
प्रवासी श्रमिकों के लिए वरदान बन रही
चित्रकूट: सिस्टम से लेकर सियासत व खुद कामगारों के निशाने पर रहने वाली "मनरेगा" अब उन्ही मेहनतकशों के लिए वरदान साबित हो रही है जो कभी इसी योजना को ठुकराकर अपने गांव घर को छोड़ अन्य प्रांतों महानगरों में कमाने गए थे. कोरोना से जंग में लॉकडाउन के चलते प्रवासी मजदूरों का अपने गांवों गृह जनपदों की ओर लौटना जारी है. ऐसे में उन्हें स्थानीय स्तर पर ही रोजगार देने की कवायद शुरू की गई है और इसमें सहायक सिद्ध हो रही है मनरेगा. इस योजना के तहत प्रवासी मजदूरों को स्थानीय स्तर पर ही काम दिया जा रहा है. अब तक सैकड़ों हजारों मजदूरों ने जॉब कार्ड बनवाकर मनरेगा का दामन थामा है. खास बात यह कि पूरे प्रदेश में इस योजना के तहत सर्वाधिक रोजगार देने वाला जिला बना है चित्रकूट.
लॉकडाउन के चलते बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों का अपने गृह जनपदों में लौटने का सिलसिला जारी है. ऐसे में इन प्रवासी मजदूरों को स्थानीय स्तर पर ही काम देने की योजना बनाई गई है और इसमें सबसे सहायक सिद्ध हो रही है मनरेगा. बतौर उदाहरण जनपद में अभी तक तकरीबन 10 हजार से अधिक मजदूरों की संख्या में वृद्धि हुई है. इनमें से अधिकांश प्रवासी मजदूर हैं. जिलाधिकारी शेषमणि पांडेय ने जानकारी देते हुए बताया कि अब तक 39 हजार से अधिक मनरेगा श्रमिकों को रोजगार दिया जा रहा है जो प्रदेश में सर्वाधिक है. डीएम ने कहा कि जो भी प्रवासी श्रमिक इस योजना के तहत काम करना चाहेंगे उन्हें रोजगार दिया जाएगा. वहीं यदि मनरेगा को लेकर पूरे चित्रकूटधाम मंडल की बात की जाए तो उसमें भी मंडल का अच्छा प्रदर्शन रहा है. जनपद की कुल 335 ग्राम पंचायतों में से 332 में इस समय मनरेगा का काम चल रहा है.
इसी मनरेगा योजना पर कई बार घोटालों घपलों व वित्तीय अनियमितता का ग्रहण लग चुका है. जिसमें सिस्टम की ही लापरवाही उजागर होती आई है. लेकिन यही योजना अब मजदूरों के लिए वरदान साबित हो रही है और प्रशासन के लिए मदगार भी कि प्रवासी मजदूरों को दो वक्त का काम देकर उनकी रोटी का इंतजाम किया जा सके.
Published on:
14 May 2020 01:51 pm
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