चित्तौड़गढ़

हमारी विरासत पर हेलो के बाद खामोशी

हेलो, हेलो! तभी गाइड बोल पड़ता है, साहब! यह चित्तौड़ दुर्ग हैं। यहां मोबाइल पर बात नहीं होती। यह बात सुनकर यहां देश-विदेश से पहुंचने वाले पर्यटक भी एकबारगी तो खुद को ठगा सा महसूस करने लगते हैं पर विकल्प के नाम पर उनके पास कुछ नहीं होता।

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हमारी विरासत पर हेलो के बाद खामोशी

चित्तौडग़ढ़
हेलो, हेलो! तभी गाइड बोल पड़ता है, साहब! यह चित्तौड़ दुर्ग हैं। यहां मोबाइल पर बात नहीं होती। यह बात सुनकर यहां देश-विदेश से पहुंचने वाले पर्यटक भी एकबारगी तो खुद को ठगा सा महसूस करने लगते हैं पर विकल्प के नाम पर उनके पास कुछ नहीं होता। समस्या बहुत पुरानी है, क्यों कि यहां जिम्मेदार सोए हुए हैं।
यूनेस्को की सूची में शुमार विश्व विरासत के तौर पर देश और दुनिया में पहचान रखने वाले दुर्गराज चित्तौड़ पर सुविधाओं के लिहाज से देखा जाए तो खामियां दर खामियां हैं। तननिकी जमाने में नेटवर्क की समस्या यहां पर्यटकों के साथ ही हर आम को सालती है। दुर्ग पर जाते ही मोबाइल से नेटवर्क गायब हो जाता है। ऐसे में यहां आपातकालीन स्थिति में कोई भी परिजन या पुलिस से संपर्क नहीं कर पाता। कई पर्यटक तो दुर्ग पर पहुंचकर वीडियो कॉलिंग के जरिए अपने परिजनों और चिर-परिचितों को दुर्ग दर्शन करवाने को लेकर उत्साहित रहते हैं पर मोबाइल से नेटवर्क गायब देख मन मसोस कर रह जाते हैं।
दुर्ग पर देश-विदेश की हस्तियों का भी समय-समय पर आने-जाने का क्रम लगा रहता है। केन्द्रीय मंत्री से लेकर विधायक और पार्षद जैसे जनप्रतिनिधियों के साथ ही जिला स्तर के अधिकारी तो दुर्ग पर आते-जाते ही रहते हैं। इन सबको भी पता है कि दुर्ग पर जाते ही मोबाइल से नेटवर्क विद्युतापूर्ति की तरह गुल हो जाता है। दुर्ग पर मोाबइल नेटवर्क गायब होने की यह समस्या बरसों पुरानी है, क्यों की यहां जिम्मेदार सोए हुए हैं। काश! देश और दुनिया के चित्र पटल पर पहचान बना चुके दुर्गराज चित्तौड़ की महता को जिम्मेदार समझे और छोटी सी लगने वाली इस बड़ी समस्या का समाधान हो जाए। ताकि सैलानी भी अपने दिलो-दिमाग में यहां की अच्छी छवि साथ लेकर जाए।

Published on:
24 May 2023 10:48 pm
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