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Acharya Mahashraman- महान प्रज्ञावान थे आचार्य महाप्रज्ञ: महाश्रमण

सरदारशहर. जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के दशमाधिशास्ता, प्रज्ञापुरुष, अध्यात्मवेत्ता, महान दार्शनिक आचार्य महाप्रज्ञ के 13वें महाप्रयाण दिवस और तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, महातपस्वी आचार्य महाश्रमण की सन्निधि में श्रद्धा का संगम देखने को मिला। मंगलवार सुबह से ही अध्यात्म का शांतिपीठ में देश के विभिन्न हिस्सों से लोगों के आने का क्रम जारी रहा। मुख्य कार्यक्रम से पूर्व प्रात: आचार्य महाश्रमण अपने गुरु आचार्य महाप्रज्ञ की समाधि स्थल पर पहुंचे। यहां उन्होंने ध्यान लगाया।

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चूरू

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Vijay

Apr 27, 2022

Acharya  Mahashraman- महान प्रज्ञावान थे आचार्य महाप्रज्ञ: महाश्रमण

Acharya Mahashraman- महान प्रज्ञावान थे आचार्य महाप्रज्ञ: महाश्रमण

सरदारशहर. जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के दशमाधिशास्ता, प्रज्ञापुरुष, अध्यात्मवेत्ता, महान दार्शनिक आचार्य महाप्रज्ञ के 13वें महाप्रयाण दिवस और तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, महातपस्वी आचार्य महाश्रमण की सन्निधि में श्रद्धा का संगम देखने को मिला। मंगलवार सुबह से ही अध्यात्म का शांतिपीठ में देश के विभिन्न हिस्सों से लोगों के आने का क्रम जारी रहा। मुख्य कार्यक्रम से पूर्व प्रात: आचार्य महाश्रमण अपने गुरु आचार्य महाप्रज्ञ की समाधि स्थल पर पहुंचे। यहां उन्होंने ध्यान लगाया।
कार्यक्रम में आचार्यश्री के आगमन से मुख्यनियोजिका साध्वी विश्रुतविभा ने श्रद्धालुओं को संबोधित किया। साध्वी संगीतप्रभा, साध्वी अक्षयप्रभा, समणी निर्मलप्रज्ञा व समणी रोहिणीप्रज्ञा ने भावांजलि अर्पित की। आचार्यश्री के मंचासीन होने के उपरान्त साध्वीवर्या साध्वी संबुद्धयशा तथा मुख्यमुनिश्री महावीरकुमार ने आचार्य महाप्रज्ञ के व्यक्तित्व को व्याख्यायित किया। इसके बाद आचार्य महाश्रमण ने कहा कि आगम वाङ्मय में महाप्रज्ञ शब्द प्राप्त होता है। यह शब्द आर्षवाणी से प्रदत्त है। आचार्यश्री तुलसी ने मुनि नथमलजी स्वामी (टमकोर) को महाप्रज्ञ अलंकरण प्रदान किया। विशेष बात यह रही कि वह अलंकरण ही सार्थक बन नामकरण में परिवर्तित हो गया। आज के दिन उनका महाप्रयाण हो गया। टमकोर जैसे छोटे से गांव में उनका जन्म हुआ। सरदारशहर में ही तेरापंथ के आठवें आचार्य पूज्य कालूगणी से दीक्षित हुए। बाद में उनमें ज्ञान का ऐसा विकास हुआ वे मुनि नथमल से महाप्रज्ञ हो गए। वे आचार्य तुलसी के सहयोगी बने। बाद में युवाचार्य और फिर अपने आचार्य द्वारा जीवित अवस्था में ही वे आचार्य पद पर आसीन होने वाले प्रथम आचार्य बन गए। आचार्य महाप्रज्ञ की समाधिस्थल पर पहली बार इस महाप्रयाण दिवस पर मैं मौजूद हूं। उन्होंने कहा कि उनके युग में प्रारम्भ हुए आगम संपादन कार्य को यदि सम्पन्नता तक पहुंचा पाएं यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इस दौरान आचार्यश्री ने स्वरचित गीत का संगान किया। जैन विश्व भारती द्वारा आचार्य महाप्रज्ञ के जीवनवृत्त यात्रा अङ्क्षकचन की अंग्रेजी भाषा में अनुवादित पुस्तक पूज्यप्रवर के समक्ष लोकार्पित की गई। आचार्य महाश्रमण ने पुस्तक के संदर्भ में कहा कि यह पुस्तक अंग्रेजी भाषा के जानकर लोगों के लिए अच्छी प्रेरणा प्रदान करने वाली बने। कार्यक्रम में मुनि रजनीशकुमार, साध्वी बसंतप्रभा, साध्वी गुप्तिप्रभा, साध्वी रोहितयशा, जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष मनसुखलाल सेठिया, महामंत्री विनोद बैद, चैनरूप चण्डालिया, जय तुलसी फाउण्डेशन के मंत्री सुरेन्द्र बोरड़, सम्पत बच्छावत, पूर्व विधायक अशोक पींचा, आचार्य महाप्रज्ञ इण्टरनेशनल स्कूल के शिक्षक कन्हैया मोहन ने भी अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए। मुनि राजकुमार, मुनि अनेकांतकुमार, साध्वी बसंतप्रभा की सहवर्ती साध्वियों, साध्वी मौलिकयशा, साध्वी भावितयशा, तेरापंथ कन्या मण्डल, तेरापंथ महिला मण्डल ने पृथक्-पृथक् गीत का संगान कर अपनी भावांजलि अर्पित की।