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जंगल जीवन की खूबसूरत झलक मिलती है यहां, जानिए कहां

सादुलपुर उपखंड मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर बीयाबान धाेरों में मौजूद लीलकी बीड़ कभी प्रदेश के राज्य पशु रहे चिंकारा के कुलांचे भरने व मरु लोमडि़यों के आखेट का इलाका है। बीड़ को बरसों से अभयारण्य का दर्जा मिलने को इंतजार है। इसकी लोगों ने मांग भी बुलंद की। मगर, कई सरकारें बदलीं। नहीं बदली तो यहां के जंगल जीवन की तस्वीर। वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक लीलकी बीड़ 1086.73 हेक्टर में फैला है। यहां पर कई तरह के वन्यजीव विचरण करते हैं।

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चूरू. जिले के सादुलपुर उपखंड मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर बीयाबान धाेरों में मौजूद लीलकी बीड़ कभी प्रदेश के राज्य पशु रहे चिंकारा के कुलांचे भरने व मरु लोमडि़यों के आखेट का इलाका है। बीड़ को बरसों से अभयारण्य का दर्जा मिलने को इंतजार है। इसकी लोगों ने मांग भी बुलंद की। मगर, कई सरकारें बदलीं। नहीं बदली तो यहां के जंगल जीवन की तस्वीर। वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक लीलकी बीड़ 1086.73 हेक्टर में फैला है। यहां पर कई तरह के वन्यजीव विचरण करते हैं। इसके अलावा कई तरही वनोषधियां भी इस इलाके में पाई जाती हैं। जिम्मेदारों में गंभीरता की कमी के चलते बीड़ में पेडों की अंधाधुंध कटाई होने के चलते यहां का जंगल जीवन प्रभावित हो रहा है। वन्यजीव प्रेमियों ने बताया के बीड़ का पारििस्थतिकी तंत्र गडबड़ाने से जंगली जानवर यहां से पलायन कर रहे हैं।

ये वन्यजीव मौजूद यहां

वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार पानी बिजली की व्यवस्था से युक्त लीलकी बीहड़ जिसे आम बोलचाल की भाषा बीड़ कहा जाता है। यहां पर काले हिरण के अलावा करीब दो हजार से अधिक चिंकारा है। यह लोमड़ी व सियार भी निवास करते हैं। नील गाय, स्पाइनीटेलड लिजर्ड आदि भी पाए जाते हैं। क्षेत्रीय वन अधिकारी रणवीर सिंह ने बताया कि बीड़ में पौधे तैयार करने के लिए नर्सरी का भी निर्माण किया गया है।

लोगों को लुभाता है प्रसिद्ध हाथी टीला

लीलकी बीहड़ में हाथी टीले के नाम से एक पर्वत जैसा टीला है। जिस पर खड़े होकर 15 किलोमीटर की दूरी के गांवों को आसानी से देखा जा सकता है। लीलकी गांव के राजेंद्र सिंह राठौड़ तथा सामाजिक कार्यकर्ता कमल सिंह सेठिया ने बताया कि बीहड के विस्तार और भावी योजना के लिए अनेक बार विभाग और मुख्यमंत्री को बताया जा चुका है। लीलड़ी बीहड़ को अभयारण्य पर्यटक स्थल बनाने एवं कंजर्वेशन रिजर्व घोषित करने की मांग की थी। इसके बावजूद इसे ओर किसी भी सरकार ने ध्यान नहीं दिया है।-

नई सरकार से उम्मीद

सरकार लीलकी बीहड़ को अभयारण्य घाेषित कर इसका विकास करे तो रोजगार के अवसर बढ सकते हैं। लोगों ने बताया कि अभयारण्य घोषित होने पर क्षेत्र के लोगों को रोजगार मिलेगा तथा रोजगार के अवसर और साधन भी बढ़ेंगे। सरकार को भी आय होगी। लोगों का कहना है कि अनेकों बार दर्शन और शिकायत के बावजूद सरकार की ओर से कार्रवाई नहीं हो रही है। जबकि ग्रामीणों ने बताया कि नई सरकार से उम्मीद है की लीलकी बीहड़ को अभयारण्य घोषित करेगी।

सन 1994 में बीड़ को करवाया मुक्त

सन 1994 से पूर्व लोगों ने 800 हेक्टर से भी अधिक क्षेत्र में अतिक्रमण कर खेती करनी शुरू कर दी थी। बाद में लोगों की शिकायतों के बाद वन विभाग ने लोगों के विरुद्ध न्यायालय में लड़ाई लड़कर सन 1994 में अतिक्रमण से बीहड़ को मुक्त करवाया था।

इनका कहना है:

लीलकी बीहड़ की सुरक्षा के लिए विभाग की ओर से 19 किमी दीवार का निर्माण करवाया गया है। 10 तालाब का निर्माण भी हो चुका है। वही एक रेस्ट हाउस भी बनाया गया है। कंजर्वेशन रिजर्व घोषित करवाने के लिए फाइल भेजी गई थी लेकिन कुछ ऑब्जेक्शन के कारण फाइल वापस लौटी है। अब आवश्यक पूर्ति कर फाइल भेज कर अभयारण्य बनाने की सिफारिश के साथ उचित कार्रवाई करेंगे।

रणबीर सिंह, रेंजर, सादुलपुर