
वेकोलि कन्हान क्षेत्र की मोहन और मोआरी कोयला खदान को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की एनओसी की प्रक्रिया शुरू हो गई है। दिल्ली से एक पत्र वन विभाग के माध्यम से वेकोलि प्रबंधन को पहुंचाया गया है, जिसमें खदान से संबंधित रिपोर्ट मांगी गई है। ये रिपोर्ट भेजते ही पर्यावरणीय अनुमति मिलने के आसार है।
पिछले माह सांसद बंटी साहू के नेतृत्व में कोयलांचल के नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली में वन एवं पर्यावरण मंत्री से मिला था और उनसे तीन कोयला खदान मोहन कालरी, मोआरी और तानसी खदान को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति न मिलने से प्रभावित हो रहे कोयला उत्पादन और कर्मचारियों के ट्रांसफर पर चर्चा की थी। इसके बाद मंत्रालय ने फिलहाल तानसी को छोडकऱ मोहन और मोआरी कोयला खदान की पर्यावरणीय अनुमति के बारे में प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है।
इसका पत्र पश्चिम वनमण्डल छिंदवाड़ा के माध्यम से वेकोलि प्रबंधन को भेजा है। इस पत्र में खदान की वर्तमान स्थिति, उपलब्ध संसाधन, कोयला भंडारण समेत अन्य जानकारी मांगी है। इसकी जानकारी आने पर मंत्रालय पर्यावरण अनुमति का निर्णय ले सकेगा। इसके साथ ही वेकोलि को कुछ शर्तो को पूरा करने के लिए भी कहा गया है।
वन एवं पर्यावरण मंत्रालय दिल्ली के पत्र को वेकोलि प्रबंधन तक पहुंचाया गया है। जिसमें मोहन और मोआरी कोयला खदान को पर्यावरणीय अनुमति से पहले कुछ प्रारंभिक जानकारी मांगी गई है। साथ ही कुछ शर्तो को पूरा करने कहा गया है।
-साहिल गर्ग, डीएफओ पश्चिम वनमण्डल छिंदवाड़ा।
कन्हान क्षेत्र की अंतिम इकाई तानसी खदान दो साल पहले बंद कर दी गई है। तानसी खदान को वन विभाग की एनओसी नहीं मिली। जिसकी वजह यहां से पेंच-सतपुड़ा टाइगर रिजर्व का रास्ता होकर गुजरता है। जिससे बाघ, तेन्दुआ समेत अन्य वन्य प्राणी होकर गुजरते हैं। इसके चलते वन विभाग के अधिकारी इस मुद्दे का समाधान किए बिना कोयला खदान का संचालन उचित नहीं मानते आए हैं। हालांकि तानसी खदान से 30 लाख टन कोयला होने की संभावना है।यह खदान 10 वर्षों तक चल सकती है।
पिछले साल कोयलांचल की महत्वपूर्ण महादेवपुरी कोल माइंस को पर्यावरणीय अनुमति दी गई थी। परासिया नगर से लगी महादेवपुरी माइंस में कोयला उत्खनन कार्य अगस्त 23 में बंद हो गया था। इस अंडर ग्राउण्ड माइंस में उत्खनन की निर्धारित सीमा से अधिक क्षेत्र में खनन हो गया था। कोयला खदान प्रबंधन ने समय रहते पर्यावरणीय अनुमति लेने की प्रक्रिया पूरी नहीं की थी। वन विभाग ने इसके अभाव में कोयला खनन बंद करा दिया था। यह मुद्दा विधानसभा चुनाव के समय गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष उठा था। उसके बाद अनुमति संभव हो सकी। इस खदान में 340 कर्मचारी कार्यरत हैं और प्रतिदिन 300 टन कोयला निकलता है।
Published on:
09 May 2025 11:43 am
बड़ी खबरें
View Allछिंदवाड़ा
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
