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अगर नहीं किया ये काम तो निरस्त हो जाएगा आपका शस्त्र लाइसेंस, विभाग ने जारी किये नये नियम

अगर आप लाएसेंसधारी हैं और अपने अभी तक नहीं कराया है ये काम तो दर्ज हो सकता है मुकदमा।

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chitrakoot

अगर नहीं किया ये काम तो निरस्त हो जाएगा आपका शस्त्र लाइसेंस, विभाग ने जारी किये नये नियम

चित्रकूट. अगर आप शस्त्र लाईसेंसधारी हैं और आपका लाइसेंस बने 25 साल पूरे हो गए हैं या निर्धारित समय में वरासत नहीं दर्ज कराई है तो आपका शस्त्र लाइसेंस निरस्त हो जाएगा। तय समय के बाद अगर लाइसेंसधारी बिना वरासत के लाइसेंस शस्त्र रखने का दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ मुकदमा हो जाएगा। यह जानकारी शस्त्र अनुभाग प्रभारी व एडीएम सिटी पश्चिम संतोष कुमार वैश्य ने दी।

एडीएम सिटी पश्चिम संतोष कुमार वैश्य ने बताया कि शस्त्र अधिनियम के तहत वरासत के लिए आवेदित सभी पुराने मामलों का नए सिरे से सत्यापन होगा। पुराने आवेदकों के लंबित आवेदन भी निरस्त कर अब शस्त्र लाइसेंस बनवाने को नए सिरे से आवेदन फार्म भरकर सत्यापन करना होगा। 25 साल पुरानी शस्त्र लाइसेंस अथवा 70 साल की आयु पूरी कर चुके लाइसेंस धारी अगर वरासत प्रक्रिया को पूरा नहीं कराते तो नए नियमों के तहत अब प्रशासन स्वत ऐसे लाइसेंस धारियों को सूचीबद्ध करेगा। इसके बाद उनके शस्त्र जप्त कर लाइसेंस सरेंडर कराने की कार्रवाई होगी।

नए आवेदन या नवीनीकरण पर शपथ पत्र भी

नवीनीकरण और शस्त्र लाइसेंस के आवेदनों के लिए अब आवेदकों को ₹200 का स्टांप पेपर पर नोटरी सत्यापित पत्र देना भी जरूरी होगा। आयुध नियमावली 1962 संशोधित में उल्लेखित फॉर्मेट के तहत नए लाइसेंस के आवेदक को पहले से कोई लाइसेंसी शस्त्र होने अथवा ना होने की जानकारी देना शपथ पत्र में जरूरी होगा। स्टांप पर आवेदक को वित्तीय संस्थान अथवा बैंक देयता के संबंध में वैध दस्तावेज के साथ ही हैसियत साक्ष्य के बतौर चल अचल संपत्ति का ब्योरा बैंक पासबुक की छाया प्रति भी देना जरूरी होगा। अपराध पीड़ित की दशा में आवेदक को उक्त के साथ प्रथम सूचना रिपोर्ट एवं चार्जशीट की प्रमाणित प्रति भी आवेदन के साथ देनी होगी।

वरासत लाइसेंस की व्यवस्था

वरासत के मामले में भी बिल्कुल नया शस्त्र लाइसेंस बनवाने जैसी प्रक्रिया पूरी करनी होगी। बस इसमें आवेदक को लाइसेंस जारी किए जाने में वरीयता दी जाएगी। शस्त्र लाइसेंस का वरासत दो परिस्थितियों में ही होगा। लाइसेंसी के उम्र दराज व स्वास्थ्य कारण से शस्त्र संचालन में अक्षंम हो जाने या लाइसेंस धारी की मृत्यु हो जाने पर। इसमें रक्त संबंध के आधार पर पत्नी, पुत्र पुत्री अथवा भाई को वरासत दर्ज कराने का मौका मिलता है। इसमें वरासत दर्ज कर लाइसेंस जारी होने के बाद नया शस्त्र खरीदने की अनिवार्यता से छूट रहती है। पहले के लाइसेंस पर खरीदे शस्त्रको ही वरासत बाद जारी नए लाइसेंस पर इस्तेमाल में लाया जा सकता है।

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