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राजस्थान के इस मंदिर में मां गवरजा संग विराजित हैं गजानन, जानिए मंदिर से जुड़ी खास बातें

सनातनी आस्था में महाशिवरात्री सबसे अहम शुभ पर्वों में से एक माना जाता है। यह पर्व बाबा भोलेनाथ और मां पार्वती की आराधना के अभिसरण का प्रतीक है। यह दिन भगवान आशुतोष के भक्तों के लिए खास महत्व वाला होता है। इसी कड़ी में शहर के जौहरी सागर इलाके में स्थित प्राचीन शिव बाग के शिवालय में महाशिवरात्रि की खास तैयारियां चल रही हैं। सफेद संगमरमर से निर्मित इस 100 साल से भी अधिक पुराने मंदिर में बाबा भोलेनाथ संग मां गवरजा व पुत्र गजानन विराजित हैं।

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चूरू. सनातनी आस्था में महाशिवरात्री सबसे अहम शुभ पर्वों में से एक माना जाता है। यह पर्व बाबा भोलेनाथ और मां पार्वती की आराधना के अभिसरण का प्रतीक है। यह दिन भगवान आशुतोष के भक्तों के लिए खास महत्व वाला होता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक महाशिवरात्रि हर साल फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन शिव भक्त शिवालयों और शिव मंदिरों में जाते हैं। इस दिन भक्त भोलेनाथ और मां पार्वती की पूजा-अर्चना कर उन्हें रिझाते हैं। इस दिन खास पूजा के तहत भक्त कई तरह के मंत्रों का जाप करते हैं व व्रत रखकर भगवान शिव के आशीर्वाद की कामना करते हैं। इसी कड़ी में बात करेंगे शहर के जौहरी सागर इलाके में स्थित प्राचीन शिव बाग के शिवालय की। यहां पर महाशिवरात्रि की खास तैयारियां चल रही हैं। सफेद संगमरमर से निर्मित इस 100 साल से भी अधिक पुराने मंदिर में बाबा भोलेनाथ संग मां गवरजा व पुत्र गजानन विराजित हैं। तो आइए जानते हैं इस अद्भुत मंदिर के निर्माण के पीछे की कहानी।

ये थी मंदिर बनाने के पीछे की वजह
शहर के धन्ना सेठ भगवानदास बागला की समाधि के ऊपर बनाया गया है यह शिव मंदिर। शहर के 77 वर्षीय इतिहास के जानकार श्याम सुंदर शर्मा ने बताया कि इतिहास के पन्नो में दर्ज लेख के मुताबिक मंदिर का निर्माण विक्रम संवत 1952 के आसपास करवाया गया था। मंदिर सेठ भगवानदास बागला की धर्मशाला के भीतर स्थित है। बागला की मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार इसी स्थान पर किया गया था। इसके बाद उनके परिजनों ने इस जगह पर शिव मंदिर का निर्माण करवा दिया।
ये है मंदिर से जुड़ी खास बातें
मंदिर में शिवालय का आकार छह गुणा छह है। आठ सिढीयां चढने के बाद भक्त शिवालय तक पहुंचते हैं। पूरा शिवालय सफेद संगमरमर से बना है। शिवालय में संगमरमर के पत्थर पर बेहद खूबसूरत नक्काशी की गई है। कई जगह पत्थरों पर फूल- पत्तियां उकेरी गई हैं।
गणपति की प्रतिमा की यह है खासियत
शिवालय के भीतर करीब ढाई फीट का शिवलिंग स्थापित है। मां गवरजा संग पुत्र गजानन विराजित हैं। खास बात यह है कि यहां पर गणपति की प्रतिमा की सूंड बाई की जगह दाईं और बनीं हैं। वहीं नंदी शिवलिंग के उत्तर दिशा में पश्चिम की ओर मुहं करके विराजित है। शिव पंचायत की सभी प्रतिमओं का निर्माण सफेद संगमरमर के पत्थर से करवाया गया है।
मंदिर में जुटती हैं भक्तों की भीड़
मंदिर को कई पिढियों से संभाल रहे पुजारी परिवार के पंडित रविप्रकाश शर्मा ने बताया कि महाशिवरात्रि पर मंदिर में फूलों से शिव पंचायत का अलौकिक शृंगार किया जाता है। सैनिक बस्ती व वन विहार कॉलानी सहित जौहरी सागर इलाके के अलावा सुभाष चौक आदि स्थानों के लोगों की मंदिर में भीड़ जुटती है। सावन माह में यहां पर भोले के भक्त कावड़ लाकर जलाभिषेक करते हैं। इसके अलावा पूरे सावन माह में यहां भक्तों की ओर से रूद्राभिषेक करवाए जाते हैं।