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Acharya Mahashraman- जीवन में हमेशा विवेक से करें शब्दों का प्रयोग- आचार्य महाश्रमण

चूरू. छापर. आचार्य कालू महाश्रमण समवसरण में मंगलवार को उपस्थित विराट जनमेदिनी को आचार्य महाश्रमण ने भगवती सूत्र आगम के माध्यम से मंगल संबोध प्रदान करते हुए कहा कि सुनना आदमी के लिए कितना आसान होता है, किन्तु इसकी गहराई में जाने पर पता चलता है कि सुनने के पीछे कितना नियम हैं। जैन शास्त्र में इन्द्रियों को दो भागों में बांटा है। प्राप्यकारी और अप्राप्यकारी।

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चूरू

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Vijay

Sep 22, 2022

Acharya Mahashraman- जीवन में हमेशा विवेक से करें शब्दों का प्रयोग- आचार्य महाश्रमण

Acharya Mahashraman- जीवन में हमेशा विवेक से करें शब्दों का प्रयोग- आचार्य महाश्रमण

कान से किसी की बुराई आदि सुनने में रस नहीं लेना चाहिए
जैन शास्त्र में इन्द्रियों को दो भागों में बांटा है। प्राप्यकारी और अप्राप्यकारी। चक्षु (आंख) को अप्राप्यकारी और शेष चारों इन्द्रियों को प्राप्यकारी में रखा है
चूरू. छापर. आचार्य कालू महाश्रमण समवसरण में मंगलवार को उपस्थित विराट जनमेदिनी को आचार्य महाश्रमण ने भगवती सूत्र आगम के माध्यम से मंगल संबोध प्रदान करते हुए कहा कि सुनना आदमी के लिए कितना आसान होता है, किन्तु इसकी गहराई में जाने पर पता चलता है कि सुनने के पीछे कितना नियम हैं। जैन शास्त्र में इन्द्रियों को दो भागों में बांटा है। प्राप्यकारी और अप्राप्यकारी। चक्षु (आंख) को अप्राप्यकारी और शेष चारों इन्द्रियों को प्राप्यकारी में रखा है। क्योंकि कान को जब तक शब्द प्राप्त नहीं होते, वह सुन नहीं सकता। इसी प्रकार इन्द्रियों के अन्य वर्गीकरण में आंख और कान को कामी इन्द्रिय और नाक, जिह्वा और त्वचा को भोगी इन्द्रिय की श्रेणी में रखा है। सुनने की सक्षमता होती है, आदमी कितनी धर्म की बातों को सुन सकता है और ग्रहण कर सकता है। श्रवण का अच्छा लाभ उठाने का प्रयास करना चाहिए। कान से किसी की बुराई, ङ्क्षनदा आदि सुनने में रस नहीं लेना चाहिए। आदमी को शब्दों के प्रयोग में भी विवेक रखने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो सम्माननीय हो, उनके लिए उचित शब्दों का प्रयोग होना चाहिए। उपयुक्त शब्द के प्रयोग से भाषण और व्यवहार भी उपयुक्त बन सकता है। शब्द संयत, यथार्थ और मधुर हो तो शब्द का शृंगार हो सकता है। आचार्यश्री ने कालूयशोविलास का संगान करते हुए स्थानीय भाषा में व्याख्यायित भी किया। कार्यक्रम में पारसमल दूगड़ ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। चाड़वास के संजय भटेरा ने अपने गीत की प्रस्तुति दी।

हनुमत कथा श्रवण करने उमड़े श्रद्धालु
राजलदेसर. उत्तरादा बास स्थिति इच्छापूर्ण बालाजी मंदिर परिसर में विहिप तथा बजरंग दल की ओर से गो सेवार्थ चल रही हनुमत कथा श्रवण करने बुधवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़े। कथावाचक आचार्य गंगाधर शास्त्री नेकहा कि श्री राम भक्त हनुमान अंधकार से प्रकाश की ओर, मृत्यु से अमरता की ओर तथा असत्य से सत्य की ओर ले जाने वाले हैं। शास्त्री ने कहा कि हनुमान साक्षात परमब्रह्म परमात्मा के रूप हैं। शास्त्री ने गोवंश में फैले लंपी रोग से निजात दिलवाने के लिए कथा यजमान हेमंत, उमादेवी व बड़ी संख्या में उपस्थित श्रृद्धालुओं से भगवान हनुमान की पूजा करवाई।