
शंभूपुरा बाईपास पर दुर्घटना में क्षतिग्रस्त वाहन
राकेश पाराशर @ चित्तौडग़ढ़
पुलिस व परिवहन विभाग के सडक़ सुरक्षा के प्रयास धरातल पर नजर नहीं आ पा रहे है, दोनों विभाग केवल सडक़ सुरक्षा अभियान तक ही सीमित रह गया है। इसके बावजूद दुर्घटना व इनमें होने वाली मौते नहीं थम रही है। वर्ष 2017 में चित्तौडग़ढ़ जिले में हुए सडक़ हादसों और उनमें हुई मौतों ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया, वहीं पुलिस व प्रशासन के लिए भी ये आंकड़े सिरदर्द बन गए। परिवहन विभाग व पुलिस इनसे उबर भी नहीं पाई कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पत्नी जसोदाबेन की कार के जिले में हुए हादसे ने चित्तौडग़ढ़ को पूरे देश में चर्चा में ला दिया।
हादसों की स्थिति ये है कि जनवरी 2017 में हुए सडक़ हादसों की संख्या जनवरी 2018 में घटी जरुर, लेकिन मौतों की संख्या में महज एक अंक की कमी आई। आए दिन होने वाले सडक़ हादसों में लोगों की जानें जा रही हैं। सडक़ें लोगों के खून से रंगती जा रही हैं, जो हर किसी के लिए चिंता का सबब बनती जा रही हैं।
चारों तरफ फोरलेन सडक़ों से घिरे चित्तौडग़ढ़ जिले में ज्यादा हादसे इन हाइवे की सडक़ों पर होते हैं। इन सडक़ दुर्घटनाओं पर रोक लगाने के लिए राज्य सरकार व प्रशासन कवायद कर रहे हैं, लेकिन खराब सडक़ें व सडक़ किनारे की अवैध पार्किंग हादसों का कारण बन रही हैं।
जिला पुलिस के आंकड़ों पर नजर डालें तो जनवरी 2017 में जिले के विभिन्न राष्ट्रीय व राज्य राजमार्गों पर 61 हादसे हुए, जिनमें 25 लोगों की मौत हुई तथा 55 घायल हुए। इसके मुकाबले जनवरी 2018 में हादसे घटकर 43 रह गए, लेकिन मरने वालों की संख्या 24 रही, जो पिछले साल के मुकाबले केवल एक ही कम है।
इसी तरह घायल जरुर 40 लोग ही हुए। हालांकि कई दुर्घटनाएं ऐसी भी हैं, जिनमें लोगों ने मामूली घायल होने के कारण मामले दर्ज नहीं करवाए। जनवरी 2017 में सबसे ज्यादा हादसे चित्तौडग़ढ़-उदयपुर फोरलेन पर भादसोड़ा, भदेसर तथा कोटा फोरलेन पर पारसोली थाना क्षेत्रों में हुए।
भीलवाड़ा फोरलेन पर स्थित गंगरार व चंदेरिया थाना क्षेत्र में बाइक सवारों की मौतें हुई। इन क्षेत्रों में फोरलेन सडक़ों के क्षतिग्रस्त होने के बावजूद मर?मत पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। फोरलेन पर बसे गंगरार कस्बे में भी क्षतिग्रस्त सडक़ व सडक़ किनारे खड़े होने वाले वाहन हादसों का कारण बन रहे हैं।
राज्य सरकार ने गत वर्ष प्रदेश स्तर के सडक़ सुरक्षा प्रकोष्ठ की तर्ज पर जिला मुख्यालयों पर भी इसी तरह के प्रकोष्ठ के गठन के निर्देश जारी किए। प्रकोष्ठ में परिवहन विभाग, पुलिस, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई), चिकित्सा आदि विभागों को शामिल किया गया है। इसके बावजूद वांछित परिणाम सामने नहीं आए।
सडक़ पर खड़े रहने वाले वाहन सबसे बड़ी समस्या
पिछले छह-सात सालों में हुए बड़े सडक़ हादसों के पीछे सडक़ किनारे खड़े रहने वाले वाहन रहे। रात के समय खड़े वाहन तेज गति से आने वाले छोटे वाहनों को नजर नहीं आए और पीछे से भिड़ गए।
ये समस्या सबसे ज्यादा भादसोड़ा, पारसोली थानों में देखने को मिली। इन्हें हटाने में पुलिस, एनएचएआई और अन्य एजेंसियों की लापरवाही के कारण इन वाहनों पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं होती।
11 दिन में चार हादसों ने ले ली थी 25 जानें
चित्तौडग़ढ़ जिले के लिए अगस्त 2017 का पहला पखवाड़ा हादसों के कारण दर्द देने वाला रहा। 4 अगस्त से लेकर 15 अगस्त तक 11 दिनों में हुए चार हादसों ने 25 लोगों की जान ले ली। अधिकांश मृतक व घायल धार्मिक यात्रा पर घर से निकले थे, जो राजस्थान के कई हिस्सों के थे।
सडक़ सुरक्षा को लेकर कर रहे जागरुकता कार्यक्रम
क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी कुसुम राठौड़ ने बताया कि सडक़ हादसों को रोकने की कवायद में जिला प्रशासन, पुलिस विभाग एवं परिवहन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में सडक़ सुरक्षा जन जागरुकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। नाबालिगों के वाहन चलाने से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए स्कूली बच्चों को भी समझाइश की जा रही है।
Published on:
12 Feb 2018 12:01 am
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