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राजस्थान के इस जिले से हर दिन जोधपुर पहुंचती है मादक पदार्थ की खेप, हर चक्कर के मिलते हैं 50 हजार रुपए

Chittorgarh News: मेवाड़ और मालवा से अधिकांश मादक पदार्थ तस्करी के जरिए मारवाड़ ही ले जाया जाता रहा है।

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चित्तौड़गढ़। मेवाड़ से मारवाड़ तक मादक पदार्थों की खेप पहुंचाने को लेकर नित नए खुलासे हो रहे हैं। चित्तौड़गढ़ जिले से अमूमन हर दिन मादक पदार्थों की खेप जोधपुर पहुंचती है। खेप सुरक्षित पहुंचाने के बदले हर चक्कर के पचास हजार रुपए दिए जा रहे हैं।

एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स पुलिस मुख्यालय ने तस्करों तक मादक पदार्थ की खेप पहुंचाने वाले आरोपी से पूछताछ के बाद यह नया खुलासा किया है। एजीटीएफ की सूचना पर भीलवाड़ा की गंगापुर थाना पुलिस ने जोधपुर ग्रामीण के कापरड़ा थानान्तर्गत कुड़ गांव निवासी राकेश पुत्र भंवराराम जाखड़ को प्रोडक्शन वारंट के जरिए ब्यावर जेल से गिरफ्तार किया।

अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स दिनेश एमएन ने बताया कि 11 अक्टूबर की रात एजीटीएफ ने भीलवाड़ा जिले की कारोई थाना पुलिस के सहयोग से गुरलां गांव के पास नाकाबंदी में तस्करों से मुठभेड़ के बाद एक जीप से 60 लाख रुपए कीमत का 3 क्विंटल 92 किलो अवैध डोडा चूरा जब्त किया था।

जीप में बैठे शातिर बदमाश राकेश जाखड़ ने पुलिस टीम पर फायरिंग कर दी थी। राकेश जाखड़ व उसका साथी जोधपुर जिले के झंवर थानान्तर्गत जोलियाली निवासी मनोहर पुत्र घेवर राम फरार हो गए थे। एजीटीएफ की टीम के उप महानिरीक्षक पुलिस योगेश यादव, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सिद्धांत शर्मा के सुपरविजन व पुलिस निरीक्षक राम सिंह नाथावत के नेतृत्व में कांस्टेबल गोपाल धाबाई व विजय सिंह की स्पेशल टीम आरोपी की तलाश में जुटी हुई थी।

एडीजी ने बताया कि आरोपी राकेश जाखड़ के विरुद्ध पूर्व में भी आर्म्स एक्ट के मुकदमे दर्ज हैं। आरोपी दो-तीन दिन के अंदर चित्तौडग़ढ़ से तस्करी के जरिए मादक पदार्थ जोधपुर लेकर जाता था। माल सुरक्षित पहुंचाने पर उसको प्रत्येक चक्कर के 50 हजार रुपए मिलते है। महीने में वह करीब 15 चक्कर चित्तौडग़ढ़ के लगा लेता था। माल को सुरक्षित पहुंचाने के लिए वह पुलिस पर फायरिंग करने से भी नहीं चूकता।

तस्करी में मेवाड़ का बरसों से है मारवाड़ कनेक्शन

गौरतलब है कि मेवाड़ और मालवा से अधिकांश मादक पदार्थ तस्करी के जरिए मारवाड़ ही ले जाया जाता रहा है। बरसों से यहां से बड़ी मात्रा में डोडा चूरा और अफीम की खेप हर दिन जोधपुर सहित मारवाड़ के विभिन्न इलाकों तक पहुंचती रही है। इसकी एक वजह यह भी है कि मारवाड़ में जन्म, मरण और परण के मौकों पर कई समाजों में अफीम से मनुहार करने का चलन बरसों से है। इससे वहां मादक पदार्थ की मांग बनी रहती है।

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