
जिस पर्वत पर लक्ष्मण देते थे पहरा करते थे श्री राम व सीता की रखवाली अब उस पर रोप वे से पहुंचेंगे पर्यटक
चित्रकूट: श्री राम की तपोभूमि चित्रकूट में न जाने ऐसे कितने स्थान हैं जो राम के वनवास काल की प्रमाणिकता स्पष्ट करते हैं. इन स्थानों का उल्लेख वाल्मीकि रामायण से लेकर श्री रामचरितमानस तक में मिलता है जो यह प्रमाणित करता है कि श्री राम चित्रकूट के कण कण में बसते हैं. ऐसा ही एक स्थान है लक्ष्मण पहाड़ी. इस स्थान के बारे में मान्यता है कि वनवास काल के दौरान इसी पहाड़ी से लक्ष्मण पहरा देते थे और श्री राम व सीता की रखवाली करते थे. अयोध्या से जब भरत श्री राम को मनाने चित्रकूट पहुंचे तो इसी पहाड़ी से लक्ष्मण ने भरत को आते हुए देखा था और तब उन्हें लगा कि कोई सेना उनके प्रभु श्री राम पर आक्रमण करने के लिए आ रही है. अब इस स्थान पर बहुत जल्द रोप वे के माध्यम से पर्यटकों का आवागमन शुरू होगा और जिसके लिए तैयारी पूरी हो चुकी है. अपने आप में यूपी का यह पहला रोप वे होगा जबकि दूसरा विंध्याचल में प्रस्तावित है.
परिक्रमा मार्ग पर स्थित है लक्ष्मण पहाड़ी
लक्ष्मण पहाड़ी चित्रकूट के यूपी वाले हिस्से के भगवान कामतानाथ परिक्रमा मार्ग पर स्थित है. लक्ष्मण पहाड़ी के विषय में बताते हुए कामदगिरि प्रमुख द्वारा के महंत मदन गोपालदास ने बताया कि इसी पहाड़ी से लक्ष्मण पहरा देते थे और श्री राम व सीता की रखवाली किया करते थे. लोगों की अगाध आस्था का केंद्र है यह स्थान. चित्रकूट में वनवास काल के साढ़े ग्यारह वर्ष बिताने के दौरान लक्ष्मण ने यहीं से अपने भ्रातत्व कर्तव्य का निर्वहन करते हुए श्री राम व सीता की रखवाली की थी. इसी मान्यता के चलते इस पहाड़ी पर जाने के लिए श्रद्धालु व पर्यटक उत्सुक रहते हैं.
डीएम ने किया निरीक्षण
लक्ष्मण पहाड़ी पर प्रस्तावित रोप वे बनकर पूरी तरह तैयार है और अब इंतजार है तो बस शासन से उद्घाटन की अनुमति का. जल्द ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हरी झण्डी मिलने की उम्मीद के चलते रोप वे की निगरानी को लेकर हलचल बढ़ गई है. जिलाधिकारी विशाख जी अय्यर ने रोप वे का निरीक्षण कर पूरा जायजा लिया और अधिकारीयों को उचित दिशा निर्देश दिए. पर्यटन विभाग ने तो शासन को उद्घाटन का प्रस्ताव भी बनाकर भेज दिया है अब देखना यह है कि कितनी जल्दी शासन से यूपी के इस पहले रोप वे के संचालन की मंजूरी मिलती है.
डीएम विशाख जी अय्यर के मुताबिक रोप वे से एक घंटे में साढ़े चार सौ लोग यात्रा कर सकते हैं। इसकी ऊंचाई भिन्नता 52 मीटर है और इसमें 90 किलोवाट एसी मोटर ड्राइव लगी है। रोपवे में मोनो केबल फिक्स्ड पकड़ पल्स गोंडोला सिस्टम लगा है। इसकी लागत करीब 12.5 करोड़ रुपए है.
Published on:
12 Nov 2018 12:54 pm
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