
घर-घर पहुंचकर पानी की जांच करने वाली स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अब सक्रिय नहीं हैं। इससे फिर शहर में सप्लाई किए जाने वाले पानी की जांच पुराने तरीके से होने लगी है। शहर के करीब 43 हजार से अधिक उपभोक्ताओं के नल जल में आने वाले पानी की जांच की जिम्मेदारी स्वयं सहायता समूह की 10 महिलाओं को मिली थी। इन्हें प्रशिक्षण के बाद एक किट देकर नवंबर 2024 से जिम्मेदारी दी गई थी। अप्रेल 2025 तक यह जांच लगातार हुई, लेकिन मई से जांच बंद हो चुकी है। इसका कारण नगरीय प्रशासन विभाग का फंड बताया जा रहा है।
पायलट प्रोजेक्ट के रूप में अमृत-2 के अंतर्गत इस योजना के लिए एक साल से कवायद की जा रही थी। दो स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने घर-घर जाकर पानी के दो हजार से अधिक सेम्पल भी एकत्र किए थे। निगम के भरतादेव फिल्टर प्लांट में पीएचई के केमिस्ट सदानंद कोडापे ने प्रशिक्षण भी दिया था। इसके बाद 10 महिलाओं का चयन कर उन्हें नवंबर 2024 से जवाबदेही दे दी गई। सभी पर अलग-अलग वार्डों की जिम्मेदारी थी। पानी की रिपोर्ट की जानकारी गूगल शीट पर दर्ज की जाती थी।
अमृत मित्र महिलाओं ने नवंबर 2024 से अपना काम शुरू कर दिया था। इसके लिए उन्हें फरवरी एवं मार्च में एक साथ दो बार पारिश्रमिक दिया गया। इसके बाद मार्च एवं अप्रेल तक काम करने के बाद इन्हें पारिश्रमिक नहीं दिया गया। इससे अमृत मित्र महिलाओं को अपने वाहनों से डोर टू डोर जाने में समस्या होने लगी। मई से महिलाओं ने पानी की जंाच करना बंद कर दिया। अब तक उन्हें मार्च एवं अप्रेल का भुगतान भी नहीं किया गया। इन्हें 48 रुपए प्रति जांच के अनुसार भुगतान किया जाता था।
पानी में कई प्रकार की अशुद्धियां होती हैं। इसकी जांच लैब में निगम कर्मी के माध्यम से आने वाले सैंपल से होती है। लैब में हार्डनेस, आयरन, फ्लोराइट, टर्बोडिटी, क्लोरीन की मौजूदगी सहित आधा दर्जन प्रकार की जांच होती है। यह बात अलग है कि वह पानी कहां से लाता है इसकी पुष्टि किसी अन्य माध्यम से नहीं हो पाती, लेकिन अमृत मित्र महिलाएं जांच के दौरान अपनी फोटो एवं वीडियो भी बनाती थी, जिसेे जिओ टैग भी किया जाता था और लोकेशन शेयर की जा रही थी। पानी की रिपोर्ट भोपाल एवं दिल्ली तक जा रही थी।
Published on:
07 Jul 2025 11:33 am
बड़ी खबरें
View Allछिंदवाड़ा
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
