
जानिए आखिर क्यों खाकी ने शुरू की असलहों की सफाई, कहीं बीहड़ में डकैतों....
चित्रकूट. आमतौर पर खाकी के असलहे कितने शार्प होते हैं यह जगजाहिर है। किसी भी विपरीत परिस्थिति से निपटने के दौरान पुलिस के हथियार यदि सही सलामत चल जाएं तो उसे ऊपर वाले की रहमत ही कहा जा सकता है और यदि बात बीहड़ के इलाकों में विचरण करती पुलिस के हथियारों की हो तो यह आवश्यक हो जाता है कि हथियार किसी भी कीमत पर धोखा न दें अन्यथा कुख्यात डकैतों के सामने काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। सालों साल खाकी के हथियारों का रवां न होना और शो पीस के रूप में पड़ा रहना ये उनके लिए घातक सिद्ध होता है और एन वक्त पर जरूरत पडऩे पर यही असलहे खुद खाकी के लिए आत्मघाती सिद्ध होते हैं।
असलहों की सफाई तो दूर की बात है। इन्हीं सारी चुनौतियों व बीहड़ में बारिश के मौसम में डकैतों के मूवमेंट को देखते हुए चित्रकूट पुलिस अपने असलहों को दुरुस्त करने में जुट गई है, हालांकि अधिकारी इस बात से ज्यादा इत्तफ़ाक न रखते हुए इसे रूटीन कार्य बताते हैं लेकिन अंदर खाने के सूत्रों के मुताबिक जिस हिसाब से डकैतों के सफाए को लेकर पुलिस को आलोचना झेलनी पड़ रही है। ऐसे में पुलिस अपनी रणनीतियों में बदलाव करते हुए डाकुओं के खिलाफ अभियान में तेजी लाने का मन बना रही है और इसके लिए पूरी तैयारी जरुरी है।
अलबत्ता सारे हथियार नहीं
कई कई वर्षों से बेजान अवस्था में पड़े पुलिस के असलहे सिर्फ इसलिए जंग खा जाते हैं कि उनका कोई प्रयोग नहीं किया जाता, पुलिसकर्मियों को फायरिंग प्रैक्टिस भी कितना कराई जाती है ये भी किसी से छिपा नहीं है तो लाजि़मी है कि असलहे जंग खाएंगे ही। चित्रकूट के पाठा जैसे दस्यु प्रभावित इलाके में इन्ही असलहों के बल पर पुलिस टीम डकैतों से टक्कर लेने की सोचती है और जब कभी आमना सामना हो जाता है तो कहीं न कहीं खाकी के असलहे बैकफुट पर नजर आते हैं, अलबत्ता सारे हथियार नहीं।
शुरू हुई असलहों की सफाई
बीहड़ में डकैतों के मूवमेंट को देखते और असलहों के कई सालों से प्रयोग में न आने के कारण उनके खराब होने के अंदेशों के चलते खाकी ने गनर से लेकर स्कॉर्ट और थाना पुलिस तक के असलहों को साफ करने का अभियान छेड़ा है। रविवार को पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार झा के निर्देश पर अपर पुलिस अधीक्षक बलवंत चौधरी की अगुवाई में असलहों की सफाई शुरू की गई। अत्याधुनिक इंसास राइफल से लेकर एके 47, ऑटो सेमी, थ्री नॉट थ्री बंदूक की सफाई अधिकारियों व मातहतों ने की। सभी थाना प्रभारियों को असलहों की सफाई के निर्देश दिए गए थे।
बीहड़ में असलहों की भूमिका महत्वपूर्ण
बारिश के मौसम में बीहड़ में डकैतों की चहलकदमी थोड़ी बढ़ जाती है। ऐसे में गैंग को ट्रेस करने और किसी भी स्थिति में मुठभेड़ होने की दशा में असलहों का शार्प होना अति आवश्यक है। पुलिस को इस बात का इल्म है कि यदि बीहड़ में असलहों ने धोखा दिया तो मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। दस्यु गैंग भी पुलिस की इस कमजोरी से वाकिफ होते हैं और तभी वे सीधी मुठभेड़ करने में हिचकते नहीं। डकैतों के असलहे उन्हें शायद ही कभी धोखा देते हों।
हथियारों को ऑपरेट करने से लेकर निशाना लगाने में बैकफुट पर खाकी
यह तो की बार सामने आ चुका है कि हथियारों को ऑपरेट करने से लेकर सटीक निशाना लगाने में खाकी बैकफुट पर है। कई घटनाओं और निशानेबाजी के अभ्यास के दौरान इसकी प्रत्यक्ष तस्वीरें दिखाई पड़ी हैं। मातहतों को छोडि़ए अधिकारी भी असलहों को ऑपरेट करने में निपुण नहीं होते कई बार यह देखने में आया है। ऐसे में डाकुओं और अपराधियों से निपटने में खाकी को मशक्कत करनी पड़ती है। फायरिंग प्रैक्टिस और असलहों को ऑपरेट करने की प्रॉपर ट्रेनिंग न होने की वजह से इन हालातों से विपरीत परिस्थितियों में पुलिस को जूझना पड़ता है।
Published on:
01 Jul 2018 10:00 pm
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