आम आदमी से जुड़ावा व खुलकर अपनी बात कहने के कारण उन्हें कई बार परेशानी का भी सामना करना पड़ा। 17 अप्रेल 1945 को सरदारशहर के जैतसीसर गांव में पैदा हुए भंवरलाल शर्मा ने 60 के दशक में सरपंच पद से राजनैतिक करियर की शुरुआत की।
चूरू. बेबाक छवी के लिए पहचाने जाने वाले सरदारशहर विधायक भंवरलाल शर्मा का निधन हो गया।
वे कई बीमारियों से पिछले लंबे समय से जूझ रहे थे। उनकी गिनती देश के बड़े ब्राह्मण चेहरों में होती थी। शर्मा के निधन से हर कोई स्तब्ध, बताया जा रहा है कि तबीयत बिगड़ने पर उन्हें जयपुर के एसएमएस अस्पताल के आईसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया था। शनिवार देर रात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शर्मा से मिलने के लिए पहुंचे थे। उनके निधन पर मुख्यमंत्री गहलोत ने दुख जताया है। शर्मा अपने 37 साल के करियर में हमेशा बेबाक रहे। आम आदमी से जुड़ावा व खुलकर अपनी बात कहने के कारण उन्हें कई बार परेशानी का भी सामना करना पड़ा। 17 अप्रेल 1945 को सरदारशहर के जैतसीसर गांव में पैदा हुए भंवरलाल शर्मा ने 60 के दशक में सरपंच पद से राजनैतिक करियर की शुरुआत की।
सुर्खियों में रहा बयान
भंवरलाल शर्मा का मई 2014 में दिया गया बयान काफी चर्चा का विषय बना था। उन्होंने राहुल गांधी व उनके सलाहकारों को जोकर कहा था। इसके बाद कांग्रेस ने शर्मा को पार्टी से निलम्बित कर दिया था। तब उन्होंने कहा था कि राहुल गांधी को कोई अनुभव नहीं हैं, गांधी परिवार का सदस्य होने के कारण राहुल को इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। कुछ दिनों बाद उनकी कांग्रेस में वापसी हो गई थी।
राजनीति के माहिर खिलाड़ी
दिवंगत विधायक भंवरलाल शर्मा राजनीति के भी माहिर खिलाडि़यों में गिने जाते थे, वर्ष 1990 में भैरोसिंह शेखावत सरकार को समर्थन दिया और जनता दल दिग्विजय कोटे से मंत्री बने। 1996 में वे जनता पार्टी से उपचुनाव जीते। 1996 में उनपर भाजपा विधायकों के साथ मिलकर भैरोसिंह शेखावत सरकार गिराने की साजिश का आरोप भी लगा, हालांकि सरकार बच गई थी।
बाडेबंदी में मानेसर रहे
पायलट खेमे की बगावत के समय भंवरलाल शर्मा काफी चर्चा में रहे थे। बाड़ेबंदी के दौरान पायलट खेमे के विधायकों के साथ मानेसर में रहे थे। अगस्त 2020 को सुलह होने पर सबसे पहले आकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिले थे।
गेंद आयोग के पाले में
सरदारशहर विधायक के निधन के बाद अब सीट खाली हो गई है। ऐसे में उपचुनावों को लेकर फैसला अब चुनाव आयोग के पाले में आ गया है। किसी विधायक के निधन के छह माह के भीतर उपचुनाव कराए जाने का प्रावधान है। लेकिन अगर विधानसभा का कार्यकाल सालभर से कम है तो उपचुनाव संभव नहीं है। लेकिन राजस्थान में विधानसभा का कार्यकाल एक साल से ज्यादा है, इसलिया यहां उपचुनाव होना तय माना जा रहा है, हालांकि आखिरी फैसला चुनाव आयोग करेगा।
भंवरलाल शर्मा की जीवनी
-राजस्थान के चूरू जिले के सरदारशहर में सेवगराम और पार्वती देवी के घर 17 अप्रेल 1945 को भंवरलाल शर्मा का जन्म हुआ।
-भंवरलाल शर्मा ने 17 साल की उम्र में ही राजनीति में कदम रख दिया था। सबसे पहले साल 1962 में सरदारशहर की जैतसीसर ग्राम पंचायत के सरपंच बने।
-साल 1962 से 1982 तक सरपंच रहे। इसके बाद 1982 में वे सरदारशहर पंचायत समिति के प्रधान चुने गए।
-भंवरलाल शर्मा ने 1985 में लोकदल से पहला राजस्थान विधानसभा चुनाव लड़ा और जीतकर विधायक बने।
-विधायक बनने के बाद शर्मा ने जनता दल पार्टी ज्वाइन की। 1990 में दूसरी बार विधायक बनने में सफल रहे।
-दूसरी बार विधायक बनने पर भंवरलाल शर्मा को राजस्थान में इंदिरा गांधी नहर परियोजना मंत्री बनाया गया।
-फिर इन्होंने 1996 में राजस्थान विधानसभा उपचुनाव जीता।
-साल 1998, 2003, 2013 और 2018 के चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर विधायक बने।