
blindness-certificate
छिंदवाड़ा. मनुष्य के लिए आंखों का बहुत महत्व होता है, जिनकी आंखे नहीं होती वही इसकी कमी समझ सकते हंै। देश में लाखों लोग नेत्रहीनता की समस्या से जूझ रहे हं। हालांकि उचित उपचार या कॉर्नियल ट्रांसप्लांट के माध्यम से पीडि़त के आंखों की रोशनी वापस लाई जा सकती है। इसके लिए लोगों को नेत्रदान करना चाहिए। यह प्रक्रिया बहुत ही आसान है। इसके लिए सम्बंधित व्यक्ति को एक घोषणा-पत्र जिला अस्पताल में जमा करना होता है।
परिवार के सदस्यों की भी अहम भूमिका
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. सीएम गेडाम ने बताया कि मरणोपरांत नेत्रदान कर दृष्टिहीनों की अंधेरी दुनिया को रोशन किया जा सकता है तथा उनकी आंखों में आप सदैव जीवित रह सकते हंै। जीते-जी रक्तदान और मरणोपरांत नेत्रदान करने वाला व्यक्ति सबसे बड़ा दानी माना जाता है। हालांकि इसमें परिवार के अन्य सदस्यों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यदि वह समय रहते सूचना नहीं देंगे तो नेत्रदान करने का कोई मतलब नहीं होगा। डॉ. गेडाम ने बताया कि मरने के ३ से ४ घंटे तक आंखों को निकाला जा सकता है।
जैन तथा सिंधी समाज के लोग जागरूक
छिंदवाड़ा में जैन तथा सिंधी समाज के लोग नेत्रदान के मामले में काफी जागरूक हंै। जिला अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार इस समाज के अधिकांश लोगों ने मरणोपरांत नेत्रदान के लिए पंजीयन कराया है तथा इसका परिपालन भी उनके परिवार के लोग स्वास्थ्य विभाग को सूचना देकर करते हैं।
लायंस क्लब है अग्रसर
नेत्रदान को लेकर जिले में लायंस क्लब उचित कार्य कर रहा है। किसी व्यक्ति की मौत होने की सूचना मिलने पर संस्था की टीम सम्बंधित के घर पहुंच जाती है तथा मृतक ने पंजीयन कराया हो अथवा नहीं उनके परिवार को समझा कर नेत्रदान के लिए प्रेरित करती है।
सभी कर सकते है नेत्रदान
नेत्रदान की प्रक्रिया आसान है। इसके लिए सम्बंधित व्यक्ति को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में पंजीयन कराना पड़ता है। इसके लिए उम्र का कोई बंधन नहीं होता है। हालांकि एड्स, सिफलिस, ब्लड इंफेक्शन, संक्रमण आदि बीमारी से पीडि़त नेत्रदान नहीं कर सकते हैं। जबकि कैंसर या डायबिटिक का मरीज नेत्रदान कर सकता है।
पांच वर्षों में नेत्रदान वित्तीय वर्ष दानदाता
2018-19 01
2017-18 04
2016-17 04
2015-16 04
2014-15 03
Published on:
10 Jun 2018 01:52 pm
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