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CHURU FARMER NEWS- प्रगतिशील किसान का नवाचार: ये है चूरू के बाजरे का सिट्टा, लंबाई 12 से 14 फीट

चूरू. खेती में किसान नित नए नवाचार कर रहे हैं। उनकी अथक मेहनत के कारण ही यहां का किसान प्रगतिशील बनता जा रहा है। जिले में कई ऐसे किसान भी हैं। जिन्होंने जिला और राज्य स्तर पर सम्मान पाया है। अब एक ऐसे किसान सामने आए हैं। जिन्होंने बाजरे में नवाचार किया है। देशी बाजरे के मुकाबले तीन से चार गुना अधिक उपज और लंबाई 12 से 14 फीट के बीच रहती है।

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चूरू

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Vijay

Oct 11, 2022

PM Kisan Samman Nidhi Yojana 14th installment

PM Kisan Samman Nidhi Yojana 14th installment

देशी बाजरे के मुकाबले तीन से चार गुना अधिक उपज

चूरू के खंडवा गांव के सेवानिवृत्त शिक्षक कृष्ण कुमार रणवा जिला व राज्य स्तर पर सम्मानित है ये प्रगतिशील किसान
चूरू. खेती में किसान नित नए नवाचार कर रहे हैं। उनकी अथक मेहनत के कारण ही यहां का किसान प्रगतिशील बनता जा रहा है। जिले में कई ऐसे किसान भी हैं। जिन्होंने जिला और राज्य स्तर पर सम्मान पाया है। अब एक ऐसे किसान सामने आए हैं। जिन्होंने बाजरे में नवाचार किया है। उनके नवाचार का परिणाम ये निकला की बाजरे का सिट्टा तीन फीट का हुआ है। चूरू के खंडवा गांव के सेवानिवृत्त शिक्षक कृष्ण कुमार रणवा ने अपने खेत में उन्नत किस्म के बाजरे की बुआई की है। बोलचाल की भाषा में यह बाजरा देसी किस्म का है, लेकिन इसे वैज्ञानिक विधि से तैयार किया गया है। सामान्य देशी बाजरी के मुकाबले इसकी ऊपज तीन से चार गुना होती है और लंबाई 12 से 14 फीट के बीच रहती है, लेकिन आमतौर पर बाजरे की लंबाई और सिट्टे की लंबाई उपजाऊ जमीन के आधार पर कम और अधिक होती रहती है।
इस बार कम हुई बाजरे की लंबाई
इस बार बाजरे की बुआई के पश्चात मानसून कमजोर रहा। इस कारण बाजरे की फसल के सीट्टे की लंबाई कम हुई और उपज में भी फर्क नजर आया। क्षेत्र के किसान कृष्ण कुमार ने बताया कि उन्होंने 5 किलो बाजरे का बीज नागौर के मेड़ता के किसान से मंगवाया था। जिन्होंने पिछले वर्ष अपने खेत में बोया था और अच्छी पैदावार ली थी। उन्होंने यह बीज जोधपुर से प्राप्त किया था। यह बाजरा देसी बाजरे के मुकाबले चारा 3 से 4 गुना अधिक देता है। जिसके कारण कम जगह में अधिक चारे का उत्पादन हो सकता है।
खाने में स्वादिष्ट है बाजरा
यह बाजरा खाने में स्वादिष्ट और इसका चारा भी मीठा होता है। जिसके कारण पशु इसे बड़े चाव से खाते हैं। रणवा ने बताया कि अगर बाजरे की फसल को अच्छी जमीन में बोया जाय और अच्छी बारिश हो तो यह बाजरा 10 क्विंटल बीघा की उपज दे सकता है।

बारिश से खरीफ़ फसलों में नुकसान, रबी की बुआई में होगा इजाफा
घांघू. क्षेत्र में शनिवार सुबह से शुरू हुआ रिमझिम बरसात का दौर शाम तक जारी रहा। घांघू, बास जैसेका, श्योदानपुरा, दांदू, बणी का बास, बास जसवंतपुरा, राणासर, ढाढर आदि क्षेत्र में रिमझिम बरसात हुई। किसानों ने बताया कि खेतो में पछेती बाजरे, मूंग, चवला और मोठ की काटी गई फसलों में नुकसान की आशंका है। वहीं रबी की फसलों के लिए किसानों को इस रिमझिम बरसात से फायदा होगा। जो किसान कुओं से ङ्क्षसचाई कर रबी की फसल में सरसों सहित अन्य फसलों की बुआई की तैयारी कर रहे थे उनको बरसात से फायदा होगा और पहली बिजाई की ङ्क्षसचाई नहीं करनी पड़ेगी। बारानी रबी की फसल के रूप में जो किसान चने की बिजाई करना चाह रहे थे वो बरसात होने से चने की बिजाई कर सकेंगे। बरसात होने के कारण मुख्य मार्गों पर पानी भर जाने से आवागमन में भी वाहन चालकों सहित आने जाने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। किसान कुनणमल रेवाड़ ने बताया की रबी की फसल में अभी सरसों की बुआई की तैयारी कर रहे थे बरसात होने से अब पहली ङ्क्षसचाई करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, जिससे बिजली की बचत भी हो जाएगी और बरसाती पानी में सरसों की फसल बोने से फ़सल का उगाव भी जल्दी होगा। बरसात होने से तापमान भी कम हो जाएगा, जो रबी की फसल की बिजाई करने में उपयुक्त रहेगा। गांव श्योदानपुरा के प्रगतिशील किसान बजरंगलाल गेट ने बताया की बरसात होने से श्योदानपुरा गांव के किसानोंं को अच्छा फ़ायदा होगा, उन्होंने बताया की श्योदानपुरा के लगभग किसान चने की बारानी बुआई करेंगे। गेट ने बताया की चने की बुआई के 40 दिन बाद अगर अच्छी बरसात हो जाती है और मौसम अनुकूल रहता है तो फसल शत प्रतिशत अच्छी होने की संभावना रहती है।