राजलदेसर में मंगलवार को विसर्जित नहीं होती गणगौर

गणगौर पूजन चैत्र शुक्ल पक्ष तृतीया की शाम संपन्न हो जाएगा। लेकिन यहां के गणगौर पूजा की अपनी अलग

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Apr 08, 2016
churu

राजलदेसर।गणगौर पूजन चैत्र शुक्ल पक्ष तृतीया की शाम संपन्न हो जाएगा। लेकिन यहां के गणगौर पूजा की अपनी अलग विशेषता है। यहां मेघवाल समाज की ओर से गौर व सेवगों की ओर से ईसर की सवारी निकाली जाती है। यहां मंगलवार को गणगौर विसर्जित नहीं की जाती है। लोगों का कहना है कि वर्षों पूर्व एक बार मंगलवार को गौर का विसर्जन कर देने से गांव पाटे उतर गया था। यानि गांव में अग्निकांड हो गया। तभी से मंगलवार को गौर का विसर्जन नहीं किया जाता है।


कस्बे के 85 वर्षीय दुर्गादत्त शर्मा ने बताया कि यहां गौर-ईसर की सवारी निकालने की परम्परा रजवाड़ों के जमाने से चली आ रही है। उन्होंने बताया, दुधोडिय़ा परिवार की गौर को पहनाए गए गहने व शृंगार को लूटने के लिए करीब 65 वर्ष पहले लुटेरों ने मेले के दिन बाजार में धावा बोला था, लेकिन लोगों की सजगता से लूट नहीं हो सकी। मेघवालों की गौर निकलना यहां की एक अलग विशेषता है। गणगौर के दिन गौर-ईसर के दर्शन करने बड़ी संख्या में श्रद्धाल सुभाष चौक में एकत्रित होते हैं। गौर ईसर के साथ अगुणा कुएं के चक्करलगाकर फेरे लेती हैं।

Published on:
08 Apr 2016 10:45 pm
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