
Mandakani river
चित्रकूट. बुन्देलखण्ड की आस्था की प्रतीक पवित्र मंदाकिनी नदी जिसमें डुबकी लगाने से जन्म जन्मांतर का पाप नष्ट हो जाता है आज खुद सिसक रही है। वादों की वेदी पर हर बार छली गई है मंदाकिनी। सिस्टम के पहरुओं ने सियासी ज़मीन पर इसकी दुर्दशा को मुद्दा तो बनाया लेकिन मखमली कुर्सियों पर आसीन होते ही इस पतित पावनी को नजरअंदाज कर दिया गया। परिणामतः आज अपना अस्तित्व तलाश रही है राम की मंदाकिनी।
सिर्फ मुद्दा बनकर रह गई राम की मंदाकिनी-
त्रेता युग में जब भगवान राम अपने वनवासकाल के दौरान चित्रकूट आए थे तो ऐसी मान्यता है कि इसी पवित्र नदी में वे नित्य स्नान ध्यान किया करते थे। आज कलयुग में यही राम की मंदाकिनी सिर्फ एक मुद्दा बनकर रह गई है सियासी आईने में। हर विधानसभा व लोकसभा चुनाव में गंदगी प्रदूषण से दम तोड़ती पतित पावनी को बचाने की हुंकार भरी जाती है, लेकिन उसके बाद सब कुछ भुला दिया जाता है।
दो राज्यों से होकर गुजरती है नदी फिर भी प्रदूषित-
मंदाकिनी दो राज्यों (उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश) से होकर गुजरती है। इसका उद्गम स्थल पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश के सटी अनुसुइया आश्रम के पास है जहां से निकलकर लगभग 50 किलोमीटर का सफर तय करते हुए चित्रकूट (यूपी) के राजापुर तहसील अंतर्गत यमुना में मंदाकिनी का मिलन होता है। चूंकि नदी दो राज्यों से होकर गुजरती है इसलिए इसकी स्वच्छता का जिम्मा भी दोनों राज्यों के कंधों पर है, लेकिन अफसोस कि आज तक इन दोनों प्रदेशों के नीति नियंता मंदाकिनी को नजरअंदाज करते आ रहे हैं।
मध्य प्रदेश में 15 साल रहा बीजेपी का शासन फिर भी प्रदूषित रही मंदाकिनी-
मध्य प्रदेश में वर्तमान में भले ही कांग्रेस की सरकार हो लेकिन विगत 15 वर्षों तक प्रदेश में भाजपा का शासन रहा। तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान भी कुछ खास न कर सके पतित पावनी के लिए। कई बार स्थानीय साधू संतों ने नदी की दुर्दशा को लेकर धरना प्रदर्शन आंदोलन किया और सीएम शिवराज से नाराजगी भी जाहिर की। सीएम खुद चित्रकूट आकर प्रदर्शन कर रहे संतों से मिले और नदी को प्रदूषणमुक्त करने का आश्वासन दिया लेकिन बाद में जमकर उदासीनता बरती गई सरकार की ओर से।
सीएम योगी ने भी भरी हुंकार
इधर उत्तर प्रदेश में सन 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में मंदाकिनी को प्रदूषणमुक्त करने का संकल्प भगवा ब्रिगेड द्वारा बार बार दोहराया गया और सरकार बन भी गई। सीएम बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने दो बार जनपद का दौरा किया और मंदाकिनी के अस्तित्व को बचाने की हुंकार भी भरी लेकिन सिस्टम के पहरुओं ने इसके बाद आंखे बंद कर लीं और हालत यह कि नदी दिन पे दिन अपना दम तोड़ती जा रही है। प्रदूषण व गन्दगी ने उसके आंचल को इस कदर मैला किया है कि लोग आचमन से भी कतराने लगे हैं।
बारिश में बढ़ जाता है जलस्तर गर्मी में सूख जाती है नदी-
बारिश के मौसम में जहां एक ओर नदी का जलस्तर बढ़ जाता है वहीं गर्मी का मौसम शुरू होते ही कई जगहों पर नदी सूख जाती है। लगभग 50 किलोमीटर के सफर में कई इलाकों में मंदाकिनी की जलधाराओं स्रोत विलुप्त हो गया है। जिला प्रशासन ने मनरेगा के तहत नदी के जलस्रोतों की खोदाई शुरू करवाई विगत वर्ष लेकिन ज्यादा सफलता नहीं मिली।
ये हैं प्रदूषण के जिम्मेदार-
मंदाकिनी के किनारे बसी बस्तियां मठ आश्रम धर्मशालाएं होटल आदि की सारी गंदगी नदी में ही गिरती है। सीवर व नालों का पानी सो अलग।
स्थानीय लोगों का भागीरथी प्रयास-
शासन प्रशासन भले ही सुध न ले बुन्देलखण्ड की इस धरोहर की लेकिन स्थानीय लोगों ने अपनी मां के आंचल को मैला होने से बचाने का जिम्मा खुद उठा रखा है। नज़ीर के तौर पर विगत कई वर्षों से मंदाकिनी को प्रदूषण मुक्त करने का अभियान चला रहे संगठन बुंदेली सेना के जिलाध्यक्ष अजीत सिंह ने कई बार लखनऊ से लेकर दिल्ली तक आवाज पहुंचाई लेकिन कोई खास पहल नहीं हुई नदी की स्वच्छता को लेकर। आम नागरिक व संगठन के लोग खुद हर तीज त्योहार स्नान पर्व पर नदी में उतरकर साफ सफाई करते हैं। संगठन के जिलाध्यक्ष का कहना है मंदाकिनी के बिना चित्रकूट का अस्तित्व ही नहीं है और कई सरकारें आई व गईं लेकिन नदी की दुर्दशा पर किसी को तरस नहीं आया. सबने सिर्फ चुनावी मुद्दा बनाया इसे।
Published on:
10 Aug 2019 06:11 pm
बड़ी खबरें
View Allचित्रकूट
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
