
जानिए आखिर क्या है इलाहाबाद विश्वविद्यालय का "लल्ला चुंगी समागम" जिसमें एकत्र हो गए जज से लेकर डीआईजी तक और...
चित्रकूट: कभी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के उस चर्चित चौराहे पर छात्र जीवन में चाय की चुस्कियां लड़ाते थे और आज जब वर्षों बाद एक दूसरे से मिले तो बीते दिनों की यादों के झरोखों में खो गए. कुछ ऐसा ही दृश्य था इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पुरा छात्रों द्वारा बनाए गए लल्ला चुंगी समागम का. आखिर क्या है ये लल्ला चुंगी समागम जिसका नाम थोड़ा अजीब जरूर लगता है लेकिन जब इस समागम में बड़े बड़े ओहदेदार एक छत के नीचे एकत्र हुए तो फिर वही दोस्ती और छात्र जीवन की तस्वीरें जीवंत हो उठीं.
पुरा छात्रों का समूह है लल्ला चुंगी
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पुरा छात्रों का समूह है लल्ला चुंगी. दरअसल ये विश्वविद्यालय के पास स्थित वो चौराहा है जहां रात कभी नहीं होती क्योंकि ये जगह हमेशा विश्वविद्यालय के छात्रों से गुलजार रहती है. पढ़ाई लिखाई से लेके समसामयिक मुद्दों पर चर्चा करनी हो या विश्वविद्यालय के किसी सीनियर से कोई टिप्स लेनी हो आप लल्ला चुंगी चौराहे पर पहुंच जाइए आपको एक से एक दिग्गज मिल जाएंगे. ये उन्ही पुरा छात्रों का समूह है जिसे सोशल मीडिया के माध्यम से बनाया गया और फिर कारवां बढ़ता गया. समूह में विभिन्न सरकारी गैर सरकारी सेवाओं में उच्च पदों पर आसीन सामाजिक क्षेत्रों में कार्य कर रहे विभिन्न लोग जो पुरा छात्र रह चुके हैं विश्वविद्यालय के जुड़ते चले गए.
समागम में एकत्र हुए जज से लेकर डीआईजी तक और...
इस बार विश्वविद्यालय के इस समूह का समागम प्रभु श्री राम की तपोस्थली चित्रकूट में लल्ला चुंगी समागम के बैनर तले सम्पन्न हुआ. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डीआईजी चित्रकूटधाम मण्डल मनोज तिवारी ने बीते संस्मरणों को सुनाते हुए कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय को यूं ही पूरब का ऑक्सफोर्ड नहीं कहा जाता बल्कि इसके शैक्षिक माहौल के कारण पूरी दुनिया में विश्वविद्यालय का अपना एक अलग स्थान है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय से न जाने कितनी हस्तियां निकली जिन्होंने देश दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई. यहां का छात्र होना अपने आप में गर्व की अनुभूति देता है. पुरा छात्र संजीव मिश्र, सुनील नवोदित, अनुज हनुमत आदि ने खुद को गौरवशाली बताया इलाहाबाद विश्वविद्यालय का छात्र रहने पर.
कोई बन गया संत तो कोई अफसर
समागम में एक दिलचस्प तस्वीर नजर आई वो ये कि कोई पुरा छात्र साधु संत के भेष में नजर आया तो कोई अफसर के रूप में। अपने ही पुराने साथियों को जिंदगी के इस पड़ाव पर देखकर कई पुरा छात्र भावुक हो उठे और संघर्ष के दिनों की यादें ताजा करते हुए फिर वही चाय की चुस्कियां लेने लगे।
Published on:
25 Nov 2018 09:30 am
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