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सियासत के मैदान पर मंडेलिया ने जीती टिकट की जंग

सियासत की पिच पर कांग्रेस ने फिर पुराने खिलाड़ी रफीक मंडेलिया को उतारा है। उनका मुकाबला भाजपा के हरलाल सहारण से होगा। लेकिन रोचक बात यह है कि उनके पिता हाजी मकबूल मंडेलिया वर्ष 2008 में हरलाल सहारण को चुनावी दंगल में हराकर विधानसभा की सीढ़ी पर पहुंचे थे। अब फिर मंडेलिया परिवार का मुकाबला हरलाल सहारण से हैं। लेकिन चेहरा हाजी की बजाय रफीक मंडेलिया का है।

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चूरू. सियासत की पिच पर कांग्रेस ने फिर पुराने खिलाड़ी रफीक मंडेलिया को उतारा है। उनका मुकाबला भाजपा के हरलाल सहारण से होगा। लेकिन रोचक बात यह है कि उनके पिता हाजी मकबूल मंडेलिया वर्ष 2008 में हरलाल सहारण को चुनावी दंगल में हराकर विधानसभा की सीढ़ी पर पहुंचे थे। अब फिर मंडेलिया परिवार का मुकाबला हरलाल सहारण से हैं। लेकिन चेहरा हाजी की बजाय रफीक मंडेलिया का है। रफीक लोकसभा के दो और विधानसभा का एक चुनाव हार चुके हैं। राजेन्द्र राठौड़ के सामने हार का अंतर कम रहा था, लेकिन चूरू विधानसभा क्षेत्र की इस चुनाव में परििस्थतयां बदली हुई है। कांग्रेस से 31 लोगों ने टिकट के लिए दावेदारी पेश करने के साथ स्थानीय को टिकट देने की मांग भी मुखर की थी।

मुंबई में कारोबार...बाहरी का ठप्पा

रफीक मंडेलिया मूलत: जिले के रतनगढ़ के निवासी है। यहां पर सैनिक बस्ती में उनका मकान अवश्य है। साथ ही कारोबार मुबंई में है। इस परिवार ने वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में चूरू की राजनीति में दस्तक दी थी। रफीक के पिता मकबूल मंडेलिया ने चूरू विधानसभा क्षेत्र से पहली बार चुनाव लड़ा और उन्होंने बीजेपी के हरलाल सहारण को हराकर जीत दर्ज कराई। इससे उत्साहित मकबूल मंडेलिया के पुत्र रफीक मंडेलिया वर्ष 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में अपना भाग्य आजमाने के लिए चुनाव मैदान में उतरे। इस चुनाव में रफीक का मुकाबला बीजेपी के रामसिंह कस्वां से हुआ। लेकिन रफीक चुनाव हार गए।

बेहद कम अंतर से विधानसभा जाने चूके हैं मंडेलिया
वर्ष 2013 के चुनाव में उनके पिता फिर विधानसभा चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन उन्हें बीजेपी के दिग्गज नेता राजेन्द्र राठौड़ के सामने हार का सामना करना पड़ा। इन दो हार के बाद पार्टी ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में रफीक को मौका नहीं देकर दूसरे प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारा। इस चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा और वह तीसरे स्थान पर जाकर टिक गई। उसके बाद विधानसभा चुनाव में रफीक चूरू विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे. लेकिन 1870 वोटों के अंतराल से हार गए।
टिकट लाने के संघर्ष में मिली सफलता
चूरू विधानसभा क्षेत्र में दावेदारों की संख्या अधिक होने के कारण कांग्रेस की तीन सूचियों में मंडेलिया का नाम नहीं आया। राजनीति के जानकारों का मानना है कि मंडेलिया के लिए टिकट लाना भी इस बार बड़ा संघर्ष था। जद्दोजहद के बाद यह संघर्ष तो जीत लिया, लेकिन चुनाव में भीतरघात का अंदेशा बना हुआ है।

2013 में हुआ चुनाव स्थगित

चूरू विधानसभा क्षेत्र से बहुजन समाज पार्टी प्रत्याशी जगदीश मेघवाल की मृत्यु के कारण चुनाव को स्थगित कर दिया गया था। चूरू विधानसभा क्षेत्र के लिए मतदान 13 दिसम्बर 2013 को हुआ। जिसमें राठौड़ बीस हजार से अधिक वोटों से जीते थे। कांग्रेस के हाजी मकबूल मण्डेलिया अपना दूसरा चुनाव हार गए थे।