
ये भी हैं कोरोना के
चित्रकूट: कोरोना से जंग में शायद ये मिथक टूट गया कि इंसान स्वार्थी है. जी हां इस विषम परिस्थिति में जिस तरह शासन प्रशासन के अलावा समाज के संवेदनशील लोग जरूरतमंदों की मदद में लगे हैं उसे देख कर यही कहा जा सकता है. वर्षों से बेरोजगारी पलायन भुखमरी आदि की विभीषिका से जूझ रहे बुन्देलखण्ड में इस विकट संकट काल में भी जिंदगी से जद्दोजहद जारी है. सैकड़ों हजारों की संख्या में पलायन कर गए आदिवासी गरीब मजदूर वापस लौट आए हैं. अधिकतर दिहाड़ी कामगार हैं जो रोज कमाते रोज खाते हैं लेकिन अब इनके सामने काम बंद होने से रोजी रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है. फिर भी इस विषम परिस्थिति में इन्हें भरपूर भोजन मिल रहा है. इनका ख्याल रखा जा रहा है. समाज की ऊंच नीच की खाई पट गई है. समाज के जागरूक युवा सामाजिक संगठन आदि दिन रात हर भूखे का पेट भरने में लगे हुए हैं.
38 दिनों से व्यापारी चला रहे सीता रसोई
लॉकडाउन के चलते गरीबों मजदूरों के सामने उत्पन्न हुए भूख के संकट का पटाक्षेप कर रही है युवा शक्ति. प्रशासन की मदद के इतर युवाओं का संगठन हर भूखे को भोजन उपलब्ध कराने का बीड़ा उठा चुका है. बतौर उदाहरण युवा व्यापार मंडल के युवा व्यापारियों द्वारा पिछले 38 दिनों से सीता रसोई का संचालन किया जा रहा है. जिसके माध्यम से गांव-गांव बस्ती-बस्ती भोजन वितरण किया जा रहा है. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग व स्वच्छता आदि का पूरा ख्याल रखा जाता है. खास बात यह कि युवा व्यापारी खुद पूरा काम संभालते हैं. खाना बनाने से लेकर वितरण तक कि जिम्मेदारी अलग तय की जाती है. पिछले 38 दिनों से इतने बड़े स्तर पर चल रही रसोई में योगदान देने हेतु नगर के कई अन्य व्यापारी नागरिक भी सामने आ चुके हैं. डीएम शेषमणि पांडेय व एसपी अंकित मित्तल भी समय समय पर इन युवा व्यापारियों की हौंसला अफ़जाई करने सीता रसोई पहुंचते हैं
राहुल गुप्ता, अंकित केशरवानी, प्रदीप गुप्ता ,आदि युवा व्यापारी भूखों को प्रतिदिन भोजन उपलब्ध करवा रहे हैं. इनके इस काम में वरिष्ठ व्यापारियों का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है. ऐसे समय में जब व्यापार कारोबार आदि बन्द हैं तो ये युवा व्यापारी अपने संसाधनों व सहयोग से भूखों का पेट भरते हुए कोरोना से जंग में अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.
Published on:
11 May 2020 02:50 pm
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