पूर्व एक बुराई को त्यागने का संकल्प दिलाया।
उपस्थित युवाओं व महिला पुरूषों ने सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी न करने और सांप्रदायिक सौहाद्र्र के साथ होली खेलने का संकल्प लिया। वर्षों से सार्वजनिक रूप से यहां होली का दहन होता आ रहा है। संकल्प लेने के बाद विधि विधान के साथ होली का दहन किया गया। इस दौरान बारंगे, किनकर, वंजारी, पराडक़र, घागरे, डिगरसे, गडकरी परिवार सहित 20 परिवारों ने उपस्थित होकर होली दहन में भाग लिया।
पांढुर्ना/तिगांव ञ्च पत्रिका. तिगांव के युवा पिछले कई वर्षों से पर्यावरण संरक्षण का उद्देश्य लेकर गांव में कंडे की होली जला रहे है। होली के नाम पर पर्यावरण की परवाह न करना और पेड़ों की कटाई करना इन सभी गलत बातों को छोडक़र पर्यावरण की सुरक्षा का संदेश देने के लिए तिगांव की श्रद्धा सबुरी समाज सेवी संस्था द्वारा संचालित पानी एवं पर्यावरण के संचालक नीरज वानखेड़े ने बताया कि गांव के चेतन पारडसिंगे, प्रणय वाडकुल, मयूर कसलीकर, शुभम, कुणाल, विनय, सोनू, अंकित, सत्यम, शिवम, रोहित, बिट्टू, मनोहर, चेतन वानखेड़े, चंदु वानखेडे, नंदु गायकी, पवन चौकीकर, नीरज श्रीवास्तव, रोशन ठाकरे एवं अन्य युवाओं के द्वारा गांव में कंडे इकट्ठा कर होली जलाई जाती है। युवाओं का उद्देश्य यही है कि पर्यावरण से खिलवाड़ किये बगैर हम हमारे त्योहार सादगीपूर्वक मनाएं ।
जिससे प्राकृतिक विपदाओं से हमारा देश सुरक्षित रह सके।
जुन्नारदेव ञ्च पत्रिका. प्रकृति को हरा-भरा और संजोये रखने के लिए लगातार शासन प्रषासन द्वारा जागरुकता अभियान चलाया जाता है। इसी के चलते होली जैसे त्योहार में वनों के संरक्षण संबंधी संदेश देते हुये सोमवार को स्कूल परिसर में होली पर कंडों को जलाकर होलिका दहन किया गया।
स्कूल प्राचार्य बनर्जी ने बच्चों को होली पर्व के बारे में जानकारी दी। और साथ ही होलिका दहन के साथ अपने अंदर की किसी बुराई को होलिका में दहन करने का आह्वान किया। साथ ही कहां कि वर्तमान में केमिकल युक्त रंगों का उपयोग किया जाने लगा है जिससे शरीर की त्वचा खराब हो सकती है। इसलिए जहां तक हो सके सूखी गुलाल की होली खेले। साथ ही पर्यावरण को हरा-भरा और संजोये रखने के लिए जहां तक हो सके कंड़ों की होली का ही दहन करे लकड़ी का उपयोग कम से कम करने की बात भी कहीं गई।