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Chitrakoot news: चित्रकूट में हनुमान जयंती का है यह विशेष महत्व

पूरे देश में कल हनुमान जयंती के अवसर पर बड़े ही धूमधाम से हनुमान जन्म उत्सव मनाया जाएगा जिसके चलते धर्म नगरी चित्रकूट में सभी हनुमान मंदिरों में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा जिसमें हनुमान भक्त हनुमान चालीसा का पाठ कर अपने तौर तरीके से पूजा पाठ करेंगे।

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Hanuman Jayanti chitrakoot

Hanuman Jayanti chitrakoot

चित्रकूट जनपद में स्थित बूढ़े हनुमान,तोता मुखी हनुमान सहित हनुमान धारा सहित जगह जगह हनुमान मंदिरो में कल हनुमान जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में समाजसेवी संगठन व मंदिरों के पुजारियों के द्वारा कई तरह के कार्यक्रमो का आयोजन करेंगे ।

कल हनुमान मंदिरों में होगा हनुमान जी का श्रृंगार

बता दे की कल गुरुवार को हनुमान जन्मोत्सव के उपलक्ष में बारा के हनुमान मंदिर,हनुमान धारा, बूढ़े हनुमान, तोता मुखी हनुमान मंदिर की मूरत को फूलों से सजाया जाएगा साथ ही कल के दिन इनका विशेष श्रृंगार किया जाता है।

विशेष पूजा के बाद भक्तों को बाटे जायेगे प्रसाद

जानकारी के लिए बता दे की कल के दिन यहां विशेष पूजा अर्चना के साथ साथ हनुमान का जन्म उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा। और शाम को आरती पूजन के बाद हनुमान जी को भोग लगा भक्तों को प्रसाद वितरण किया जाता है।

पिछले साल जलाए गए थे 1100 दीप

पिछले 2022 में हनुमान जयंती के अवसर पर बूढ़े हनुमान मंदिर में 1100 दीप जलाए गए थे। और फूलों से हनुमानजी के एक हजार नामों से हनुमत सहस्त्रार्चन किया गया। उस वक्त बड़ी तादाद में भक्तों ने उपस्थिति भी दर्ज कराई थी साथ ही प्रसाद ग्रहण किया था। हनुमान जी के सिद्ध मंदिरों में हनुमान जयंती पर भक्तों का लगता है तांता ।

शहर के राम घाट स्थित तोता मुखी हनुमान मंदिर के बारे में कहा जाता है कि रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी को इसी स्थान पर भगवान श्रीराम को उनको दर्शन हुए थे। और हनुमान जी ने ही तोता के रूप में तुलसीदास जी को संकेत करते हुए कहा था कि *चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड तुलसीदास चंदन घिसे तिलक देत रघुवीर* तभी तुलसीदास जी ने भगवान श्री राम को पहचान कर उनके दर्शन किए थे।इसीलिए इस मंदिर को तोता मुखी हनुमान के नाम से जाना जाता है।हनुमान जयंती के अवसर पर यहां विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

वही हनुमान धारा की ऐसी मान्यता है। कि हनुमान जी ने जब माता सीता का अपहरण होने के बाद उनकी तलाश करते हुए लंका पहुंचे थे। और वहां अपनी पूंछ से आग लगाकर लंका का दहन कर दिया था जिसके बाद उनके शरीर पर जलन मची हुई थी जिस पर भगवान श्री राम ने इसी स्थान पर अपना बाण छोड़कर एक जलधारा निकाली थी।

जिसे हनुमान जी ने अपने शरीर पर लगाकर अपनी जलन को शांत किया था जिसे आज हनुमान धारा के रूप में जाना जाता है इसके साथ ही भगवान श्री राम भाई लक्ष्मण और माता जानकी के साथ इसी हनुमान धारा के ऊपर रुके थे जहां माता सीता हनुमान धारा के ऊपर ही अपना रसोई बनाए हुए थे जिसे सीता रसोई के नाम से जाना जाता है यही कारण है कि इस स्थान पर हनुमान जयंती के अवसर पर बड़ी तादाद में लोग भगवान श्री हनुमान के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं।

वही मंदिर के पुजारी रामजीदास महराज ने बताया कि प्रतिवर्ष हनुमान जी के जन्मोत्सव को बूढ़े हनुमान मंदिर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष भी विशेष पूजा के क्रम में हनुमत सहस्त्रार्चन किया जाएगा। अर्थात हनुमान जी के एक हजार नामों को लेकर प्रत्येक नामपर पुष्प अर्पित किया जाएगा। और शाम को आरती पूजन के बाद भोग लगाया जाएगा और प्रसाद बांटा जाएगा।