
आखिर बचा रहे किसको, आदेश के बावजूद नहीं हुई एफआईआर
जांच में हो चुका दो करोड़ 12 लाख से अधिक के गबन का खुलासा
चित्तौडग़ढ़. जिले के सबसे बड़े महाविद्यालय महाराणा प्रताप राजकीय पीजी कॉलेज में हमारी गाढ़ी कमाई के दो करोड़ १२ लाख रुपए से अधिक की राशि गबन के मामले में जांच के नाम पर कार्रवाई फुटबॉल बन गई है। कॉलेज शिक्षा आयुक्त ने गत ९ दिसंबर को ही कॉलेज प्राचार्य को पत्र भेज इस मामले में आरोपी विक्रमसिंह के अलावा अन्य दोषी कार्मिकों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कराने के स्पष्ट निर्देश दिए है। इसमें आयुक्त बुरड़ ने लिखा कि मामले में अब तक केवल विक्रमसिंह के खिलाफ ही एफआईआर जबकि अन्य दोषियों के खिलाफ ऐसा नहीं किया गया। इस निर्देश के एक माह बाद भी सदर थाने में जांच में दोषी पाए गए अन्य कार्मिकों के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराने से पुलिस भी अनुसंधान का राग अलाप कार्रवाई से कतरा रही है। माना जा रहा है कि अन्य कार्मिकों के िालाफ आयुक्त के निर्देश के बाद नामजद रिपोर्ट दर्ज हो जाए तो पुलिस जांच तेज हो सकती है। कुछ दिन पहले पुलिस अधीक्षक अनिल कयाल भी मीडिया के समक्ष कह चुके है कि गबन मामले में कॉलेज प्रशासन किसी अन्य के खिलाफ नामजद रिपोर्ट देता है तो उस पर कार्रवाई होगी। इन सभी के बावजूद अब तक किसी अन्य दोषी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज नहीं होना कई सवाल खड़े कर रही है और यहीं चर्चा है कि आखिर किसको बचाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. राकेश भट्टड़ ने गबन के इस मामले में २१ जून को सदर थाने में निलंबित चल रहे कैशियर विक्रमसिंह के खिलाफ ८८ ला ा ८९ हजार ९०५ रुपए गबन की नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में मांग की गर्ई थी कि विक्रम सिंह व अन्य दोषी अधिकारी व कर्मचारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सरकारी कोष की ८८ ला ा ८९ हजार ९०५ रुपए की वसूली की जाए। इस रिपोर्ट के बाद करीब तीन माह तक विशेष अंकेक्षण के आधार पर तैयार जांच प्रतिवेदन में करीब दो करोड़ १२ लाख ७१ हजार रुपए की राशि का गबन या अनियमित भुगतान सामने आया। ये रिपोर्ट भी पुलिस को दी जा चुकी है।
पहले भी कर दी निर्देश की अनदेखी
इस मामले में कॉलेज शिक्षा आयुक्तालय ने गत २१ मई व १० जून को पत्र भेज प्राचार्य को विक्रम सिंह के अलावा गबन अवधि में रहे प्राचार्य, कार्यवाहक प्राचार्य, डीडीओ व सहायक लेखाधिकारी के खिलाफ भी एफआईआर के निर्देश दिए थे। प्राचार्य ने २१ जून को सदर थाने में जो रिपोर्ट में दी उनमें इनमें से किसी को नामजद नहीं किया गया। अब विशेष ऑडिट ीिरपोर्ट में ये माना गया कि गबन व अनियमिताओ के लिए रोकडपाल विक्रमसिंह, लेखा संधारण में हुई लापरवाही के लिए पर्यवेक्षण लेखाकर्मी व गंभीर वित्तीय उदासीनता के लिए कार्यालयध्यक्ष भी उत्तरदायी है।
पैसे निकलते गए लेकिन रिकॉर्ड ही नहीं रखा
वर्ष जनवरी २०१८ में कॉलेज में जनसहभागिता से नए कक्षाकक्ष बनाने की घोषणा की गई। इस कार्य के लिए तत्कालीन प्राचार्य आरएम कोचिटा ने २५ लाख रुपए की राशि देने के बारे में बैंक से पता किया तो पता चला कि बैलेंस कम है। कॉलेज रिकॉर्ड में कैश बुक इससे अधिक राशि जमा होना बता रही थी तो प्राचार्य को छात्र कोष की राशि में गबन की आशंका हुई। प्रार िभक पड़ताल के बाद कॉलेज शिक्षा आयुक्तालय को मामले की रिपोर्ट भेजने के बाद पता चला कि पांच वर्ष से इस तरह की गड़बड़ी हो रही है। पुलिस में दी रिपोर्ट के अनुसार ८८ लाख ९४ हजार ९०५ रुपए की राशि विक्रमसिंह द्वारा अलग-अलग तिथियों में जरिये चेक व नगद बैंक से आहरित की गई लेकिन इस राशि के स बन्ध में किसी भी प्रकार के वाउचर एवं दस्तावेज महाविद्यालय के लेखा एवं रोकड़ विभाग में उपलब्ध नहीं बताए गए। रोकड़ बही का भी संधारण नहीं हुआ।
जांच में खुल गई गबन की परतें
विशेष ऑडिट में गबन की परते खुलती चली गई। इसमें पाया गया कि महाविद्यालय बचत खाता से ९२ लाख १७ हजार ६६९ रुपए का गबन एवं अनियमित भुगतान करने के साथ महाविद्यालय छात्रनिधि पीडी खाते की रोकड़ बही में एक करोड़ ९ लाख ८६ हजार १६१ रुपए राशि का गबन हुआ। महाविद्यालय विकास समिति खाते से गबन एवं अनियत्रिंत भुगतान ६ लाख ५८ हजार ७८९ रुपए का एवं राजकीय मद की रोकड़ बही से ४ लाख ९ हजार ३६५ रुपए का गबन जांच में माना गया है।
रिपोर्ट लिखवाने वाले ही जांच के दायरे में
आयुक्तालय ने एक अप्रेल २०१३ से ३१ मार्च २०१८ तक जो भी प्राचार्य ,कार्यवाहक प्राचार्य,लेखाधिकारी, सहायक लेखाधिकारी रहे उन सब को जांच के दायरे में माना। ऐसे में रिपोर्ट को आधार बना इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जानी है। इस अवधि में प्राचार्य के रूप में डॉ. एमएल पितलिया, डॉ. आदित्येन्द्र राव, प्रो. एसके ठक्कर, प्रो. मूरलीधर मूंदड़ा ने सेवाएं दी। कुछ व्या याताओं ने कार्यवाहक प्राचार्य का दायित्व भी संभाला जिनको जांच के घेरे में लिया। विशेष बात ये है कि इन कार्यवाहक प्राचार्य में वर्तमान प्राचार्य राकेश भट्टड़ भी शामिल है जिनके पास आयुक्तालय के सभी निर्देश आ रहे है। जो जांच के दायरे में आ रहा उनको ही कैसे रिपोर्ट लिखवाने का निर्देश दिया जा रहा ये भी चर्चा में है। ऐसे में निष्पक्ष जांच पर भी सवाल उठ रहे है।
Published on:
13 Jan 2020 10:53 pm
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