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सितम की इंतेहा : चार दिवारी में घुटती रही मासूम की चीखें, जानें पूरी घटना

बीते 11 वर्षों से एक मासूम की दर्दभरी चीखें बंद घर की चार दीवारी में घुट रही थीं। बुधवार को यह चीख चार दीवारी के बाहर निकली तो देखने वालों के रोंगटे खड़े हो गए। मामला एक 15 साल की बालिका से जुड़ा है। यह बालिका जब महज चार वर्ष की थी।

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चूरू. हरियाणा की सीमा से सटे जिले के सादुलपुर कस्बे में मासूम के साथ बेइंतेहा सितम की घटना सामने आई है। हालांकि आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर दुनिया भर के लोग महिलाओं को समान अधिकार दिलवाने के लिए चिल्ला रहे हैं। मगर इस शहर में बीते 11 वर्षों से एक मासूम की दर्दभरी चीखें बंद घर की चार दीवारी में घुट रही थीं। बुधवार को यह चीख चार दीवारी के बाहर निकली तो देखने वालों के रोंगटे खड़े हो गए। मामला एक 15 साल की बालिका से जुड़ा है। यह बालिका जब महज चार वर्ष की थी। तब उसकी मां छोड़कर चली गई थी। बालिका अपना नाम तो जानती है, लेकिन माता-पिता के बारे में वह कुछ नहीं जानती। सादुलपुर कस्बे के एक घर से इस बालिका को एक सामाजिक कार्यकर्ता ने मुक्त करवा कर पुलिस को सौंपा है। अब मामला सामने आने के बाद पुलिस बालिका से पूछताछ कर रही है।

जख्मों के निशां बयां कर रहे मासूम का दर्द

पीडि़त बालिका मूलरूप से महाराष्ट्र की बताई जा रही है। इसकी मां यहां झाड़ू-पौछा कर जीवन यापन करती थी। मजबूरी के चलते करीब 11 वर्ष पहले वह इस बालिका को एक परिवार के पास छोड़कर चली गई। इसके बाद से यह बालिका इस परिवार के पास ही रह रही थी। बुधवार को इस घर से चीखों की आवाज सुनकर सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट गायत्री पूनिया घर में पहुंची। उसने बालिका को देखा तो उसके शरीर पर जख्मों के कई निशान थे। बाद में इसकी सूचना पुलिस को दी गई।

चार साल की उम्र से कर रही है बालिका काम

एडवोकेट गायत्री पूनिया ने बताया कि नाबालिग की मां महाराष्ट्र राज्य की रहने वाली थी, जो सादुलपुर में झाड़ू पोछा करने का काम करती थी। जब वह 4 साल की थी तो शहर वार्ड 38 निवासी एक व्यक्ति के पास उसकी मां बालिका को छोड़कर चली गई। तभी से यहां रहने लगी। उससे घर का सारा काम करवाया जाता। घर के काम मे गलती होने पर मारपीट भी की जाती। बीच में उसकी मां उसे लेने के लिए यहां आई भी थी। लेकिन घर वालों ने उसे लड़ाई झगड़ा कर निकाल दिया।

सन्दूक में छिपाया बालिका को

पूनिया ने बताया कि बालिका की मां पुनः पुलिस को लेकर घर पर आई, लेकिन इन्होंने उसे एक संदूक में बंद कर ताला लगा दिया। उसकी मां को यहां से खाली हाथ लौटना पड़ा। इसके बाद से उसे कभी भी अकेले घर से बाहर नहीं जाने दिया गया। जब वह थोड़ा बड़ी हुई तो मारपीट और ज्यादा बढ़ गई उसे चिमटा और जलती लकड़ी से भी दागा गया। घर के छोटे बेटे पर बालिका ने शारीरिक शोषण व शराब के नशे में गर्म सरिए से शरीर पर दागने का आरोप लगाया है। बीती रात को भी उसने बेल्ट से मारपीट की। नाबालिग के केवल चेहरे पर ही चोट के 7 निशान है। इसके अलावा सिर, हाथ, पैर, कंधे व कमर पर भी कई चोट के निशान हैं।

मां का चेहरा याद है, पर पता नहीं जानती

नाबालिग ने बताया कि उसे अपनी मां का चेहरा याद है, लेकिन वह कहां रहती है उसे इसका पता नही है। बालिका मां के पास जाना चाहती है। बहरहाल पुलिस नाबालिग को बाल कल्याण समिति में पेश करेगी, जहां पर उसकी काउंसलिंग की जाएगी।

इनका कहना है...

सूचना मिली थी कि एक घर में एक बच्ची है, जिसे माता-पिता से छोड़कर चले गए थे। अब उसे परिवार के लोग बालिका को तंग और परेशान करते हैं। महिला टीम द्वारा बालिका को थाने लाया गया है। बालिका के बयान लिए जा रहे हैं। प्राथमिक जांच में बच्ची इनकी जायज संतान नहीं है, काफी समय से उनके साथ रह रही है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

पुष्पेंद्र झाझडिया, थाना अधिकारी, सादुलपुर

शहर के एक मोहल्ले से एक महिला का फोन आया तथा बताया कि बिना मां की एक बच्ची पर अत्याचार किया जा रहा है। जिस पर मौके पहुचकर बालिका से मिली तो वह डरी ओर सहमी हुई थी। बोल नहीं पा रही थी, एकांत में हिम्मत देकर पूछताछ की तो शरीर पर चोट के निशान थे। इस तरह की मारपीट रोज उसके साथ होती थी। पुलिस को लिखित शिकायत देकर कार्रवाई की मांग की है।

एडवोकेट गायत्री पूनिया, सादुलपुर