
Acharya Mahashraman- जीवन में प्रवृत्ति के तीन साधन शरीर, वाणी और मन- आचार्य महाश्रमण
चूरू. जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता आचार्य महाश्रमण का रविवार को सेठिया अतिथि भवन सादुलपुर की धरा पर मंगल पदार्पण हुआ। ऐसे में उनके दर्शन को लोग उमड़ पड़े। रविवार को सुबह आचार्य राजगढ़ से सादुलपुर की ओर प्रस्थित हुए। संभवत: भीलवाड़ा चतुर्मास के बाद से आचार्य का रविवार को सबसे छोटा विहार था। लगभग डेढ़ किलोमीटर का विहार रहा, किन्तु श्रद्धालुओं की उपस्थिति और जन-जन में दर्शन की अभिलाशा के कारण आचार्य को डेढ़ किलोमीटर की दूरी तय करने में लगभग दो घंटे का समय लगा। स्वागत जुलूस के साथ आचार्य सादुलपुर स्थित सेठिया परिवार के निवास स्थान में पहुंचे। सुराणा भवन में कहा कि जीवन में प्रवृत्ति के तीन साधन बताए गए हैं शरीर, वाणी और मन। शरीर के द्वारा घूमना-फिरना, अन्य कोई कार्य, वाणी के द्वारा बोलना और मन के द्वारा ङ्क्षचतन, विचार आदि किया जाता है। आदमी अपने इन तीनों प्रवृत्ति के साधनों से असत् प्रवृत्ति न करे, ऐसा प्रयास करना चाहिए। हाथ किसी को कष्ट देने के लिए नहीं, बल्कि पवित्र सेवा करने के लिए उठे। वाणी से किसी को ठेस न पहुंचे। कम बोलना, मीठा बोलना और सत्य बोलना वाणी का आभूषण होता है। वाणी के द्वारा किसी पर झूठ आरोप लगाने का प्रयास नहीं करना चाहिए। मन में किसी के प्रति द्वेष की भावना का विकास न हो। आदमी का मन दुर्मन नहीं, सुमन बना रहे। इस अवसर पर आचार्य ने सादुलपुर आगमन के संदर्भ में कहा कि आज सादुलपुर में आचार्य महाप्रज्ञ के महाप्रयाण के बाद प्रथम बार आना हुआ है। यहां की जनता में सद्भावना, नैतिकता नशामुक्ति की चेतना का जागरण हो। जन-जन में समता और शांति बनी रहे। कार्यक्रम में आचार्य महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति-सादुलपुर के अध्यक्ष रतनलाल सेठिया निर्मल बोथरा, शायर बोथरा ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मण्डल, तेरापंथ कन्या मण्डल, तेरापंथ युवक परिषद, सेठिया परिवार, विवेक गेलड़ा, नैतिका छल्लाणी, नीतू सेठिया, संगीता सेठिया, भावना शर्मा, कुसुम बैद, रवि मालू उमेश तथा तेरापंथ कन्यामण्डल-सरदारशहर ने गीतों के माध्यम से आचार्य का अभिनंदन किया। राजकीय मोहता बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय के छात्राओं द्वारा अणुव्रत आचार संहिता का पाठ किया गया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। जैन धर्म के राष्ट्रीय संत महाश्रमण की अङ्क्षहसा यात्रा रविवार को प्रात: राजगढ़ से सादुलपुर के लिए प्रस्थान किया तो जैन समाज ही नहीं बल्कि हर वर्ग के लोगों ने उनका अभिनंदन किया महिलाएं युवतियां हाथों में ध्वजा लिए आचार्य महाश्रमण के जयकारे लगाते हुए यात्रा में चल रही थी वही राजगढ़ से सादुलपुर के सेठिया भवन तक प्रमुख सड़क पर लगभग पांच दर्जन से भी अधिक स्वागत द्वार बनाकर विभिन्न समाज के संगठनों ने आचार्य महाश्रमण एवं उनकी धवल सेना का अभिनंदन किया यात्रा राजगढ़ के जसकरण सुराणा हवेली से प्रारंभ होकर मुख्य बाजार से होते हुए सादुलपुर पहुंची। आचार्य महाश्रमण का हर वर्ग के लोगों के साथ शहर के मुस्लिम समाज के लोगों ने भी अभिनंदन किया।
Published on:
18 Apr 2022 12:45 pm
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