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घरों से ही क्यों करनी होगी पर्यूषण पर्व की धर्म आराधना

श्वेताम्बर जैन समाज के आठ दिवसीय पर्युषण पर्व की धर्म आराधना शनिवार से शुरू होगी। स्वाध्याय व भक्ति को समर्पित पर्र्युषण पर्व का समापन 22 अगस्त को संवत्सरी महापर्व साथ होगा। श्वेताम्बर जैन धर्मावलम्बर 23 अगस्त को क्षमायाचना पर्र्व मनाएंगे। इस बार कोरोना संकट के चलते स्थानकवासी जैन समाज के लोगों को स्थानक बंद होने से एवं मूर्तिपूजक श्वेताम्बर जैन समाज के लोगों को मंदिरों में प्रवेश बंद होने से घरों से ही पर्युषणपर्व की भक्ति आराधना करनी पड़ेगी।

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घरों से ही क्यों करनी होगी पर्यूषण पर्व की धर्म आराधना

घरों से ही क्यों करनी होगी पर्यूषण पर्व की धर्म आराधना

चित्तौैडग़ढ़. श्वेताम्बर जैन समाज के आठ दिवसीय पर्युषण पर्व की धर्म आराधना शनिवार से शुरू होगी। स्वाध्याय व भक्ति को समर्पित पर्र्युषण पर्व का समापन 22 अगस्त को संवत्सरी महापर्व साथ होगा। श्वेताम्बर जैन धर्मावलम्बर 23 अगस्त को क्षमायाचना पर्र्व मनाएंगे। इस बार कोरोना संकट के चलते स्थानकवासी जैन समाज के लोगों को स्थानक बंद होने से एवं मूर्तिपूजक श्वेताम्बर जैन समाज के लोगों को मंदिरों में प्रवेश बंद होने से घरों से ही पर्युषणपर्व की भक्ति आराधना करनी पड़ेगी। शहर में विभिन्न स्थानकों में जैन मुनियों के चातुर्मास तो चल रहे है लेकिन कोरोना संकट के चलते प्रवचन आदि दैनिक कार्यक्रम नहीं हो रहे है। संक्रमण के खतरे से बचने के लिए श्रद्धालुओं को भी प्रवेश के लिए आने से मना किया जा रहा है। मुनियों के पास धर्मचर्चा के लिए भी सीमित संख्या में ही श्रावक-श्राविकाएं पहुंच रहे है। ये पहला अवसर होगा जब पर्र्युषण पर्व में भी श्रावक-श्राविकाएं स्थानक या मंदिर से दूर रहेंगे। ऐसे में संत-साध्वियों व जैन संघों ने श्रावक-श्राविकाओं से प्रतिदिन घर पर ही सामायिक,स्वाध्याय और भक्ति पूजन करने का आह्वान किया है।
रखें सोशल डिस्टेंस व नियमों का ध्यान
जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघ के अध्यक्ष चंद्रसिंह कोठारी ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण राजकीय निर्देशों का पालन करते हुए आराधना करनी है। उन्होंने कहा कि मंदिरों और उपाश्रयों में संक्रमण से बचते हुए प्रवेश करें। धार्मिक कार्यक्रम में 20 से अधिक की संख्या ना हो इसका सख्ती से पालन की जाए। शाम को प्रतिक्रमण में भी 2 गज दूरी व मास्क आदि का पूरा ख्याल रखा जाए। दोनों समय प्रतिक्रमण, पूजा आदि घर पर भी की जा सकती है। घर पर प्रतिमा स्थापित करें और यह भी संभव नहीं हो तो भगवान के चित्र पर स्नान के बाद शुद्ध वस्रों में वासक्षेप पूजा और चैत्यवंदन किया जा सकता है।