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कोरोना काल में कर दिया ऐसा कमाल, अब ताउम्र का मिल गया सुकून

जज्बा यदि कुछ कर दिखाने का हो तो असंभव भी संभव हो जाता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है चित्तौडग़ढ़ के एक सेवानिवृत दंपती ने। कोरोना काल में जब घर में ही कैद रहने का मौका आया तो दंपती ने मकान की छत पर ही पर्यटन स्थल की तर्ज पर गार्डन बना दिया।

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कोरोना काल में कर दिया ऐसा कमाल, अब ताउम्र का मिल गया सुकून

कोरोना काल में कर दिया ऐसा कमाल, अब ताउम्र का मिल गया सुकून

चित्तौडग़ढ़
जज्बा यदि कुछ कर दिखाने का हो तो असंभव भी संभव हो जाता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है चित्तौडग़ढ़ के एक सेवानिवृत दंपती ने। कोरोना काल में जब घर में ही कैद रहने का मौका आया तो दंपती ने मकान की छत पर ही पर्यटन स्थल की तर्ज पर गार्डन बना दिया।
चित्तौडग़ढ़ के मधुवन इलाके में रहने वाली इन्दुपुरी गोस्वामी शिक्षा विभाग से तो उनके पति कमलपुरी गोस्वामी सीमेंट फैक्ट्री से सेवानिवृत है। इन्दुपुरी की मानें तो उन्हें बचपन से ही बाग-बगीचों का शौक रहा है। वीडियो पर टेरिस गार्डन देखा तो मन में कुछ कर गुजरने की इच्छाशक्ति जागृत हुई। अहमदाबाद भ्रमण के दौरान छत पर उद्यान देखा तो इरादा पक्का कर लिया।
कोरोना काल में जब लोग घरों में कैद रहने के लिए मजबूर हो गए तो गोस्वामी दंपती ने समय का पूरा सदुपयोग किया। नर्सरी से कई तरह के एंटिक पौधे और गमले घर ले आए। गमलो की सजावट की शुरुआत घर के मुख्य द्वार की दीवार से की और बढते ही चले गए। मकान की छत पर करीब डेढ लाख रुपए की लागत से शेड तैयार करवाए। कबाड़ की सामग्री का भी पौधे लगाकर ऐसा उपयोग किया कि अब लोग छत पर बने इस उद्यान को देखने आते हैं। दंपती ने अब तक करीब पांच लाख रुपए इस पर खर्च किए हैं।

मां की याद में चंपा के पौधे
कमलपुरी गोस्वामी ने बताया कि उनकी माता का नाम चंपादेवी था। वे अब दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी याद में चंपा के पौधे की कई किस्में इस घरेलु उद्यान को महका रही हैं।

बच्चों सरीखा मोह है उद्यान से
इन्दुपुरी ने पति के सहयोग से उद्यान तैयार करने में कई तरह के नवाचार किए हैं। कई जगह मन भावन मूर्तियां लगाकर गमलों से सजाई गई है तो पोते की बचपन की साइकिल भी अब पौधों से सज्जित हो गई है। सवेरे आंख खुलते ही इन्दुपुरी इन पौधों से सेवा में जुट जाती है। पौधों को पानी देना, उनकी देखरेख करना गोस्वामी की दिनचर्चा में शामिल हो गया है। सुबह-सुबह ताजा ऑक्सीजन भी मिल जाती है। सूरज की पहली किरण से पहले इन पौधों को सहलाना और उनसे बातें करना गोस्वामी दंपती को बड़ा शुकून देती है। काश! शहर के अन्य लोग भी इस नवाचार से प्रेरणा ले तो प्रकृति के रंग हर घर को हरा-भरा कर देंगे।


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