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तरसा रहे आसमान में छाए बादल, तेज बारिश का इंतजार

चित्तौडग़ढ़ जिले में रोजाना काले बादल आसमान में छा रहे है मानसून अब भी पूरी तरह सक्रिय नहीं हो पा रहा है। जलाशयों में पानी की आवक का इंतजार है। पूरे जिले में एक साथ तेज बारिश नहीं हो पा रही है निरन्तर तेज बारिश के अभाव में जिले में एक भी बांध अब तक आधा भी नहीं भर पाया है। गंभीरी, बस्सी,वागन, ओराई सहित सभी प्रमुख बांधों में पानी की अब तक बहुत कम आवक हुई है।

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तरसा रहे आसमान में छाए बादल, तेज बारिश का इंतजार

तरसा रहे आसमान में छाए बादल, तेज बारिश का इंतजार

चित्तौडग़ढ़. जिले में रोजाना काले बादल आसमान में छा रहे है मानसून अब भी पूरी तरह सक्रिय नहीं हो पा रहा है। जलाशयों में पानी की आवक का इंतजार है। पूरे जिले में एक साथ तेज बारिश नहीं हो पा रही है निरन्तर तेज बारिश के अभाव में जिले में एक भी बांध अब तक आधा भी नहीं भर पाया है। गंभीरी, बस्सी,वागन, ओराई सहित सभी प्रमुख बांधों में पानी की अब तक बहुत कम आवक हुई है। जिलेे में मंगलवार को भी अधिकतर जगह बादल छाए रहे लेकिन बारिश नहीं हुई। गंगरार में मंगलवार दिन के समय व भैसरोडग़ढ़ क्षेत्र में सोमवार रात रिमझिम बारिश हुई। मंगलवार शाम ५ बजे समाप्त २४ घंटे में गंगरार में ९ एवं भैसरोडग़ढ़ में तीन मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। चित्तौैडग़ढ़ शहर में दिनभर बादल तो छाए रहे लेकिन बारिश नहीं हुई। बारिश का दौर पिछले एक सप्ताह से फिर कमजोर पड़ जाने से किसानों की चिंता भी बढ़ गई है। किसानों को खरीफ बचाने के साथ मानसून कमजोर रहने पर आगामी रबी फसल बिगडऩे की चिंता भी सता रही है। खरीफ में भी मानसून विलंब होने के कारण कर्ई किसानों ने दुबारा बुवाई की है। रबी फसल का प्रमुख आधार सिंचाई है जिसके लिए जलस्रोतों में पानी की अच्छी आवक होना जरूरी है।
गत वर्ष छलक पड़े थे बांध
गत वर्ष मानसून की मेहरबानी से जिले में अधिकतर प्रमुख बांध छलक पड़े और चादर चली। इनमें गंभीरी, घोसुण्डा, मातृकुण्डिया आदि बांध शामिल थे। बांधों के छलक जाने का असर क्षेत्र के भूमिगत जलस्तर पर भी पड़ा। मानसून की मेहरबानी इतनी हुई कि सरकार जो बाढ़ नियंत्रण कक्ष १५ सितंबर को बंद करने वाली थी उन्हें भी ३० सितम्बर तक बढ़ाना पड़ा था।