
Churu News : गुलामी की बेड़ियों में जकड़न से मुक्त करवाने के लिए एक ओर गांधी के नेतृत्व में देश में आन्दोलन चल रहा था। वहीं दूसरी तरफ 1930 में आजादी का आन्दोलन चरम पर था। राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में पारित प्रस्ताव के अनुसार देश में स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैेयारियां चल रही थी। 26 जनवरी 1930 का वह दिन आया जब चूरू के स्वतंत्रता सैनानियों ने यहां के धर्मस्तूप पर कांटों से सिल कर तिरंगा फहरा दिया था। यह वह समय था जब अंग्रेजी शासक देश में कहर बरपा रहे थे। उन्हें चुनौती देने की कोई हिम्मत भी नहीं कर पा रहा था लेकिन चूरू में आजादी के दिवानों ने वो कर दिखाया जिसकी बीकानेर रियासत ने कल्पना तक नहीं की थी।
बीकानेर स्टेट में आ गया था भूचाल
1929 के राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में देश की सम्पूर्ण स्वतंत्रता का प्रस्ताव पारित किया गया था और उसी अनुसार 26 जनवरी 1930 को देश में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाना था। उधर अंग्रेज सरकार इसको लेकर सख्त हो गई थी। लेकिन इसकी परवाह नहीं करते हुए शहर के आजादी के परवानों ने चुनौती स्वीकार करते हुए धर्मस्तूप पर तिरंगा फहराकर आजादी का उत्सव मना लिया। इससे बीकानेर रियासत में भूचाल आ गया था।
फिरंगियों की हिला दी थी चूलें
चूरू के स्वतंत्रता सेनानी चंदनमल बहड़, महंत गणपतिदास, वैद्य भालचंद शर्मा, शांत शर्मा व घनश्याम दास पौद्दार आदि ने आजादी के लिए भारतीय ध्वज फहरा दिया था और फिरंगियों की चूलें हिल गई थी।इससे आजादी के आन्दोलन को गति मिली। आजादी के इन दिवानों को ब्रिटिश सरकार और बीकानेर रियासत की ओर से बीकानेर राजद्रोह एवं षडयंत्र का केस दर्ज कर दिया और इन्हें जेल भेज दिया गया। इसके बावजूद भी स्वतंत्रता के इन प्रहरियों ने हार नहीं मानी और जेल से छुटने के बाद फिर स्वतंत्रता सेनानियों ने आजादी के आन्दोलन में निरंतर सक्रिय रहे और देश आजाद होने तक हार नहीं मानी।
Published on:
27 Jan 2024 11:13 am
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